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वेब सीरीज़ रिव्यू- नवरस

'नवरस' पैंडेमिक के दौरान फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे तमाम लोगों की मदद करने की मक़सद से बनाई गई है.

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नेटफ्लिक्स पर आई नई वेब सीरीज़ 'नवरसा' के पोस्टर्स.
नेटफ्लिक्स पर एक नई वेब सीरीज़ रिलीज़ हुई है, जिसका नाम है 'नवरसा'. तमिल सीरीज़ इसलिए इसका नाम भी तमिल भाषा में है. हिंदी में हम उसे नवरस कह सकते हैं. किसी काव्य या किसी भी क्रिएशन को पढ़ने-सुनने-देखने पर आपको जो भाव महसूस होता है, उसे रस कहते हैं. एक्टिंग या परफॉरमिंग आर्ट्स के ऊपर जो पहली किताब लिखी गई थी, उसका नाम है नाट्यशास्त्र. इसे भरत मुनि ने लिखा था. नाट्यशास्त्र के मुताबिक कुल 9 रस होते हैं.
1) करुणा रस, 2) श्रृंगार रस 3) हास्य रस 4) वीर रस 5) वीभत्स रस 6) भयानक या भय रस 7) रौद्र रस 8) अद्भुत रस और 9) शांत रस.
नाट्यशास्त्र के मुताबिक नवरस.
नाट्यशास्त्र के मुताबिक नवरस.


हालांकि बाद में इस लिस्ट में कुछ नाम और जोड़े गए. मगर हम यहां एक नेटफ्लिक्स सीरीज़ की बात कर रहे हैं, जिसका नाम है 'नवरस'. इसलिए हम सिर्फ इन नौ रसों की ही बात करेंगे. नौ एपिसोड्स की इस सीरीज़ में हर रस के बारे में एक कहानी है. आगे हम एक-एक कर उन्हीं कहानियों के बारे में बात करेंगे.
Navarasa
नेटफ्लिक्स सीरीज़ 'नवरस' का पोस्टर.


# पहली कहानी है- 'एथिरी'. ये करुण या करुणा रस के बारे में है. इस एपिसोड को डायरेक्ट किया है बिजॉय नाम्बियार ने. ये सावित्री नाम की एक अधेड़ उम्र महिला की कहानी है, जिसने पिछले 10 सालों में अपने पति से बात नहीं की है. एक दिन अचानक धीना नाम का एक व्यक्ति आता है और उसके पति की हत्या करके चला जाता है. सावित्री अपने पति के कातिल को अपनी आंखों के सामने से जाते हुए देख लेती है. कुछ समय के बाद धीना लौटकर आता है और सावित्री से माफी मांगता है. मगर सवाल ये है कि क्या वो धीना को कभी माफ कर पाएगी?
इस एपिसोड में सावित्री का रोल रेवती और धीना का रोल विजय सेतुपति ने किया है. सावित्री के पति और धीना के पिता के डबल रोल में दिखे हैं प्रकाश राज. इस एपिसोड के एक सीन में धीना कहता है कि सावित्री उसे ऐसे देखती है, मानों उसने भूत देख लिया हो. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सावित्री का कैरेक्टर काफी जटिल है. वैसे तो इस कहानी का मक़सद ये दिखाना है कि सावित्री बड़ी कंपैशनेट महिला है. वो अपने पति के कातिल को भी माफ कर देती है. मगर एक्चुअली में ऐसा होता नहीं है. इस कहानी का फोकस कंपैशन यानी करुणा से शिफ्ट होकर गिल्ट यानी अपराध बोध पर चला जाता है. ये चीज़ खलने की बजाय इस कहानी को और प्रासंगिक और रिलेटेबल बना देती है.
ये एपिसोड इस सीरीज़ का बढ़िया स्टार्ट देता है. बिजॉय नाम्बियार को एक ऐसे फिल्ममेकर के तौर पर जाना जाता है, तो किरदारों के कॉन्प्लेक्स नेचर को एक्सप्लोर करते हैं. मगर इस एपिसोड को देखने के दौरान आपको लगातार ये महसूस होता है कि डायरेक्टर के विज़न को परदे पर उतारने में समय की कमी आड़े आ रही है. इसलिए इंट्रेस्टिंग होते हुए भी ये फिल्म बहुत प्रभाव नहीं छोड़ पाती है.
करुणा सर की फिल्म 'एथिरी' का पोस्टर. इसमें रेवती, विजय सेतुपति और प्रकाश राज ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. इसे डायरेक्ट किया है बिजॉय नाम्बियार ने.
करुणा सर की फिल्म 'एथिरी' का पोस्टर. इसमें रेवती, विजय सेतुपति और प्रकाश राज ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. इसे डायरेक्ट किया है बिजॉय नाम्बियार ने.


