
कहानी करवट मार के नौ साल आगे जाती है. स्पैरो अपना सब कुछ खो चुका है. लक, कंपास और जहाज. ब्लैक पर्ल का किस्सा तो आप जानते ही होंगे, जो बोतल में बंद हो रखा है. स्पैरो अपना सब कुछ खो चुका है, सेम बात आप फिल्म के लिए भी कह सकते हैं. फिल्म से जॉनी डेप का जादू गायब है. वाओ मोमेंट गायब है. ये कहने की जरूरत क्यों पड़ती है कि जैक स्पैरो महान है. उसी तरह से तलवारों की लड़ाई के बीच चौंकाने वाले पल गायब हो गए हैं. इस फिल्म में एक वक़्त ऐसा आता है, जब आप खीझ उठते हैं. जॉनी डेप अच्छे लगने बंद हो जाते हैं. महसूस होता है. एक जहाज लेकर एक मिशन में निकलने, जैक स्पैरो बहुत महान है, ये बात बार-बार सुनने और समुंदर के बीच तलवारों की लड़ाई लड़ने और अंत में एक रहस्यमयी जगह पर कुछ अजूबा सा पा जाना, यही सब देखने क्या हम वापिस आए हैं?

डेड मैन अर्थात मुख्य विलेन का पदार्पण होता है. सारी दुनिया में हर कोई जैक स्पैरो से बदला लेना चाहता है, यही प्लान उसका भी है. विलेन अरमांडो सैलाज़ार हुआ. उसका ध्येय समुद्र के हर डाकू को मारना था. लेकिन जैक स्पैरो ने उसी को मार डाला था. अब वो मरे-मरे लौटकर आया है. उसे एक त्रिशूल की जरूरत है. सबको उसी त्रिशूल की जरूरत है. जिसे वो त्रिशूल मिल जाता वही सारे समुद्र पर राज करता.

इसके आगे आपको पता है सारा झगड़ा उसी को पाने का था. कहानी में कुछ नए किरदार भी जुड़े हैं. हेनरी टर्नर का बताया ही, वो विल टर्नर का बेटा था. कैरीना का पदार्पण भी हुआ, जो तारों के जरिये कुछ तलाश रही है, और जैसा कि होता है हेनरी के साथ जैक स्पैरो की जर्नी में शामिल हो जाती है.

विजुअल्स फिल्म के बहुत अच्छे हैं. शुरुआत में जब आप डार्क-डार्क सी चीजें देख रहे होते हैं, तभी से माहौल बनना शुरू होता है और ये अंत तक जारी रहता है. विजुअल्स और कैमरे के काम पर आप उंगली नहीं उठा सकते. हबड़-तबड़ का पूरा एक सीक्वेंस हुआ करता है, इस सीरीज में कभी झूले पर बवाल मचता है. तो कभी पूरी पनचक्की भाग उठती है. वैसा ही एक सीन है जब जैक स्पैरो को गिलोटिन पर चढ़ाया जा रहा होता है. जो बहुत मजेदार है. डायलॉग्स विटी हैं और इस सीरीज की गरिमा ( :p ) और इतिहास के साथ घटाटोप न्याय करते हैं. कम कहे को ज्यादा समझिएगा.
विलेन में ये खोट है कि वो घोर अंधेरे से आकर भी उस कदर डरा नहीं पाता. इससे ज्यादा तो एंजेलिका के पापा खतरनाक लगते थे. शेष अरमांडो सैलाज़ार का भूतिया रूप और स्पैनिश उच्चारण बेहतरीन लगता है. पूरी फिल्म में वो यूं नज़र आते हैं मानो पानी में कोई लाश बह रही है. ऐसे ही उनके पूरे जहाज का क्रू माने उनकी भूतिया सेना भी नज़र आती है. ये देखने में मजेदार लगता है. बच्चों को ये कैरेक्टर बहुत पसंद आएगा. इसे तैयार करने और पर्दे तक लाने में बहुत मेहनत लगी होगी. लेकिन समस्या ये कि वो गाजर मूली की तरह हर किसी को काट रहा होता है. और इससे डर नहीं लगता यार.

Fathers of the year
हॉलीवुड शायद मनमोहन देसाई की फिल्में देख रहा है. लोगन, गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी और पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन 5 में पापा प्रमुख हो पड़े हैं. पापा बच्चों को छोड़ देते हैं या बच्चे गुम जाते हैं. पापा जिम्मेदारी नहीं समझते और फिर बच्चा जब कुछ करने लग जाता है, दुनिया जमाने को लतियाने लगता है तो पापा उसका मुंह देख सुधरना चाहते हैं अंत में पापा बलिदान देते हैं. लोगन, योंडू और कैप्टन बार्बोसा उदाहरण है, क्लाइमैक्स में ये चीज आती है और सेंटी कर जाती हैं. बार्बोसा क्या करते हैं, फिल्म में देखें.
बाकी फिल्म खुद में मजेदार है. कहानी बंधकर चलती है बोर नहीं करती. हंसी वाले बहुत से मोमेंट है. जहाज़ों की लड़ाई के एक दो सीन छोड़ दिए जाएं तो ज्यादा ऐसे मौके नहीं आते कि आप कुर्सी की एज पर चले जाएं. क्लाइमैक्स उसी लेवल का है जैसा उम्मीद थी. जैक स्पैरो की चालबाजियां चलती हैं, कुछ झुरझुरी वाले पल आते हैं. अथाह समंदर की विशालता टाइप्स फील आता.
कुल जमा ये मजेदार फिल्म है. जॉनी डेप को स्पैरो बना देख लगता है, ये रोल उनके लिए कपड़े पहनने जितना आसान हो चुका है. फिल्म देखी जानी चाहिए अगर आपको क्रमश: मनमोहन देसाई और 80's की ट्रेजर हंट, अनाथ बच्चा और पापा गुम गए, लाकर रहूंगा/रहूंगी टाइप फिल्में पसंद हैं. वैसी फिल्में अच्छी न लगती हो तो भी जाएं, मजा आएगा. पैसे वसूल होंगे, ये फिल्म सबके लिए है.
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