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साल 2024 की टॉप 15 फिल्में जिन्हें देखे बिना 2025 शुरू करना पाप होगा!

लिस्ट देखिए और पहली फुरसत में ये फिल्में देख डालिए.

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इनमें से अधिकांश फिल्मों को आप ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर देख सकते हैं.

सिनेमा के लिहाज से साल 2024 बहुत बड़ा है. पैन-इंडिया फिल्मों ने सिनेमाघरों को त्योहार में तब्दील कर दिया. बम्पर पैसा फोड़ा. दूसरी ओर ऐसी फिल्में भी आई जो आपके ज़ेहन, आपके दिल में रच-बस गईं. आपको सोचने पर मजबूर किया, आपको खुद से वार्तालाप शुरू करने पर मजबूर किया. इस साल आई ऐसी फिल्मों पर बात करेंगे, और अगर आपने अभी तक ये नहीं देखी हैं तो छुट्टी निकालकर फौरन देख डालिए. 

#1. आवेशम (मलयालम)
डायरेक्टर: जीतू माधवन 
कास्ट: फहाद फासिल, साजिन गोपु 

कुछ मलयाली लड़के बेंगलुरू के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेते हैं. वहां उनकी रैगिंग होती है. उससे बचने का वो एक रास्ता निकालते हैं. शहर के लोकल गुंडे रंगा की मदद लेते हैं. इस नई दोस्ती की वजह से पूरे कॉलेज में उनका रौब बनने लगता है. लेकिन समस्या ये है कि अब रंगा की दोस्ती ही उन्हें महंगी पड़ने लगती है. आगे वो उससे कैसे बचने की कोशिश करते हैं, यही इस फन फिल्म की कहानी है. 

#2. किल (हिंदी)
डायरेक्टर: निखिल नागेश भट्ट 
कास्ट: लक्ष्य ललवानी, राघव जुयाल 

साल 2024 की सबसे भयानक एक्शन फिल्मों में से एक है. खबर है कि अब इसे अमेरिका में भी अडैप्ट किया जा रहा है. एक ट्रेन में कुछ लुटेरे घुस आते हैं. उसी ट्रेन में एक आर्मी ऑफिसर भी सफर कर रहा है. आगे उस ऑफिसर और उन लुटेरों के बीच रोंगटे खड़े कर देने वाला खून-खच्चर मचता है. ‘किल’ का वॉयलेंस इतना इंटेंस है कि कुछ सीन्स में आपको अपना खून गर्म होते हुए महसूस होता है. फिल्म का वॉयलेंस अपने मीडियम से पार निकलता है, आपको महसूस होता है कि ये आपको भी भागीदार बनाने की कोशिश कर रहा है. 

#3. ऑल वी इमैजिन एज़ लाइट (मलयालम/हिंदी) 
डायरेक्टर: पायल कपाड़िया 
कास्ट: कन कुश्रुति, दिव्या प्रभा 

मुंबई शहर इस फिल्म में एक किरदार है. लोग अपने घर पीछे छोड़कर कैसे इस शहर को अपना घर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, अपनी इच्छाओं का गला घोंट रहे हैं, तिल-तिल कर खुद को उसकी हवा में खो रहे हैं, तो कुछ उसी में अपना वजूद ढूंढ रहे हैं, दो नर्सों की कहानी के ज़रिए इन पहलुओं को छुआ गया है. पायल कपाड़िया की ये फिल्म कुछ मौकों पर किसी बहती हुई कविता जैसी लगती है. सुंदर म्यूज़िक. एक वजह है कि पूरी दुनिया इस फिल्म की मुरीद क्यों बनी हुई है.

#4. गर्ल्स विल बी गर्ल्स (अंग्रेज़ी)
डायरेक्टर: शुचि तलाती 
कास्ट: प्रीति पणिग्रही, कनी कुश्रुति 

मीरा एक स्ट्रिक्ट बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती है. स्कूल की पहली गर्ल हेड प्रीफेक्ट है. नियमों को मानती है. अपनी मां के साथ रहती है. उम्र के उस दौर से गुज़र रही है जहां मां की सलाह बंदिश लगने लगती है. तभी उसे एक लड़के से प्यार हो जाता है. आगे मीरा की खुद की खोज शुरू होती है. अपनी इच्छाओं की, अपनी ज़रूरतों की. ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई थी. महिलाओं को उनकी अपनी दुनिया दिखेगी, और पुरुषों को उस दुनिया से रूबरू होने का मौका मिलेगा. देखी जानी चाहिए.

