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ओमकारा के किस्से: जब प्रोड्यूसर ने कहा, "यूपी में शूट नहीं कर सकते, लोग बहुत पत्थर मारेंगे"

सैफ ने एक सीन में कपड़े उतारने की शर्त पर विशाल से कहा था "आप कपड़े उतारकर डायरेक्ट करिए, मैं कपड़े उतारकर शूट करूंगा"

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बीड़ी जलइले जिगर से पिया...

आपने 'ओमकारा' के किस्सों के पहले पार्ट में पढ़ा: कैसे आमिर फ़िल्म में लंगड़ा त्यागी का रोल करना चाहते थे? नसीर ने विशाल भारद्वाज को क्या नसीहत दी? सैफ ने विशाल से बातचीत क्यों बंद कर दी? ऐसे ही कुछ दिलचस्प किस्से अभी तक नहीं पढ़े, तो यहां क्लिक करिए और पढ़ डालिए. अब बढ़ते हैं दूसरे पार्ट की तरफ़. तो कथा शुरू होती है.

ओमकारा के एक सीन में अजय और विवेक

'यू आर टू गुड लुकिंग' कहकर विशाल ने सैफ को रिजेक्ट कर दिया

सैफ और उनकी मां शर्मीला टैगोर फोन पर बतिया रहे थे. इतने में कुछ बात उठी, तो मां ने कहा सैफ तुम्हें शेक्सपीयर का 'ओथेलो' करना चाहिए. और उसमें तुम्हारा किरदार भी ओथेलो का हो. अगले ही दिन विशाल ने सैफ को फोन करके बुला लिया. कहा, मेरे पास एक स्क्रिप्ट है. आ जाओ मैं ओथेलो पर फ़िल्म बना रहा हूं.  सैफ हक्के-बक्के रह गए. एक दिन पहले सोच रहे थे. दूसरे दिन सच हो गया. सैफ विशाल के पास पहुंचे. विशाल ने उन्हें शेक्सपीयर के नाटक के महान विलेन इयागो का किरदार ऑफर किया. सैफ ने कहा मां ने तो कहा है तुम्हें ओथेलो प्ले करना चाहिए. विशाल ने ये कहकर मना कर दिया:

यू आर टू गुड लुकिंग और ओथेलो को अपने लुक्स को लेकर थोड़ा कॉम्प्लेक्स होना पड़ता है. वो अपने से खूबसूरत लड़की पर भरोसा नहीं कर सकता.

क्लाइमैक्स में सैफ और konkna

जब कोंकणा ने सैफ को 18-20 थप्पड़ जड़ दिए

फ़िल्म का क्लाइमैक्स शूट होना था. ओमकारा अपनी पत्नी को मार चुका है. कोंकणा का किरदार वहां पहुंच चुका है. फिर लंगड़ा त्यागी की एंट्री होती है. और अजय उसके बाद सैफ को बाहर लेकर जाते हैं. पर रिहर्सल के समय डायलॉग समेत सब फेक लगने लगा था. तब अजय ने कुछ सजेस्ट किया. विशाल ने कोंकणा से पूछा तुम इसमें क्या करोगी. उन्होंने कहा, "मैं सैफ को थप्पड़ मारूंगी." सैफ थप्पड़ खाने के लिए तैयार हो गए. उस सीन के लिए कम से कम सैफ ने 18 से 20 थप्पड़ खाए होंगे. एक और सीन है फ़िल्म में जहां कोंकणा को गोबर के उपले बनाने थे. वो इस शॉट को लेकर असहज थीं. पर करना तो था ही. उन्होंने करना शुरू किया. शूट के दौरान गोबर से कीड़े निकलने लगे. कोंकणा ने अपने हाथ में कीड़े देखे और भाग खड़ी हुई. तुरंत हाथ धोए. विशाल इसी सीन को कॉन्टिन्यू करना चाहते थे. पर कोंकणा ने मना कर दिया. फिर विशाल को शूट किए हुए सीक्वेंस से ही किसी तरह काम चलाना पड़ा.

सैफ ओमकारा के एक सीन में

‘आप कपड़े उतारकर डायरेक्ट करिए, मैं कपड़े उतारकर शूट करूंगा’

मूवी में एक सीन है जहां सैफ अली खान मिरर के सामने खड़े होकर इंटेन्स लुक देते हुए, अचानक शीशा तोड़ देते हैं. इस सीन में कोई डायलॉग नहीं है. सैफ चाहते थे कि इसमें डायलॉग हो और वो बोले कि ओमकारा ने उन्हें बाहुबली नहीं बनाया, वो अपने दम पर बने हैं. ये सीन शूट भी इसी तरह हुआ था. पर जब फ़िल्म एडिट टेबल पर पहुंची, विशाल को कुछ मिसिंग लग रहा था. उन्हें मामला जमा नहीं. ये सीन दोबारा शूट किया गया और अलग से फ़िल्म में डाला गया. इसे शूट करते समय दुर्घटना होते-होते बची थी. कहते हैं शीशा तोड़ते समय कांच के टुकड़े सैफ के पूरे शरीर पर आ गए. वो तो सैफ ने आंखें बंद कर ली थीं, नहीं तो कांच उनकी आंखों में लग सकता था.

