वे जब भी स्क्रीन पर आते हैं तो छा जाते हैं. भले ही सीन में कोई भी हो सबकी नजरें इन्हीं पर होती है.
दी लल्लनटॉप के एडिटर सौरभ द्विवेदी से बात करते हुए उन्होंने अपनी पसंद की फिल्में बताई. साथ ही बताया कि कौन सी कहानी या किताब उनके मन को भायी है. आप भी जानिए-

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1. तिथि (2015, कन्नड़)
डायरेक्टर - राम रेड्डी. उनका लंबा इंटरव्यू यहां पढ़ सकते हैं
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प्लॉट - कर्नाटक के गांव की कहानी है. यहां एक परिवार रहता है. इसके सबसे उम्रदराज़ सदस्य की मौत हो जाती है. 101 साल की उम्र में. नाम होता है सेंचुरी गौड़ा. फिल्म में दिखाया गया है कि घर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति की तिथि यानी तेरहवीं आने तक परिवार कैसे रिएक्ट करता है. यानी गौड़ा के बेटे, पोते और पड़पोते के मन में क्या चल रहा है. यह सब मजेदार अंदाज में दिखाया जाता है. जैसे पोता जमीन बेचने की फिराक में है. और पड़पोता अपनी प्रेम कहानी में मशगूल है.
खास बातें - इसे कन्नड़ भाषा की बेस्ट फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला. फिल्म के मुख्य कलाकार भी गांवों के ही रहने वाले हैं. और उनका पेशा एक्टिंग नहीं है.
कहां देख सकते हैं - नेटफ्लिक्स
2. कोर्ट (2014, मराठी)
डायरेक्टर - चैतन्य तम्हाणे
प्लॉट - यह कहानी नारायण कांबले की है. वे अध्यापक और समाजसेवी हैं. साथ ही विरोध के गीत गाते हैं. एक दिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है. आरोप लगता है कि उनके एक गाने से प्रभावित होकर एक सफाई कर्मचारी ने सुसाइड कर ली. फिर शुरू होती है कोर्ट, पुलिस और वकीलों के जिरह की जद्दोजहद. ये फिल्म देश की न्याय प्रणाली की कठोरता को उजागर करती है.
खास बातें - फिल्म के ज्यादातर एक्टर नए और नॉन प्रोफेशनल हैं. फिल्म के डायलॉग चार भाषाओं में हैं. फिल्म को देश-विदेश में कई अवार्ड मिले. इनमें उस साल का बेस्ट फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी शामिल है. इसे ऑस्कर के लिए भी भेजा गया था.
कहां देखें - अमेरिका के खाते से एमेज़ॉन पर रेंट
कर सकते हैं. या फ्लिपकार्ट से डीवीडी
मंगा सकते हैं. ज़ाइटगाइस्ट पर
भी चैक कर सकते हैं.
3. किल्ला (2014, मराठी)
डायरेक्टर - अविनाश अरुण
प्लॉट - यह 11 साल के एक बच्चे की कहानी है उसके पिता का निधन हो गया. मां की ड्यूटी एक गांव में लग जाती है. अब कैसे वह बच्चा बदले हुए हालात का सामना करता है. और कैसे उसमें बदलाव आते हैं. साथ ही किस तरह उसकी मां काम और सिंगल पेरेंट के दबाव का सामना करती है. यह फिल्म में दिखाया गया है.
कहां देख सकते हैं - नेटफ्लिक्स
4. अंगामली डायरीज़ (2017, मलयालम)
डायरेक्टर - लिजो जोस पेलिसेरी
प्लॉट - केरल के अंगामली में एक लड़का रहता है पेपे. वो बचपन से अपने सीनियर्स की तरह बनना चाहता है. वो चाहता है कि उसका भी एक गैंग हो, जिनसे सब लोग डरें. वो अपना गैंग बना लेता है. छोटी-मोटी लड़ाइयां प्यार-व्यार चलता रहता है इनका. पेपे अपना केबल बिज़नेस बंद करके पॉर्क बिज़नेस में आता है. सबकुछ सही चल रहा था कि गलती से पेपे के हाथों दूसरे गैंग के मेंबर का मर्डर हो जाता है. पेपे और उसका गैंग वहां से कैसे निकलते हैं, ये कहानी इतनी ही है. लेकिन वो पूरे खालिसपने के साथ कही गई है. इस फिल्म की सबसे खास बात ये है कि यहां जो जैसा है, वैसा ही है. उसके साथ छेड़छाड़ करके उसे पॉलिटिकली करेक्ट बनाने की कोशिश नहीं है. यहीं ये मस्ट वॉच बन जाती है.
खास बातें - इस फिल्म से टोटल 86 लोगों ने अपना डेब्यू किया था. इसमें फिल्म के लीड एक्टर्स भी शामिल हैं. कैमरावर्क इतना एक्सपेरिमेंटल कि क्लाइमैक्स में एक 11 मिनट का अन कट शॉट है, जिसमें कुल 1000 आर्टिस्ट्स नज़र आते हैं.
