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वेब सीरीज़ रिव्यू: वन पीस

बीते 25 सालों में 'वन पीस' की कुल 108 वॉल्यूम्स लिखी जा चुकी हैं, 1065 एपिसोड्स निकाले जा चुके हैं. लेकिन नेटफ़्लिक्स ने हमारा-आपका काम आसान कर दिया है. और, निराश नहीं किया है!

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ये है स्ट्रॉ हैट क्रू. बाएं से दाएं: सान्जी, ज़ोरो, लूफ़ी, नामी, उसॉप. (फोटो - IMDB)

हमारे ज़हन में कार्टून हमेशा बच्चों के दिल बहलाने वाले नुस्ख़े की तरह देखा जाता है. जिस तरह के कार्टून्स अब हैं, उन्हें शायद वैसे ही देखा भी जाना चाहिए. हालांकि, हर जनरेशन का ये दावा तो शाश्वत है कि 'हमारे दौर के सिनेमा की बात और थी..' लेकिन एक चीज़, जिसका स्तर अब तक बुलंद है, वो है ऐनिमे. ऐनिमे माने जापान में बनी एनीमेशन पिक्चर या सीरीज़. नारूटो, ड्रैगन बॉल-ज़ी, डेथनोट.. मुमकिन है आपने इनके नाम सुने हों. कम से कम इनके कैरेक्टर्स और गुडीज़ से तो वाक़िफ़ होंगे ही. इसी कलेवर और मान-प्रतिष्ठा का एक और ऐनिमे है, वन पीस (One Piece).

1997 में इसकी कॉमिक्स छपनी शुरू हुई, जिसे जापानी में मान्गा (manga) कहते हैं. और, बीते 25 सालों में इसकी कुल 108 वॉल्यूम्स लिखी जा चुकी हैं. हज़ार से ज़्यादा चैप्टर्स. ‘वन पीस’ के नाम सबसे ज़्यादा प्रतियां छापने का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है. अब तक 52 करोड़ से ज़्यादा कॉपीज़ बिक चुकी हैं. मान्गा को रचने वाले एयचीरो ओडा ने सोचा था कि पांच सालों में ही चुक जाएंगे. मगर किरदार मिलते गए, कहानी के साथ घुलते गए और कारवां बढ़ता गया. अभी भी जारी है और अंत से बहुत दूर है. 1999 में इस सीरीज़ पर ऐनिमे बना, जिसके अब तक 1065 एपिसोड्स निकल चुके हैं.

ऐनिमे का पोस्टर और मान्गा का पोस्टर (फोटो - विकी)

अब जो जनता पांच सीज़न वाले 'ब्रेकिंग बैड' के लिए मन नहीं बना पा रही, वो हज़ार चैप्टर्स क्या ख़ाक पढ़ेगी! हज़ार एपिसोड्स क्या ख़ाक देखेगी! यही नेटफ़्लिक्स वालों ने भी सोचा. और, इसीलिए 'वन पीस' का लाइव-ऐक्शन अडैप्टेशन बना डाला. अब हमारे और आपके जैसे सहूलियती लोगों का काम आसान हो गया है.

‘कार्टून’ की कहानी क्या है?

पहले तो इसे कार्टून न कहें. दुखता है. हमको भी और जो इसके जब्बर वाले फ़ैन्स हैं, उनका तो एक विश्व ऐनिमे परिषद है. वो तो तुरंत फ़तवा जारी कर देते हैं. इसीलिए थोड़ी मर्यादा रखिए. ऐनिमे अपने आप में एक विधा है. उसका व्याकरण ही अलग है. इसमें भी कहानियां काल्पनिक या असल जीवन पर आधारित होती हैं. कल्पना में फ़ैंटसी की भी संभावना हो सकती है. एक ऐसी दुनिया, जो है ही नहीं. मगर आप उससे रिलेट करते हैं. क्योंकि किरदारों की क्राइसिस और भावनाएं आपके जैसी ही हैं.

ये कहानी है, मंकी डी लूफ़ी की. 17-18 साल का एक बेफ़िक्र और पुर'उम्मीद लड़का, जिसे समुद्री लुटेरों का राजा बनना है. और जितनी बार वो अपना परिचय इस तरह देता है, लोग उस पर हंसते हैं. लूफ़ी की लड़ाई इन्हीं लोगों के ख़िलाफ़ है. जो उसके ख़्वाब पर हंस रहे हैं, उसके रास्ते में आ रहे हैं. राजा बनने के लिए उसे चाहिए ख़ज़ाना. ऐसा ख़ज़ाना, जो किसी को नहीं मिला: द वन पीस. लूफ़ी इसी ख़ज़ाने की खोज पर निकल चुका है. कुछ दोस्त बना लिए हैं, जो अलग-अलग कलाओं और कौशल में माहिर हैं. उनकी अपनी कहानियां हैं, अपनी जटिलता है, अपने ख़्वाब हैं.

लूफ़ी को अपने लिए ख़ज़ाना नहीं चाहिए, वो बस अपने ख़्वाब के पीछे है. लुटेरों का राजा बनने का ख़्वाब. 