इसी सीन में सैफ से पूरे कपड़े उतारने को कहा गया था 

इसी सीन में विशाल चाहते थे कि सैफ बिना कपड़ों के स्क्रीन पर दिखे. उनका आइडिया था कि सैफ को पीछे से बिना कपड़ों के दिखाया जाएगा. उन्होंने इस बात को लेकर खान को आश्वस्त भी किया कि डिम लाइट होगी और तुम्हें पीछे से दिखाया जाएगा. पर एचटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सैफ ने विशाल से कहा: 

“यदि आप और डीओपी हुसैन बिना कपड़ों के मुझे डायरेक्ट करें, तो उन्हें भी बिना कपड़ों के शूट करने में कोई परेशानी नहीं होगी”

सैफ के इतना कहते ही बात खत्म, आइडिया ड्रॉप. बाद में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने पछताते हुए कहा भी था, 

"काश मैंने उस समय विशाल की बात मानी होती, वो बॉलीवुड के लिए एक बहुत नया आइडिया था."

'यूपी में शूट नहीं कर सकते, लोग बहुत पत्थर मारेंगे'

चूंकि ओमकारा मूल रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कहानी है. इसलिए इसे यूपी में शूट करना तय हुआ. फ़िल्म के प्रोड्यूसर कुमार मंगत नहीं चाहते थे कि फ़िल्म यूपी में शूट हो. वो विशाल से कहते: 

'विशाल जी यूपी में शूट करना पॉसिबल नहीं है. वहाँ लोग बहुत तकलीफ देते हैं. बहुत पत्थर मारेंगे.' 

डिसाइड भी यही हुआ कि यूपी में शूट नहीं करेंगे. कहीं और शूट करके, कुछ यूपी के शॉट डालकर बाद में पैच कर देंगे. पर फ़िल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई. प्रोड्यूसर को मज़ा आने लगा. कुमार ने खुद विशाल से कहा, 

'चलो दो-तीन दिन यूपी में शूट करके आते हैं.' 

उनका पहले प्लान था कि अजय, सैफ और विवेक समेत एक छोटा क्रू लेकर जाते हैं, बाक़ी को रहने देते हैं. पर आगे चलकर करीना भी आई, नसीर भी आ गए. कुछ ऐक्शन सीन भी ऐड हो गए. दो दिन का शेड्यूल था, वो चार का हुआ, फिर आठ का हुआ और अंत में जाकर 10 दिन का शूट करके यूनिट वापस आई.

बीस हजार की भीड़ में सीन फिल्माया गया

बीस हजार लोगों को विशाल ने फ़िल्म में रोल दे दिया 

शूट तो करना था, पर भारी भीड़ का क्या करेंगे! प्रोड्यूसर साहब सबसे पहले लखनऊ आए. मुलायम सरकार में मंत्री रहे अमर सिंह समेत कई ज़िम्मेदार लोगों से मिले. अमर सिंह ने वादा किया कि कोई परेशानी नहीं होगी. उन्होंने पूरी पुलिस फोर्स शूटिंग यूनिट के पीछे लगा दी. यूनिट को सरकार का ऐसा सपोर्ट मिला कि उन्हें पता नहीं चला, शूटिंग कब खत्म हो गई. कई सारे पब्लिक प्लेसेज़ में बिना किसी अनहोनी के शूट हुआ. इमामबाड़ा जैसी व्यस्त जगह पर भी शांति से शूट हुआ. कुमार मंगत एक आइरनी की बात करते हैं: 

हमें पब्लिक का इतना सपोर्ट मिला कि पता नहीं चला हम यूपी में शूट कर रहे हैं.

विशाल ने इलाहाबाद में एक जगह देखी थी, जहां पानी के बीच में मंदिर था. वहां शूट करना एक टेढ़ी खीर थी. क्योंकि वहां तक पहुंचने के लिए एयरपोर्ट से क़रीब 30 किलोमीटर बाय रोड जाना पड़ता. पर विशाल की जिद थी, उसी लोकेशन पर शूट करना है. उनके स्क्रिप्ट के विज़न में ये लोकेशन फिट बैठ रही थी. ये वही सीन था, जिसमें ओमकारा केसू को बाहुबली बनाता है. इसके शूट में एक जुगाड़ लगाया गया. यूनिट वहां पहले पहुंच गई. अजय, सैफ और विवेक को लखनऊ में ही रोका गया. जब यूनिट ने हरी झंडी दी, तो सीधे लखनऊ से तीनों ऐक्टर्स को लेकर हेलिकॉप्टर उड़ा और सेट पर लैंड किया. दो दिन यही प्रॉसेस अपनाया गया. पर इसमें भी कमाल ये था कि प्रोडक्शन ने सिर्फ़ 500 जूनियर आर्टिस्ट को बुलाया था. जब आसपास के लोगों को पता चला कि किसी पिच्चर की शूटिंग होने वाली है. वहां क़रीब बीस हजार से ज़्यादा की भीड़ जमा हो गई. अब उनको हटाना तो संभव नहीं था. भीड़ के हाथ में गुलाल थमाया गया. उनसे कहा गया, जब आपको निर्देश मिले गुलाल हवा में उड़ा देना. जब भीड़ ने गुलाल उड़ाना चालू किया, देखने वाला दृश्य था.