# इस सीरीज़ की दूसरी कहानी का नाम है- 'समर ऑफ 92'. प्रियदर्शन डायरेक्टेड ये एपिसोड हास्य रस के बारे में है. वेलुस्वामी नाम के एक बुरे स्टूडेंट की कहानी, जो अब एक चर्चित कॉमेडियन और एक्टर बन चुका है. उसे एक दिन उसके स्कूल में भाषण देने के लिए बुलाया जाता है. यहां वेलुस्वामी अपने स्कूल टाइम की वो घटना बताता है जब उसके प्रिंसिपल ने अपने पेट डॉग किंग को भगाने का टास्क उसे दिया था. मगर ये इतनी अनफनी और वीयर्ड स्टोरी है, जिसे देखने के बाद हंसी नहीं सिर्फ घिन आती है.
इस फिल्म में वैसे तो किस्मत और क्लास में फेल होने से फर्क नहीं पड़ता टाइप बड़ी-बड़ी बातें होती हैं. मगर इस कहानी का क्लाइमैक्स पॉटी में लिपटे एक कुत्ते के बारे में है. साथ ही ये पूरी फिल्म बॉडी शेमिंग और कास्टिस्ट जोक्स से भरी पड़ी है. कहानी का नायक वेलुस्वामी तथा कथित निचली जाति से आता है और शरीर से मोटा है. इसलिए इस पूरे एपिसोड के दौरान उसके टीचर उसे सुअर कहकर बुलाते हैं. हास्य रस की इस कहानी को देखने के दौरान आपको कहीं वो रस महसूस नहीं होता. सिर्फ वेलुस्वामी बने एक्टर योगी बाबू के लिए बुरा लगता है. जिन्हें पिछले दिनों 'मंडेला' जैसी सोशली और पॉलिटिकली रेलेवेंट फिल्म में देखा गया था. ये एपिसोड इस सीरीज़ का सबसे बड़ा लेट डाउन है.
हास्य रस की कहानी 'समर ऑफ 92' के एक सीन में योगी बाबू.
हास्य रस की कहानी 'समर ऑफ 92' के एक सीन में योगी बाबू. इस फिल्म को प्रियदर्शन ने डायरेक्ट किया है. 


