एक्टर-फिल्ममेकर Prakash Raj ने National Film Awards पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने The Kashmir Files पर तंज कसते हुए कहा कि इन अवॉर्ड्स के साथ अब समझौता हो चुका है. उन्होंने वेटरन एक्टर Mammootty की तारीफ़ करते हुए कहा कि नेशनल अवॉर्ड्स उन जैसे कलाकार को डिजर्व नहीं करते.
नेशनल अवॉर्ड पर भड़के प्रकाश राज, बोले "कॉम्प्रोमाइज्ड है, अब सिर्फ फाइल्स-पाइल्स को मिलता है"
प्रकाश राज ने कहा कि केंद्र सरकार और नेशनल अवॉर्ड ज्यूरी ममूटी जैसे कलाकार का सम्मान करना डिजर्व नहीं करती है.


प्रकाश राज ने ये बात 55वें केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड्स से जुड़े एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही है. वो उस ज्यूरी के हेड हैं, जिन्होंने अवॉर्ड देने के लिए एक्टर्स का चुनाव किया. ममूटी को इस साल 'ब्रह्मयुगम' फिल्म में अपनी एक्टिंग के लिए बेस्ट एक्टर का केरला स्टेट फिल्म अवॉर्ड मिला. ये उनका इस श्रेणी में 7वां पुरस्कार है. ऐसे में प्रकाश राज ने उनकी तारीफ़ करते हुए कहा,
"ब्रह्मयुगम में ममूटी की प्रेजेंस और उनका हाव-भाव बहुत ही दमदार था. आज के नए एक्टर्स में अभी वैसे एक्सप्रेशंस नहीं हैं. ये कोई चैरिटी करने वाली संस्था नहीं है. यहां अवॉर्ड उसी को मिलना चाहिए, जो सच में सबसे अच्छा काम करे. अगर ममूटी इस उम्र में भी इतना शानदार काम कर रहे हैं, तो ये सबके लिए प्रेरणा की बात है."
हाल ही में शाहरुख खान और विक्रांत मैसी को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला है. ये पूछे जाने पर कि क्या ममूटी के साथ भेदभाव हुआ, प्रकाश ने कहा,
"मुझे ये कहने में कोई दिक्कत नहीं है कि नेशनल फिल्म अवॉर्ड अब कॉम्प्रोमाइज्ड हो चुका है. मुझे खुशी है कि मैं केरल अवॉर्ड्स का ज्यूरी चेयरमैन बना. ऐसा इसलिए क्योंकि जब उन्होंने मुझे बुलाया, तो साफ कहा कि हमें एक अनुभवी आउटसाइडर व्यक्ति चाहिए. हम आपके फैसले में दखल नहीं देंगे."

अपनी बात कहते हुए प्रकाश ने 'द कश्मीर फाइल्स' और सरकार पर भी तंज कस दिया. उन्होंने कहा,
"हमने देखा है कि नेशनल अवॉर्ड्स में ऐसा नहीं होता. फाइल्स और पाइल्स को अवॉर्ड मिलने लगे हैं. ऐसी ज्यूरी और ऐसी नेशनल गवर्नमेंट ममूटी जैसे कलाकार का सम्मान करना डिजर्व नहीं करती."
प्रकाश राज की बात से लोगों को शायद ये भ्रम हो कि ममूटी को कभी नेशनल अवॉर्ड नहीं मिला. मगर ऐसा नहीं है. अपने लंबे फिल्म करियर में उन्होंने बेस्ट एक्टर के तीन नेशनल अवॉर्ड्स जीते हैं. पहला अवॉर्ड उन्हें 1989 में 'ओरु वडक्कन वीरगाथा' के लिए मिला था. दूसरा अवॉर्ड उन्हें 1994 में मिला. रोचक बात ये है कि ये दूसरा अवॉर्ड उन्हें दो फिल्मों, 'विधेयन' और ‘पोंथन’ के लिए मिला था. वो एक ही साल में दो अलग-अलग फिल्मों के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले एकमात्र एक्टर हैं. तीसरा नेशनल अवॉर्ड उन्हें साल 1999 में 'डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर' बायोपिक के लिए दिया गया था.
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