कहां देख सकते हैं – नेटफ्लिक्स
5. सुपर डीलक्स (2019, तमिल)
डायरेक्टर - त्यागराजन कुमारराजा
प्लॉट - इसमें चार कहानियां हैं. लेकिन आपस में गूंथी हुई. एक कहानी है मूजिल और वीम्बू की. दोनों पति-पत्नी हैं. वीम्बू एक दिन अपने प्रेमी को घर बुला लेती है. दोनों संबंध बनाते हैं. इसी दौरान प्रेमी मर जाता है. फिर किस तरह पति-पत्नी मिलकर लाश को ठिकाने लगाते हैं. यह फिल्म का एक हिस्सा है. दूसरी कहानी है शिल्पा नाम के ट्रांसजेंडर की. वह पहले पुरुष होता है. शादी करता है. फिर एक दिन अचानक घर से चला जाता है. वह एक महिला के रूप में लौटता है. यह देखकर सब हैरान रह जाते हैं. कहानी में आगे उसके और उसके बच्चे के रिश्ते के बारे में बताया गया है. तीसरी कहानी है चार टीनेजर दोस्तों सूरी, बालाजी, वसंत और त्युवन की. चारों पॉर्न मूवी देखने में जुटते हैं. इसी दौरान सूरी को पता चलता है कि उसकी मां (लीला) पॉर्न एक्ट्रेस है. गुस्से में आकर वह टीवी तोड़ देता है. अब बाकी दोस्त मिलकार टीवी की भरपाई कैसे करते हैं. यह काफी मजेदार है. चौथी कहानी सूरी और लीला की है. मां को पॉर्न फिल्म में देखने पर मारने जाता है. लेकिन वह सीढ़ियों में फिसल जाता है. अब उसके पिता और माता किस तरह उसके इलाज के लिए जद्दोजहद करते हैं. यह आगे दिखाया गया है. फिल्म आपस में जिस तरह जुड़ती है. वह देखना रोमांचक है.
कलाकार - विजय सेतुपति, फहद फासिल, समांता, रम्या कृष्णन.
कहां देखें - नेटफ्लिक्स
, यूट्यूब
6. न्यूटन (2017, हिंदी)
डायरेक्टर - अमित मासुरकर
प्लॉट - कहानी है एक नए-नए सरकारी अधिकारी की. नाम है न्यूटन. वह बेहद ईमानदार है. उसे नक्सल प्रभावित इलाके में चुनाव की ड्यूटी दी जाती है. फिर सामने आती है सच्चाई. कि सब कुछ सोचने जितना आसान नहीं होता. फिर कैसे वह चुनाव कराता है. और उसके सामने क्या-क्या परेशानियां आती है. इसे फिल्म में मनोरंजक तरीके से दिखाया गया है.
कलाकार - राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, रघुवीर यादव, अंजलि पाटील.
कहां देख सकते हैं - एमेज़ॉन प्राइम
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7. गुड़गांव (2017, हिंदी)
डायरेक्टर - शंकर रमन
प्लॉट - केहरी सिंह गुड़गांव का बड़ा बिल्डर है. उसका बेटा है निक्की. और बेटी प्रीत. केहरी सिंह बेटी को अपना लकी चार्म मानता है. क्योंकि जब से वह आई है वह जमीन से आसमान पर पहुंच गया. लेकिन निक्की इस बात से कुढ़ता रहता है. एक दिन निक्की जुए में बड़ी रकम हार जाता है. फिर शुरू होती है छल, प्रपंच की कहानी. इससे ऐसा बवंडर आता है जिससे केहरी सिंह का पूरा परिवार उलट-पुलट जाता है.
कलाकार - पंकज त्रिपाठी, रागिनी खन्ना, अक्षय ऑबेरॉय.
कहां देख सकते हैं - नेटफ्लिक्स
, हॉटस्टार
8. राग दरबारी (1968, बुक)
किस बारे में है - व्यंग्य प्रधान उपन्यास है. ग्रामीण भारत और सरकारी तंत्र का खाका बेमिसाल तरीके से लिखा गया है. किताब का एक-एक किरदार अपने आप में कहानी है. राग दरबारी’ के व्यंग्य आज के समय में भी उतने ही खरे और चोट करने वाले हैं.
लेखक - श्रीलाल शुक्ल
प्रकाशक - राजकमल
कीमत - 163.80 रुपये. किंडल वर्जन.
इसके अलावा पंकज त्रिपाठी ने फणीश्वरनाथ रेणु, विनोद कुमार शुक्ल की सभी कहानी, उपन्यास पढ़ने को कहा. साथ ही उदय प्रकाश और अखिलेश की कहानियां. और केदारनाथ सिंह, बाबा नागार्जुन, दुष्यंत कुमार और सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताएं पढ़ने की भी सलाह दी.
Video: पंकज त्रिपाठी के साथ पूरा इंटरव्यू यहां देखें