इश्तियाक़ खान ने एक इंटरव्यू में अपने शुरुआती दौर के किस्से सुनाए.
'छमक छोरियां, से नयनवा लड़ावत वत वत वत वत वत…'
ये गाना सुनते ही रात के प्रोग्राम में काला चश्मा चढ़ाकर गाते हुए गायक की छवि उभरती है. कंधे तक लंबे बाल. गले में रुमाल और बॉडी लैंग्वेज खांटी ऑर्केस्ट्रा सिंगरों वाली. फिल्म है Tamasha और वो कलाकार हैं Ishtiyak Khan. एक ऐसा एक्टर जिसके किरदार फिल्मों में कुछ ऐसे रहते हैं, जैसे भोजन की थाली में अचार और चटनी का चटखारा. वो Salman Khan की Bharat में काम कर चुके हैं. Ranbir Kapoor की ‘तमाशा’ में नज़र आ चुके हैं. Phans Gaye Re Obama में अतरंगी अंग्रेज़ी सिखा चुके हैं. मगर तमाम बड़े सितारों के साथ इन फिल्मों की लंबी फेहरिस्त के पीछे काफी संघर्ष गया. उसकी जानकारी इंडस्ट्री में भी बहुत कम लोगों को है. कम ही लोग जानते हैं कि NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) ग्रैजुएट इश्तियाक़ खान एक दौर में ऑमलेट का ठेला लगाते थे. बेशक़, कोई काम छोटा नहीं होता.
मगर एक्टिंग सीखने और सिखाने के बाद ऑमलेट बेचने की क्या मजबूरी रही? ये उन्होंने डिजिटल कमेंट्री को दिए इंटरव्यू में बताया. बताया कि कैसे इस संघर्ष ने उनके व्यक्तित्व, उनके अभिनय को निखारा. उन्होंने कहा,
“तब मैं पन्ना (मध्य प्रदेश) में था. पैसे कमाने के लिए मैं स्कूल-कॉलेज के सालाना जलसों के लिए बच्चों को एक्टिंग सिखाता था. उनकी परफॉर्मेंस सेट करने का काम ले लेता था. बच्चे सर-सर करके बुलाते थे. अब ठंड के मौसम में स्कूल के पास ही मैं अंडे-ऑमलेट का स्टॉल लगाता था. तीन-चार दोस्त और थे मेरे साथ.”
इस स्टॉल पर ऐसा क्या हुआ कि इश्तियाक़ शर्मिंदा हो गए. इस बारे में उन्होंने कहा,
“एक दिन मेरे स्टॉल पर मेरा एक स्टूडेंट आ गया. अपने सर को अंडे बेचते देख वो हैरान रह गया. मुझे भी लगा कि अब मैं कैसे जाऊंगा सिखाने? स्कूल में सब टीचर कहते हैं मुझे. अगले दिन मैं नहीं गया. कुछ दिन बाद वो लड़का अपने पिता के साथ फिर आया. बोला- ‘पापा ये हैं हमारे सर’. वो भी हैरान. शर्मिंदगी सी होने लगी. बड़े संकोच से मैं स्कूल गया. मगर वहां जो फैकल्टी थे, उन्होंने कहा कि शर्मिंदगी कैसी! चोरी थोड़े ही कर रहे थे.”
# दोस्तों ने मुझसे कभी नहीं मांगे चाय के पैसे
इश्तियाक़ खान ने बताया कि पन्ना में वो कैसे माहौल में रहे. वहां दोस्तों ने उन्हें उनकी मुफ़लिसी का अहसास नहीं होने दिया. उन्होंने कहा,
“पन्ना शहर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया. अच्छी दुनिया का प्रतीक था मेरे लिए पन्ना. वहां जो मेरे दोस्त थे, उन्हें पता होता था कि इसके पास पैसे होते ही नहीं हैं. धोखे से भी नहीं बोलते थे वो कि चाय के पैसे दे दो. मेरे पास साइकिल नहीं थी. दोस्त के पास थी. मगर मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि वो साइकिल मेरी नहीं है. दोस्त का स्कूटर मुझे मेरा ही स्कूटर लगा. इन सब चीज़ों से बहुत कुछ सीखने को मिला.”
मुंबई पहुंचने के बाद उनके शुरुआती तजुर्बे ख़राब रहे. इस बारे में इश्तियाक़ खान ने कहा,
“जब मैं मुंबई पहुंचा तो वहां देखा कि वहां मुस्लिमों को घर देने से कतराते हैं लोग. मैंने ऐसा देखा ही नहीं था कभी. पन्ना में हमारे घर में 16 किराएदार रहते थे. उनमें मुस्लिम भी थे. ये मैंने पहले कहीं नहीं देखा था. इसने बहुत तकलीफ़ दी मुझे. पन्ना में सब एक दूसरे को जानते थे. जबकि मुंबई में कोई किसी को पूछता नहीं था. ये बड़ा कल्चरल शॉक था.”
इश्तियाक़ खान ने कई फिल्मों में छोटे मगर दिलचस्प किरदार किए हैं. ‘तीस मार खां’, ‘जॉली LLB’, ‘मैदान’, ‘भूल चूक माफ़’ और ‘विकी विद्या का वो वाला वीडियो’ में भी वा नज़र आ चुके हैं. वो कुछ एड फिल्म्स और IPL के प्रोमो का डायरेक्शन भी कर चुके हैं.
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