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मूवी रिव्यू - टाइगर 3

कुछ चेज़ सीक्वेंस, कुछ जेल सीक्वेंस, थोड़ा धोखा, थोड़ा बलिदान, दो कैमियो, दो गाने, बहुत सारा एक्शन और तूफानी तोड़फोड़. कुल जमा 'टाइगर-3' इतनी ही फिल्म है. जो बीच-बीच में थोड़ी रोमांचित करती है और बाकी वक्त आप स्ट्रेट फेस से, जो भी परदे पर हो रहा हो उसे, देखते रहते हैं.

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टाइगर 3 रिव्यू

सलमान खान. कटरीना कैफ. शाहरुख खान. टाइगर. ज़ोया. पठान. ये सब वो कीवर्ड्स हैं, जो डिजिटल मीडिया के लिए बड़े काम के हैं. भरपूर ट्रैफिक खींचते हैं. इन सबको एक ही जगह इस्तेमाल करने का मौक़ा मिले, तो समझो दिवाली हो गई. लिटरली भी और फिगरेटिवली भी. तो इन तमाम की-वर्ड्स से सुसज्जित फिल्म देखने हम पहुंचे सुबह-सुबह सिनेमा हॉल. टाइगर आया था. तीसरी बार. दहाड़ा या नहीं, आइए देखते हैं.

'टाइगर 3' की अच्छी-बुरी बातों पर बात करने से पहले ये बता दें कि हम लोग कमर्शियल सिनेमा का पूरा-पूरा समर्थन करते हैं. धीर-गंभीर, रियलस्टिक, वैचारिक तौर पर रिच सिनेमा की जितनी ज़रूरत है, उतनी ही कमर्शियल, मास वाले सिनेमा की भी है. आखिर, सिनेमा का पहला काम मनोरंजन ही है. शिक्षा अगला पड़ाव है. इसी वजह से कमर्शियल सिनेमा को पूरी तरह खारिज करना निहायत ही गैरज़रूरी सुपीरियोरिटी कॉम्प्लेक्स है. 2023 में सिनेमा घरों तक जनता को वापस लाने वाली फ़िल्में, मास फ़िल्में ही थीं. 'पठान', 'जवान', 'ग़दर', 'जेलर', 'लियो'. ऐसी फिल्मों से ही सिनेमा इंडस्ट्री की नींव मज़बूत रहती है और उसी नींव पर सार्थक सिनेमा की इमारतें खड़ी करने का स्कोप बना रहता है. तो सिनेमा इंडस्ट्री के लिए जितना ज़रूरी पान सिंह तोमर है, उतना ही पठान भी है, टाइगर भी है. और टाइगर तीसरी बार कितना कामयाब रहा, आइए देखते हैं.

'टाइगर-3' स्पाई यूनिवर्स के बने-बनाए खांचे में चलने वाली फिल्म है. एक एजंट है, जिसे एक मुल्क दुश्मन मानता है और दूसरा गद्दार. टाइगर को अपने ऊपर लगे इन दोनों कलंकों को धोना है. साथ ही कुछ लोगों की जान बचानी है, तो कुछ लोगों की जान लेनी भी है. कुछ चेज़ सीक्वेंस, कुछ जेल सीक्वेंस, थोड़ा धोखा, थोड़ा बलिदान, दो कैमियो, दो गाने, बहुत सारा एक्शन और तूफानी तोड़फोड़. कुल जमा ‘टाइगर-3’ इतनी ही फिल्म है. जो बीच-बीच में थोड़ी रोमांचित करती है और बाकी वक्त आप स्ट्रेट फेस से, जो भी परदे पर हो रहा हो उसे, देखते रहते हैं.

''टाइगर-3' आपको पार्ट्स में पसंद आती है. कुछेक सीन्स कमाल हैं, तो कुछ बेहद साधारण. 

इस तरह की फ़िल्में सलमान का होम ग्राउंड है. वो महज़ अपने स्वैग के दम पर ऐसी फ़िल्में सिंगल-हैंडेडली कैरी कर जाते हैं. सलमान जब अतिरंजित, ओवर दी टॉप एक्शन करते हैं, तब भी ऐसा लगता है कि ये आदमी ऐसा कुछ सच में कर सकता है. भले ही वो हेलिकॉप्टर के ऊपर से कूदकर बिना पंखे की चपेट में आए उसके दरवाज़े पर लटक जाना हो. भाई है तो मुमकिन है. तो उनके एक्शन का लाउड होना इतनी बड़ी समस्या नहीं है. समस्या ये है कि एक्शन में नयापन मिसिंग है. बहुत से सीन ऐसे लगते हैं, जैसे 'एक था टाइगर' या 'टाइगर ज़िंदा है' से कॉपी पेस्ट किए गए हों. इमारतों पर, सीढ़ियों पर बाइक चलाने के सीन्स हम बहुत देख चुके. कुछेक सीन्स ही हैं, जो एक्साइटिंग लगते हैं. 'जवान' में भी माइंडलेस एक्शन की भरमार थी, लेकिन जो ट्रीटमेंट एटली ने दिया था, वैसा कुछ करने में मनीष शर्मा चूक गए हैं. देश के सबसे बड़े एक्शन स्टार होने के नाते सलमान एक्शन में यूनिकनेस डिज़र्व करते थे. खैर.