फ़िल्म के सीन

अजय देवगन ने विशाल भारद्वाज की समस्या हल कर दी

चूंकि इतनी बड़ी स्टारकास्ट के साथ अलग-अलग लोकेशन पर जाकर शूट करना संभव नहीं था. इसलिए एक सेट बनाने की बात हुई. सेट के लिए रेकी होने लगी. यूपी, एमपी, महाराष्ट्र सभी राज्यों में लोकेशन की तलाश की गई. प्रोडक्शन ये चाहता था कि शूट मुंबई के नज़दीक हो. ताकि किसी भी ज़रूरत के समय फटाक से कोई सामान वहां से मंगाया जा सके. इसलिए महाराष्ट्र प्राथमिकता थी. नासिक समेत कई जगहों पर टीम गई, जगह फाइनल नहीं हो पा रही थी. फिर अजय देवगन ने सातारा के पास वाई का नाम सजेस्ट किया. उनका मानना था कि यहां मनमुताबिक लोकेशन मिल सकती है. विशाल पहुंचे, गाड़ी रोकी. जगह देखी; पीछे पहाड़ी, सामने झील और बीच में लैंडस्केप्स. एक ही नज़र में लोकेशन लॉक हो गई.

प्रोडक्शन डिजाइनर समीर चंद्रा ने पहले सेट का स्केच तैयार किया. सभी को डाउट था कि स्केच जैसा सेट नहीं बन पाएगा. पर जैसे-जैसे सेट आकार लेता गया, विशाल समेत सबका भरोसा बढ़त गया. सेट स्केच से भी अच्छा बनकर तैयार हुआ. अब असल समस्या थी लाइटिंग. विशाल को ऐसा मूड चाहिए था कि पूरा गांव रौशनी से जगमगाता दिखे. फ़िल्म का सेकंड हाफ शादी वाला है. उसकी लाइटिंग बहुत कठिन काम होती थी. सुबह से चालू होकर दोपहर तक लाइट ही लगा करती थी. समय बहुत नष्ट हो रहा था. फिर प्रोडक्शन ने एक ऐसी लाइट बनाने की ठानी जो अकेले ही 80 प्रतिशत रौशनी की ज़रूरत पूरी कर दे. इंजीनियर को बुलाकर अलग से एक लाइट बनवाई गई. उसको ऊंचाई देने के लिए 20 फुट की क्रेन मंगवाई गई. उसे दो जेनरेटरों से पावर दिया गया. कुमार साहब बताते हैं, ''जब लाइट जलती तो कम से कम पांच किलोमीटर के एरिया तक कोई लाइट लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी. वो अकेली लाइट 100 लाइटों के बराबर थी.''

बीड़ी जलइले गाने का एक स्नैप 

चलते-चलते एक छोटा-सा किस्सा और सुनाते जाते हैं. विशाल गुलज़ार के पास गए और उनको किसी गाने की दो लाइन सुनाई, जो 70 साल पहले सिगरेट पर लिखा गया होगा. शायद कोई अंग्रेजी गाना रहा होगा. वो स्मोकिंग प्रोहिबिशन की बात करता था. विशाल चाहते थे कि ऐसा ही कुछ गाना गुलज़ार लिखें. जो सिर्फ़ अच्छा न हो हिट भी हो. गुलज़ार ने विशाल से कहा कि मैं तुम्हें इसी फ्लेवर का एक गाना लिखकर दूंगा, पर सबको लगेगा कि वो लोक का कोई गीत है. गुलज़ार ने लिखा: 'बीड़ी जलइले जिगर से पिया, जिगर मा बड़ी आग है.' विशाल ने कम्पोज़ किया और गाना हिट हो गया. इस फ़िल्म के सारे गाने विशाल ने लोकेशन हन्टिंग के दौरान बनाए थे. उनके पास बीच में कहीं समय ही नहीं था. उन्होंने इसी पर्पज से एक रिकॉर्डिंग वाला फोन लिया था. वो गाना बनाते और धुन फोन में रिकॉर्ड कर लेते. रेस्ट इज़ हिस्ट्री. 
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'घातक' सनी देओल और अमरीश पुरी की फिल्म