# सीरीज़ की तीसरे एपिसोड का नाम है- 'प्रोजेक्ट अग्नि'. ये अद्भुत रस की बात करती है यानी कोई ऐसी चीज़ जो आश्चर्यजनक है. इस एपिसोड को डायरेक्ट किया है कार्तिक नरेन ने. ये विष्णु नाम के एक साइंटिस्ट की कहानी है, जो टाइम ट्रैवल और कंप्यूटर सिमुलेशन टाइप की टेक्निकल चीज़ों के चक्कर में अपनी फैमिली खो देता है. मगर इस दौरान उसे कुछ ऐसी चीज़ें पता चलती हैं, जो इस दुनिया को बर्बाद कर सकती हैं. दुनिया को बचाने के लिए वो ISRO साइंटिस्ट और अपने खास दोस्त कृष्णा की मदद लेता है. मगर इस प्रोसेस में उससे गलती से मिस्टेक हो जाती है.
'प्रोजेक्ट अग्नि' में अरविंद स्वामी और प्रसन्ना ने मुख्य किरदार निभाएं हैं. ये एक साइंस फिक्शन थ्रिलर एपिसोड है, जिसमें गॉड जैसी किसी चीज़ के होने पर संदेह ज़ाहिर किया जाता है. ये कहा जाता है कि हम सब किसी सिमुलेशन का हिस्सा हैं. और दुनिया अपने आप में एक साइंस फिक्शन मूवी है. 'कोहेरेंस' और 'द मैट्रिक्स' जैसी मूवीज़ के तर्ज पर इस एपिसोड में कई ऐसी चीज़ों होती हैं, जो आपका ध्यान आकर्षित करती हैं. कहानी के साथ इनवॉल्व होने का मौका देती हैं. एग्जिस्टेंशियल क्वेंश्चन पूछती है. कुल मिलाकर दर्शकों को बढ़िया थ्रिल महसूस करवाती है. मगर जो फिल्म इतनी साइंटिफिक बातें कर रही है, उसके किरदारों का नाम विष्णु, कृष्णा और लक्ष्मी रखना थोड़ा अजीब तो लगता है. हो सकता है ये मेकर्स ने जानबूझकर किया हो. मगर ये चीज़ कहानी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है.
अद्भुत रस की कहानी 'प्रोजेक्ट अग्नि' के एक सीन में अरविंद स्वामी. इस फिल्म को कार्तिक नरेन ने डायरेक्ट किया है.
अद्भुत रस की कहानी 'प्रोजेक्ट अग्नि' के एक सीन में अरविंद स्वामी. इस फिल्म को कार्तिक नरेन ने डायरेक्ट किया है.


# चौथे एपिसोड का नाम है- 'पायसम'. ये वीभत्स रस की कहानी है. इस एपिसोड का नाम तमिल नाडु में बनने वाली एक स्वीट डिश के ऊपर रखा गया है. टी. जानकीरमन की कहानी से प्रेरित इस एपिसोड को डायरेक्ट किया है वसंत साई ने. ये फिल्म 1965 के तमिल नाडु में घटती है, जहां सुब्बूरायन नाम के एक व्यक्ति के घर शादी चल रही है. सुब्बू अपने इलाके के सबसे सफल व्यक्तियों में से हैं. इसलिए सबलोग उनकी इज्ज़त करते हैं. सुब्बू के एक बुजुर्ग चाचा हैं, जिन्हें वो अपना फादर फिगर मानते हैं. मगर चाचा जी सुब्बू की सफलता से जलते हैं. उन्हें लगता है कि सुब्बू की वजह से उन्हें वो सम्मान नहीं मिल पा रहा, जिसके वो हकदार हैं. उन्हें दरकिनार कर दिया गया है. इसलिए वो तय करते हैं चाहे जो हो जाए, सुब्बू के बेटी की शादी में नहीं जाएंगे. बहुत मान-मनौव्वल के बाद वो शादी में तो आते हैं. मगर कुछ ऐसा कर देते हैं, जिसके बारे में सुब्बू को तो नहीं पता चलता है. मगर चाचाजी के खुद के बच्चे उन्हें घिन की नज़र से देखने लगते हैं.
इस एपिसोड में डेल्ही गणेश और अदिती बालन ने मुख्य किरदार निभाएं हैं. इस एपिसोड में आपको इस सीरीज़ की सबसे अच्छी कहानी देखने को मिलती है. क्योंकि इस कहानी की मदद से जो भाव मेकर्स दर्शकों तक पहुंचाना चाहते थे, वो कायदे से पहुंच पाता है. ये कहानी एंटरटेनिंग है, वेल परफॉर्म्ड है और इस सीरीज़ का मान रखती है. चीज़ों के बारे में थोड़ा और विस्तार से बताया जाता, तो इसका मज़ा कई गुणा और बढ़ जाता है. मगर समय की कमी की वजह से डिटेलिंग में थोड़ी कमी लगती है. बावजूद इसके 'पायसम' एक मुक्कमल और कम्पेलिंग स्टोरी है.
वीभत्स रस की कहानी 'पायसम' के एक सीन में एक्टर डेल्दी गणेश. इस फिल्म को वसंत साई ने डायरेक्ट किया है.
वीभत्स रस की कहानी 'पायसम' के एक सीन में एक्टर डेल्ही गणेश. इस एपिसोड को वसंत साई ने डायरेक्ट किया है.