लूफ़ी एक अच्छा दोस्त है. अच्छा आदमी है.. एक अच्छा लुटेरा है. लुटेरा और अच्छा, एक ही पंक्ति में लिखते हुए जो विरोधाभास हुआ, वही इस ग्रैंड सीरीज़ का भी विरोधाभास है. इसको समझिए. 'वन पीस' एक शोनेन (shonen) है. जापानी कॉमिक्स और ऐनिमेटेड फिल्मों की ऐसी शैली, जिसका टार्गेट ऑडियंस 15-17 साल के लड़के होते हैं. जिसमें आमतौर पर कथानक ऐक्शन से भरपूर होता है. लेकिन ऐक्शन परोसने के साथ मेकर्स का ध्यान इस बात पर ज़्यादा रहता है कि वो कह क्या रहे हैं? उस उम्र के दर्शकों में कहानी किस तरह का संदेश छोड़ रही है? इस मनसूबे के साथ मेकर्स कहानी को हमेशा नैतिक रूप से सही की तरफ़ झुकाते हैं. यानी ग्रे के समुंदर में तो आप बाद में उतरेंगे. पहले सही और ग़लत को पहचानिए. सही को चुनिए. इसीलिए इस तरह की सीरीज़ में doing the right thing का ज़ोर रहता है. न्याय, सच्चाई, इज़्ज़त, आज़ादी, वादे की क़ीमत, दोस्ती जैसे मूल्यों पर ज़ोर रहता है. माने हमारा हीरो समुद्री लुटेरा ज़रूर है, लेकिन उसका दिल सही जगह पर है. वो क़ानून से ज़्यादा न्याय को तरजीह देता है.

देखें कि न देखें?

जो लोग पाइरेट्स वाली कहानियों में दिलचस्पी रखते हैं, उनका मन ख़ुश हो जाएगा. शो में समय-समय पर जादू-वादू भी देखने को मिलेगा. मुझे फ़ैंटसी जॉनर बहुत पसंद है. पाइरेट्स के क़िस्से भी और ठीक-ठाक मात्रा में ऐनिमे भी. इसीलिए मेरे लिए तो ये कॉक-टेल ग़ज़ब ही कॉम्बो था. ऐनिमेज़ के साथ अक्सर ये संकट रहता है कि लाइव बनेगा, तो कैसा बनेगा? मैंने ऐनिमे के उतने एपिसोड्स देखे हैं, जितने कार्टून नेटवर्क पर एयर किए गए थे. उस लिहाज़ से मुझे सीरीज़ का ऐक्शन कहीं भी उन्नीस नहीं लगा. बिलाशक ऐनिमे में तफ़सील की गुंजाइश रहती है. कुछ ऐक्शन सीक्वेंसेज़ - जो ऐनिमे में छह-छह आठ-आठ एपिसोड्स में दिखाए गए हैं - वो सीरीज़ में 15 मिंट में निपटा दिए गए हैं. लेकिन इतना तो उदार आपको होना पड़ेगा. जो कहानी 108 वॉल्यूम्स में न समेटी जा सकी, उसे 5-10 सीज़न में समेटने के लिए बेरहमी से छंटाई तो होगी. मेकर्स ने वही किया है.

ज़ोरो (मैकेन्यू) और लूफ़ी (इनाकाई गोडोय). 

ऐनिमे के कुछ जब्बर फ़ैन्स की कहें, तो थ्रिल मिसिंग है. क्योंकि किसी भी सीक्वेंस या सब-प्लॉट को पकने का पर्याप्त समय नहीं मिलता. लेकिन आप और हम तो प्रथम-दृष्टया हैं.  हमारे लिए तुलना को कुछ नहीं. हमारे लिए जो हाइप दिख रहा है, उतना ही है. पूरा क्रेडिट शो के मेकर्स, श्रोता मैट ओवेन्स और स्टीवन मैडा को. उन्होंने मान्गा के विचार के वैविध्य को पहचाना है और किसी भी चीज़ को ज़रूरत से ज़्यादा जगह देने से परहेज़ किया है.

मंकी डी लूफ़ी की भूमिका में इनयाकी गोदोय हैं. लूफ़ी के साथ अभी पांच दोस्त हैं. तीन तलवारों वाले कूल पायरेट-हंटर रोरोनोआ ज़ोरो का रोल मैकेन्यू ने, शातिर चोर नामी का रोल एमिली रड ने, क़िस्सा-गो उसॉप का रोल जेकब रोमेरो गिब्सन ने और टू-पीस-सूट में लात-घूसों के पारंगत शेफ़ सान्जी का रोल टैज़ स्काइलर ने किया है. पहले सीज़न में कहानी का माहौल बनाया गया है. ख़बरों की मानें, तो दूसरे सीज़न की स्क्रिप्टिंग पूरी हो चुकी है. अभी सही समय है, यात्रा में सवार हो जाइए.

लूफ़ी अपने क्रू के साथ ख़तरनाक़ समुंद्र के रास्ते ख़ज़ाना की खोज में निकल चुका है.

नेटफ़्लिक्स की 8 एपिसोड वाली ये सीरीज़ आपसे एक ही बात कहेगी - समुद्र, रोमांच और एक ज़िंदा सफ़र के लिए कश्तियों की रस्सियां खोलिए और निकल पड़िए..