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'धुरंधर' और 'बैड्स ऑफ बॉलीवुड' का अंगार म्यूज़िक बनाने वाले शाश्वत सचदेव की पूरी कहानी!

वो लॉ स्टूडेंट जो हॉलीवुड छोड़कर इंडिया लौटा और म्यूज़िक को बदलकर रख दिया.

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अनुष्का शर्मा की फिल्म 'फिलौरी' से शाश्वत को हिन्दी सिनेमा में पहले ब्रेक मिला था.

साल 2011. शहर था जयपुर. एक शिष्य अपने गुरु के घर की दहलीज पर खड़ा था. उस दरवाज़े से लड़के का पुराना नाता था. एक अनुशासन था जो उसके पांव दहलीज के पार ले जाता. लेकिन आज का दिन कुछ अलग था. ये लड़का अगली सुबह अमेरिका निकल रहा था. दुनियाभर के बड़े-बड़े और नामी म्यूज़िक आर्टिस्ट्स के साथ काम करने का मौका मिला था. बस उस क्षण मन में खुशी का भाव नहीं था. एक विशाल, अंधेरे दुख ने उसकी जगह घेर रखी थी. वो लड़का जानता था कि ये गुरु से आखिरी भेंट थी.  इसके बाद गुरु नहीं रहेंगे. रह जाएंगी तो उनकी सिखाई कला, उनका संगीत और मीठी डांट के कुछ पल.

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किसी तरह हिम्मत जुटाकर शाश्वत सचदेव अंदर अपने गुरु उस्ताद रमज़ान खान साहब से मिलने पहुंचे. गुरु को अपने आने का कारण बताया. उस्ताद ने एक आखिरी ख्वाहिश रखी, कि अब तक जो सिखाया है वो सुनाओ. शाश्वत ने भारी मन के साथ कलेजा खोलकर रख दिया. अगले दो घंटे तक उस कमरे से बाहर सिर्फ संगीत बह रहा था. संगीत रुका. इससे पहले कि शांति की जगह सन्नाटा ले पाता, उस्ताद ने अपने शागिर्द को गले लगा लिया. दोनों बुरी तरह रोने लगे. शाश्वत ने मन ही मन ठान लिया कि ऐसा काम करेंगे जिससे उनके गुरु को उन पर गर्व हो सके.

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इस घटना के करीब 14 साल बाद कम्पोज़र और म्यूज़िक डायरेक्टर शाश्वत सचदेव का नाम आग की तरह फैल चुका है. Aryan Khan की सीरीज़ The Bads of Bollywood सिर्फ अपने भारी-भरकम कैमियोज़ और शाहरुख के बेटे की सीरीज़ के तौर पर ही वायरल नहीं हुई, उसके कैची म्यूज़िक को भी जनता ने खूब स्ट्रीम किया. ‘गफ़ूर’ गाने पर धड़ल्ले से मीम, रील सब बने. वो ‘बैड्स’ से तब जुड़े जब शो पर  काम चालू हो चुका था. यहां तक कि पहला एपिसोड भी एडिट हो गया था. उसके बाद आर्यन ने उन्हें साइन किया. पूरी स्क्रिप्ट सुनाई. आर्यन, शाश्वत और शो के बाकी राइटर्स ने मिलकर ज़ोरों-शोरों से म्यूज़िक पर काम शुरू किया. यहां तक कि एक ही रात में ‘रुसेया ना कर’ और ‘तू पहली तू आखिरी’ जैसे गाने बना डाले. अब शाश्वत का अगला बड़ा प्रोजेक्ट रिलीज़ को तैयार है. Ranveer Singh की भयंकर स्टार-कास्ट वाली फिल्म Dhurandhar के म्यूज़िक की ज़िम्मेदारी शस्वत के पास ही थी. फिल्म के लिए उन्होंने पंजाबी अखाड़े के मशहूर गाने ‘ना दिल दे परदेसी नू’ को रीक्रिएट किया, और ऐसा बनाया कि मेकर्स ने इसी गाने के साथ फिल्म का फर्स्ट लुक टीज़र उतारा. सिर्फ इस गाने ने ही फिल्म को पर्याप्त बज़ देने का काम किया.

साल 2025 शाश्वत के लिए बहुत अहम रहा. ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ और ‘धुरंधर’ ने उन्हें देशभर में पॉपुलर बनाया. उन्हें ब्रिटिश सीरीज़ Virdee पर Hans Zimmer के साथ कोलैबोरेट करने का मौका मिला. मगर शाश्वत की कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं है. म्यूज़िकल जीनियस बनने की नींव कहां से कैसे पड़ी, उसकी पूरी कहानी को करीब से जानते हैं.