# इस सीरीज़ के पांचवें एपिसोड का नाम है- 'पीस'. ये शांत रस की कहानी है. इस फिल्म को डायरेक्ट किया है कार्तिक सुब्बाराज ने. ये कहानी श्रीलंकन सिविल वॉर के बैकड्रॉप में घटती है. जहां LTTE के लोग श्रीलंकन आर्मी से लड़ रहे हैं. इसी दौरान LTTE के कैंप में एक बच्चा घुस आता है. वो बताता है कि जब आर्मी की वजह से उन्हें अपना गांव छोड़ना पड़ा, तब उसने अपने छोटे भाई को एक कमरे में बंद करके वहीं छोड़ दिया था. ताकि उसकी जान बच सके. ऐसे में LTTE का सिपाही उस बच्चे की मदद करने की कोशिश करता है. इस एपिसोड का बेसिक प्लॉट यही है.
इस एपिसोड में गौतम वासुदेव मेनन और बॉबी सिम्हा ने मेन रोल्स किए हैं. वैसे तो ये कहानी रफ होते हुए भी बड़ी डेलिकेट लगती है. मगर इसकी कुछ चीज़ें बड़ी जबरदस्ती ठूंसी हुई लगती हैं. इस कहानी के साथ आपका एक इमोशनल कनेक्ट बनता है. मगर जिस तरह से ये फिल्म खत्म होती है, वो असलियत से बहुत दूर और बेवकूफाना लगती है.
शांत रस की कहानी 'पीस' में लीड रोल करने वाले एक्टर बॉबी सिम्हा. इस फिल्म को कार्तिक सुब्बाराज ने डायरेक्ट किया है.
शांत रस की कहानी 'पीस' में लीड रोल करने वाले एक्टर बॉबी सिम्हा. इस फिल्म को कार्तिक सुब्बाराज ने डायरेक्ट किया है.


# इस सीरीज़ की छठी फिल्म है- 'रौद्रम'. जो कि रौद्र रस के बारे में है. इस एपिसोड को डायरेक्ट किया है अरविंद स्वामी ने. ये अरविंद का डायरेक्टोरियल डेब्यू है. इस एपिसोड की कहानी अरुल नाम के एक लड़के की है, जो हथौड़ी से मारकर एक आदमी की हत्या कर देता है. इनवेस्टिगेशन के दौरान पता चलता है कि अरुल ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उस व्यक्ति ने उसकी मां की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश की थी. अरुल की कहानी के पैरलल एक महिला IPS ऑफिसर की कहानी भी चलती रहती है, जो बेहद गुस्सैल और हिंसक है. बाद में पता चलता है कि अरुल और वो महिला ऑफिसर भाई-बहन हैं. और दोनों के गुस्से की वजह से एक ही है.
ये बड़ी घिसी-पिटी और कन्वेंशनल कहानी है. इस एपिसोड में आपको कुछ भी ऐसा नहीं मिलता, जो नया हो. दूसरी बात कि ये एक बड़ी मैनली कहानी है. इस कहानी में त्रासदी महिलाओं के साथ हुई है. मगर उनकी बात इस कहानी में कहीं नहीं होती. सबकुछ अचानक से मर्दों के बारे में हो जाता है. इस एपिसोड में एक सीन है, जहां एक पुलिसवाला इनवेस्टिगेशन के दौरान अरुल के पैंट में हाथ डालने की कोशिश करता है. मगर इस बारे आगे कहीं कुछ दिखाया-बताया नहीं जाता. सबकुछ घटता चला जाता है. मगर आपको कभी उसकी गंभीरता का अंदाज़ा नहीं लग पाता.
रौद्र रस की कहानी 'रौद्रम' के एक सीन में एक्टर श्री राम. इस फिल्म को अरविंद स्वामी ने डायरेक्ट किया है.
रौद्र रस की कहानी 'रौद्रम' के एक सीन में एक्टर श्री राम. इस फिल्म को अरविंद स्वामी ने डायरेक्ट किया है.


