Karan Johar ने Dharma Productions के बैनर तले बॉलीवुड को कई यादगार फिल्में दी हैं. मगर एक समय ऐसा भी था, जब ये प्रोडक्शन हाउस बर्बादी की कगार पर खड़ा था. ऐसे में Shah Rukh Khan मदद को आगे आए. मन न होने के बावजूद Mahesh Bhatt की Duplicate में काम किया. वो भी करण जौहर के एक फोन कॉल पर.
"मेरे पापा मर जाएंगे"- करण जौहर के एक कॉल पर शाहरुख ने धर्मा प्रोडक्शंस को बर्बादी से बचा लिया
शाहरुख खान, महेश भट्ट के साथ काम करना नहीं चाहते थे. मगर...
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इस बात की जानकारी फिल्ममेकर विवेक वासवानी ने दी है. विवेक शाहरुख और करण, दोनों के काफ़ी पुराने दोस्त हैं. रेडियो नशा से बातचीत के दौरान उन्होंने इस पूरा किस्सा तफसील से बताया. विवेक ने बताया कि करण के पिता और चर्चित फिल्ममेकर यश जौहर आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे थे. एक के बाद एक उनकी 'गुमराह', 'दुनिया' और 'मुकद्दर का फैसला' जैसी फिल्में फ्लॉप हो गई थीं. यही नहीं, 'अग्निपथ', जिसे बाद में कल्ट स्टेटस मिला, वो भी बॉक्स ऑफिस पर पिट गई थी. इस बात ने यश जौहर और उनकी कंपनी, दोनों के भविष्य को संकट में डाल दिया था.
ऐसे में महेश भट्ट ने यश जौहर की मदद करने का फैसला किया. वो धर्मा के लिए फ्री में फिल्म बनाने को तैयार हो गए. मगर शर्त ये रखी कि उसमें शाहरुख खान होने चाहिए. बता दें कि ये वो दौर था, जब 'दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे' रिलीज़ नहीं हुई थी. शाहरुख खान ने अभी अपने स्टारडम का पीक नहीं देखा था. बावजूद इसके, 'डर' और 'बाज़ीगर' जैसी मूवीज़ ने मार्केट में उनकी डिमांड को बढ़ा दिया था. लेकिन दिक्कत ये थी कि शाहरुख महेश भट्ट के साथ काम नहीं करना चाहते थे.

विवेक ने बताया,
"शाहरुख, भट्ट साहब के साथ काम नहीं करना चाहते थे. फोन पर झगड़े हुए थे. वासी खान नाम का एक आदमी था, जो फिरोज़ खान का एसोसिएट डायरेक्टर था. उसने मुझे फोन पर शाहरुख का सेक्रेटरी बताया और पूछा- 'तू कौन है? शाहरुख से बात नहीं करवाने वाला?' अब शाहरुख ने गलती से ये सुन लिया था. उसने फोन उठाया और उस आदमी को दिल्ली की भाषा में ऐसी-ऐसी गालियां दीं, जो मैंने कभी सुना तक नहीं था. फिर उसने मुझसे कहा- ‘अगर ये आदमी दोबारा फोन करेगा, तो मैं जाकर इसकी पिटाई कर दूंगा’."
कुल मिलाकर, शाहरुख का साफ़ कहना था कि वो महेश के साथ काम नहीं करेंगे. पहले भी दोनों को साथ लाने की कोशिश की जा चुकी थीं. मगर शाहरुख कभी तैयार नहीं हुए. बाद में उन्होंने महेश को समझाया कि वो जिस तरह का सिनेमा बनाते हैं, शाहरुख का काम उससे बिल्कुल अलग है. ये सब बातें चल रही थीं. तभी एक रात करण जौहर ने विवेक वासवानी को कॉल किया. यश जौहर और धर्मा की बुरी हालत के बारे में बताते हुए वो बोले- "मेरे पापा मर जाएंगे."

जब शाहरुख को ये बात पता चली तो वो यश जौहर के लिए अपनी ज़िद छोड़ने को तैयार हो गए. उन्होंने फिल्म करने के लिए हामी भर दी. उनका फिल्म से जुड़ना मतलब महेश भट्ट के रूप में फ्री का डायरेक्टर मिलना. हुआ भी ऐसा ही. दोनों ने साथ मिलकर 'डुप्लिकेट' बनाई. फिल्म फ्लॉप हो गई. मगर इससे धर्मा प्रोडक्शन के लिए चीज़ें थोड़ी बेहतर हुईं.

हालांकि विवेक बताते हैं कि इस फिल्म के दौरान महेश शायद ही कभी सेट पर मौजूद रहे थे. उनकी गैर-मौजूदगी में करण जौहर और शाहरुख ने ही इस फिल्म को बनाया था. बाद में इस जोड़ी ने 'कुछ-कुछ होता है', 'कभी खुशी कभी गम' और 'कल हो न हो' जैसी लगातार तीन बड़ी हिट फिल्में दीं.
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