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शाश्वत जयपुर के रहने वाले है. पेरेंट्स को संगीत का शौक था. इसलिए कच्ची उम्र में ही शास्त्रीय संगीत से राहें मिल गईं. मां संगीत की पहली गुरु बनीं. उन्होंने तीन साल की उम्र में बेटे को उस्ताद रमज़ान खान साहब के पास भेजा. एक साल तक शाश्वत ने तबला सिखा. फिर गुरु ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शाश्वत को संगीत की दीक्षा ले लेनी चाहिए. ऐसा ही हुआ भी. शाश्वत का मन संगएते में रचने-बसने लगा. पढ़ाई करने को जी नहीं चाहता था. घरवालों ने इशारा किया कि पढ़ाई के चलते संगीत छुड़वा देंगे. उलटे शाश्वत उन्हें आंखें दिखाते कि अगर संगीत जीवन से गया तो ज़िंदगीभर कोई किताब नहीं छूने वाला. घरवालों को हार माननी ही पड़ी. शाश्वत ने स्कूली पढ़ाई पूरी की. इस पॉइंट तक उनका झुकाव हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ वेस्टर्न म्यूज़िक की तरफ भी होने लगा. उसकी वजह थी कि हिन्दुस्तानी शास्त्रीय म्यूज़िक की कोई भाषा, कोई ग्रैमर नहीं है. वो फॉर्मल ढंग से म्यूज़िक सीखना चाहते थे. कॉलेज में क्या पढ़ना है, ये फैसला भी उनकी जगह संगीत ने ही लिया.

पुणे शहर में शास्त्रीय और वेस्टर्न, दोनों की किस्म की पद्धतियों के लिए जगह थी. यहां उनके म्यूज़िक को सीखने, समझने का दायरा बढ़ सकता था. यही सोचकर उन्होंने पुणे की Symbiosis Law School में एडमिशन ले लिया. लॉ की पढ़ाई की लेकिन कभी पक्के वाले वकील नहीं बने. डिग्री को अलमारी में धर कर म्यूज़िक को फुल टाइम करियर बनाया. महज़ 21-22 साल की उम्र में हॉलीवुड चले गए. वहां Tony Maserati समेत कई नमी प्रोड्यूसर्स और साउंड इंजीनियर्स के साथ काम किया. दुनिया घूम रहे थे. हर दिन एक नया एडवेंचर था. लेकिन फिर भी मज़ा नहीं आ रहा था. खुद को निखारने के लिए इंडिया लौट आए.

अनुष्का शर्मा और उनके भाई करनेश शर्मा उन दिनों अपने प्रोडक्शन बैनर Clean Slate Filmz के अंतर्गत लीक से अलग फिल्मों को जगह दे रहे थे. इसी क्रम में उन्होंने ‘फिलौरी’ नाम की फिल्म बनाई. लीड रोल्स में अनुष्का शर्मा और दिलजीत दोसांझ थे. बतौर कम्पोज़र ये शाश्वत की पहली फिल्म बनी. फिल्म के गाने ‘साहिबा’ से शाश्वत ने हिन्दी सिनेमा में अपनी एंट्री मार्क कर ली. इसके बाद वो ‘अटैक’, ‘तेजस’, ‘किल’ और ‘सिलेक्शन डे’ जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स से जुड़े. अपने काम की छाप छोड़ी. लेकिन इन सभी में से उन्हें सबसे ज़्यादा फायदा आदित्य धर की ‘उरी’ से मिला. शाश्वत ने ‘उरी’ के लिए ‘छल्ला’, और ‘जिगरा’ जैसे खून को गर्म कर देने वाले गाने बनाए. ऑस्ट्रिया जाकर ‘उरी’ का बैकग्राउंड म्यूज़िक रचा. शाश्वत की इसी मेहनत और लगन के लिए उन्हें नैशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था. 
आदित्य धर की पहली फिल्म ‘उरी’ के म्यूज़िक का पूरा ठेका शाश्वत ने ले लिए था. फिर जो बनकर निकला, वो अंगार था. अब इन दोनों क्रिएटर्स की जोड़ी ‘धुरंधर’ के लिए साथ आई है. इन्होंने क्या कमाल रचा है, इसकी पूरी तस्वीर 05 दिसम्बर 2025 को मिलेगी जब ‘धुरंधर’ सिनेमाघरों में लगेगी.                                           

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