फिल्म की एक दिलचस्प बात ये भी है कि इसका विलेन पाकिस्तान नहीं, पाकिस्तानी है. टाइगर किसी देश के खिलाफ नहीं, एक इंडिविजुअल के खिलाफ लड़ रहा है. उसका जो मेन मिशन है, उसे बिना स्पॉइलर दिए बताना कठिन है, बस इतना जान लीजिए कि वो किसी मुल्क के खिलाफ हरगिज़ नहीं है.

कटरीना के एक्शन सीक्वेंसेस दमदार हैं. उन्हें फिल्म का हासिल कह सकते हैं. 

'टाइगर-3' की सबसे अच्छी बात ये है कि ये फिल्म ज़ोया के किरदार को पूरा स्पेस देती है. कहीं-कहीं तो सलमान से भी ज़्यादा. कटरीना ने तमाम एक्शन सीन्स निभाए भी उम्दा ढंग से हैं. वो कन्विंसिंग लगती हैं और कुछ-कुछ फ्रेम्स में बेहद स्टाइलिश. इस फिल्म से सबसे ज़्यादा किसी को फायदा होगा, तो वो कटरीना को ही होगा.

इमरान हाशमी के निभाए किरदार आतिश रहमान को मैं ठीक-ठाक कहूंगा बस. वो अच्छे एक्टर हैं. उन्होंने अपना पार्ट निभाया भी अच्छे ढंग से है. बस टाइगर के आगे एक दमदार विलेन बनने से वो थोड़ा चूक गए हैं. ये कमी सिर्फ इस फिल्म की नहीं, पूरे YRF स्पाई यूनिवर्स की है. उन्हें अपनी फिल्मों के विलेन तगड़े करने ही होंगे. तभी तो हीरो, हीरो जैसा लगेगा. 'जोकर' पावरफुल होगा, तभी तो 'बैटमैन' की पावर उभरकर सामने आएगी.

शाहरुख का बहुचर्चित कैमियो मज़ेदार है. उस सीक्वेंस के दौरान फिल्म में थोड़ा ह्यूमर आता है, जो अच्छा है. वरना ज़्यादातर वक्त फिल्म सीरियस ही बनी रहती है. अपने पहले फ्रेम से. शाहरुख़ के कैमियो में कुछेक चुटीले संवाद हैं, जो क्लियरली 'पठान' में सलमान के कैमियो का एक्सटेंशन है. वही स्टाइल, वही स्वैग, वही सहजता. आपको वो पसंद आया था, तो ये भी पसंद आएगा. बस एक गुज़ारिश है. सोशल मीडिया पर इस कैमियो के वीडियो घूम रहे हैं, उन पर क्लिक करने के मोह से बचिए. सीधे सिनेमा हॉल में देखिए. तभी मज़ा आएगा.

शाहरुख़ खान का कैमियो ‘पठान’ वाले सीक्वेंस का मज़ेदार एक्सटेंशन है. 

कुमुद मिश्रा, रेवती, रणवीर शौरी, रिधि डोगरा जैसे एक्टर्स को ज़्यादा स्क्रीन टाइम नहीं मिला है. हालांकि जितना भी मिला, उसे इन अच्छे कलाकारों ने पूरी संजीदगी से निभाया है. उनसे कोई शिकायत नहीं होती आपको.

ओवरऑल अगर आप सलमान फैन हैं, एक्शन फ़िल्में पसंद करते हैं या शाहरुख की अपियरंस वाली हर चीज़ देखने के आदी हैं, तो 'टाइगर-3' आपके ही लिए हैं. देख सकते हैं. बाकी लोग हमारे कहे बिना भी OTT पर आने का वेट करेंगे ही. 

वीडियो: टाइगर 3 में सलमान, शाहरुख, ऋतिक, इमरान और कैटरीन ये 12 कमाल की चीज़ें करने वाले हैं