# इस सीरीज़ की सातवीं फिल्म है- 'इनमाई'. ये भय रस की कहानी. इस एपिसोड को डायरेक्ट किया है रथिंद्रन प्रसाद ने. ये कहानी आज के समय में पुदुचेरी में घटती है, जहां वहीदा नाम की महिला रहती है. एक दिन उसके घर फारूक नाम का आदमी आता है. वो किसी कागज़ पर वहीदा का दस्तखत लेने आया है. मगर वहीदा को कुछ समय के बाद पता चलता है कि फारूक वो आदमी नहीं है, जो वो बता रहा है. फ्लैशबैक की मदद से हमें इन दोनों किरदारों की बैकस्टोरी पता चलती है.
इस एपिसोड में वहीदा का रोल पार्वती और फारूक के रोल में सिद्धार्थ नज़र आए हैं. ये इस सीरीज़ का सबसे थ्रिलिंग और अनप्रेडिक्टेबल एपिसोड है. ये एपिसोड डर और गिल्ट जैसे ह्यूमन इमोशंस के इर्द-गिर्द घूमता है. ये दोनों भाव इंसानी दिमाग को किस हद तक ले जा सकते हैं, ये आपको इस कहानी में दिखाने की कोशिश की जाती है. इस एपिसोड का म्यूज़िक बेहद सुंदर है. एक भयावह कहानी के बीच नेपथ्य से आने वाला संगीत, एपिसोड के मूड को एलेवेट कर देता है. इस एपिसोड का म्यूज़िक विशाल भारद्वाज ने कंपोज़ किया है. 'पायसम' के बाद इस सीरीज़ का दूसरा एपिसोड, जो थोड़ा ठीक लगता है.
भय रस की कहानी 'इनमाई' के एक सीन में एक्टर सिद्धार्थ और पार्वती. इस फिल्म को रथिंद्रन प्रसाद ने डायरेक्ट किया है.
भय रस की कहानी 'इनमाई' के एक सीन में एक्टर सिद्धार्थ और पार्वती. इस फिल्म को रथिंद्रन प्रसाद ने डायरेक्ट किया है.


# सीरीज़ का आठवां एपिसोड है- 'थुनिंथा पिन'- ये कहानी है वीर रस की. इस एपिसोड को लिखा है मणिरत्नम ने और डायरेक्ट किया है सर्जुन के.एम ने. ये वेत्री नाम के एक नए आर्मी के जवान की कहानी है, जिसकी टीम जंगल में नक्सलियों से भिड़ने गई हुई है. नक्सलियों के साथ होने वाले मुठभेड़ में कई जवान मारे जाते हैं. मगर इस दौरान वेत्री की गोली से नक्सलियों का सरदार बुरी तरह घायल हो जाता है. सीनियर्स के आदेश पर वेत्री उस घायल नक्सली को अस्पताल ले जाता है. ताकि उसे जिंदा रखा जा सके और दूसरे हमलों के बारे में जानकारियां इकट्ठी की जा सकें. मगर अस्पताल पहुंचने पर खेल बदल जाता है.
इस एपिसोड में अथर्व और किशोर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. इस कहानी को देखकर हमें मणिरत्नम की ही फिल्म 'रावण' याद आती है. जहां हमें कौन राम और कौन रावण वाले द्वंद के साथ छोड़ दिया जाता है. मगर ये दुविधा भी इस कहानी को वो नहीं बना पाती, जो ये बन जाता चाहती थी. इस एपिसोड की सबसे बड़ी खामी ये है कि इसमें हमें दिखाए जाने से ज़्यादा कहकर सुनाया जाता है. ये सिनेमा माध्यम के उपहास जैसा लगता है. तिस पर जो कहा जा रहा है, वो भी कोई ऐसी बात नहीं है, जिसे सुनकर आप कोई भाव महसूस कर पाएं. इस वीर रस की कहानी में वीर उन्हें माना जाना चाहिए, जो इस एपिसोड को पूरा देख जाएं.
वीर रस की कहानी 'थुनिंथा पिन' के एक सीन में एक्टर अथर्व और किशोर. इस फिल्म को सर्जुन ने डायरेक्ट किया है.
वीर रस की कहानी 'थुनिंथा पिन' के एक सीन में एक्टर अथर्व और किशोर. इस फिल्म को सर्जुन ने डायरेक्ट किया है.


# इस सीरीज़ का नौंवा और आखिरी एपिसोड है- 'गिटार कांबी मेले निंद्रू'. ये श्रृंगार रस की कहानी है. इस एपिसोड को डायरेक्ट किया है गौतम वासुदेव मेनन ने. ये कहानी है कमल नाम के एक म्यूज़िशियन की, जिसकी मुलाकात नेत्रा नाम की एक सिंगर से होती है. पहली ही मुलाकात के बाद इनके बीच अनकहा प्रेम जैसा कुछ होने लगता है. अनकहे को समय शब्दों में पिरोता है. मगर कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता है. इसके बीच भी चीज़ें बदल जाती हैं. अलगाव डेरा डाल देता है. मगर ये अनुभव उन्हें प्रेम और जीवन के बारे में बहुत कुछ सीखाता है. कमल को अच्छा संगीतकार बनाता है और नेत्रा इन कहानियों में कहीं खो जाती है.
इस एपिसोड में कमल का रोल किया है सूर्या ने और नेत्रा बनी हैं प्रज्ञा मार्टिन. इस तरह की लव स्टोरी कई फिल्मों में दिखाई जा चुकी है. मगर गौतम ने अपने लीडिंग पेयर के लिए जो मोमेंट्स बुने हैं, वो प्यारे हैं. मगर ओवरऑल फिल्म बहुत कंज़रवेटिव. हम कई जगहों पर सुनते हैं कि लड़के हर प्रेमिका में अपनी मां ढूंढते हैं. यहां वो चीज़ बिल्कुल हमारी आंखों के सामने रख दी जाती है. और फिल्म का इंट्रोडक्ट्री सीन तो मतलब हद ही है. कमल संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा अवॉर्ड ग्रैमी लेने के लिए स्टेज पर गया हुआ है. वो उसी स्टेज से फ्लैशबैक में जाकर अपनी प्रेम कहानी सुना रहा है. बस इसी मोमेंट से आपका भरोसा इस फिल्म से उठ जाता है. अगर किसी चीज़ से निराश होने का ग्रैमी होता है, तो इस सीरीज़ को खत्म करने के बाद हर दर्शक उसका हक़दार होता.
श्रृंगार रस की कहानी 'गिटार कांबी मेले निंद्रू' के एक सीन में एक्टर सूर्या और प्रज्ञा मार्टिन. इस फिल्म को गौतम वासुदेव मेनन ने डायरेक्ट किया है.
श्रृंगार रस की कहानी 'गिटार कांबी मेले निंद्रू' के एक सीन में एक्टर सूर्या और प्रज्ञा मार्टिन. इस फिल्म को गौतम वासुदेव मेनन ने डायरेक्ट किया है.


'नवरसा' पैंडेमिक के दौरान फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे तमाम लोगों की मदद करने की मक़सद से बनाई गई है. इस सीरीज़ को बनाने के पीछे की नीयत बड़ी अच्छी हो सकती है. मगर ये सीरीज़ नहीं. 9 एपिसोड्स वाली ये सीरीज़ एक दर्शक के तौर पर आपको थकाकर रख देती है. और आगे से ऐसी किसी भी सीरीज़ के लिए आगाह भी कर जाती है. 'नवरस' को आप नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम कर सकते हैं.

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