#5. लापता लेडीज़ (हिंदी)
डायरेक्टर: किरण राव 
कास्ट: प्रतिभा रंटा, नितांशी गोयल

दो दुल्हन और उनके चेहरे पर पड़ा बड़ा-सा घूंघट. उसी घूंघट की वजह से दोनों अलग-अलग जगह पहुंच जाती हैं. आगे का सफर इस बारे में है कि कैसे वो अपने असली घरों, अपनी सही मंज़िल तक पहुंचती हैं, लेकिन इस सफर के अंत तक दोनों खुद के जीवन के सबसे ज़रूरी इंसान को भी पा लेती हैं, अपने आप को. इंडिया की तरफ से इस फिल्म को ऑस्कर्स के लिए भी भेजा गया था. 

#6. महाराजा (तमिल)
डायरेक्टर: नितिलन स्वामीनाथन
कास्ट: विजय सेतुपति, अनुराग कश्यप          

 फिल्म में विजय सेतुपति के किरदार का नाम महाराजा है. वो पेशे से बाल काटने वाला है. एक बेटी का पिता है जिससे वो बहुत प्यार करता है. एक दिन उसके घर में चोरी हो जाती है. महाराजा अपनी शिकायत लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचता है. कहता है कि उसके घर से ‘लक्ष्मी’ चोरी हो गई है. ये लक्ष्मी क्या है, इसका आइडिया आपको फिल्म देखकर मिलेगा. दूसरी ओर हम अनुराग कश्यप के किरदार को देखते हैं. वो भी अपने परिवार से प्यार करने वाला आदमी है. बस पेशे से एक चोर है. महाराजा’ की शुरुआत में आपको लगने लगेगा कि आपका दिमाग कहानी से आगे निकल रहा है. लेकिन जल्द ही फिल्म टेक-ओवर कर लेगी. सस्पेंस इतना टाइट है कि एंड तक आपको जकड़ कर रखेगा.

#7. मैरी क्रिसमस (हिंदी-तमिल)
डायरेक्टर: श्रीराम राघवन
कास्ट: विजय सेतुपति, कटरीना कैफ

क्रिसमस से एक शाम पहले दो अजनबी मिलते हैं. ये मुलाकात उनकी आगे की पूरी ज़िंदगी को बदल के रख देती है. अक्सर श्रीराम राघवन पर थ्रिलर का मास्टर जैसा ठप्पा लगा दिया जाता है. ‘मैरी क्रिसमस’ भी अपने आप में एक अच्छी थ्रिलर है. लेकिन इसके कोर, इसके दिल में एक प्यारी रोमांस वाली कहानी है.

#8. अमर सिंह चमकीला (हिंदी/पंजाबी)
डायरेक्टर: इम्तियाज़ अली 
कास्ट: दिलजीत दोसांझ, परिणीति चोपड़ा 

पंजाब का प्रेस्ली कहे जाने वाले अमर सिंह चमकीला की बायोपिक. अस्सी के दशक का वो स्टार जिसके गाने छुप-छुपकर स्लाग सुना करते थे. कट्टरपंथी उस पर खीज खाते थे. कहते कि उसके गाने अश्लील हैं, उनसे समाज गलत दिशा में जा रहा है. अमर सिंह चमकीला को दुनिया ने अपनी सहूलियत के अनुसार अलग-अलग रंगों में देखा. इम्तियाज़ अली इन सभी के पास जाकर उन्हें मानवीय स्तर पर देखने की कोशिश करते हैं. दिलजीत दोसांझ और परिणीति चोपड़ा ने चमकीला और अमरजोत कौर के रोल किए और ये उनके करियर की सबसे बेहतरीन परफॉरमेंसेज़ में से एक थी. 

#9. भक्षक (हिंदी)
डायरेक्टर: पुलकित 
कास्ट: भूमि पेडणेकर, आदित्य श्रीवास्तव 

हमारी सिनेमा टीम के एडिटर गजेन्द्र सिंह भाटी कहते हैं कि एक एंटरटेनिंग और ग्रिपिंग सिनेमा बनने से पहले ‘भक्षक’ चाहती है कि वह एक ज़रूरी फ़िल्म बने. वह इसमें कामयाब भी रहती है. वह ऐसे भयावह मामले पर लोगों की संवेदना जगाने की कोशिश करती है जो लोगों के लिए अख़बार की तीन-चार कॉलम की खबर मात्र होती है. वह संवेदना, जिसे जगाने से फ़िल्में अब परहेज करने लगी हैं. वह आज के जर्नलिज़्म का ज़मीर जगाने की कोशिश भी करती है.

#10. मंजुम्मल बॉयज़ (मलयालम)
डायरेक्टर: चिदंबरम एस. पोदुवल 
कास्ट: सौबिन शाहिर, श्रीनाथ बसी

ये फिल्म एक असली घटना पर आधारित है जहां कुछ हुड़दंग मचाने वाले दोस्त साथ में एक ट्रिप पर जाते हैं. वो गुना की गुफाओं में जाते हैं. नियमों को ताक पर रख के वर्जित क्षेत्र में चले जाते हैं, और तभी अचानक से उनका एक दोस्त गुफा के अंदर धंसता चला जाता है. आगे उसी को बाहर निकालने की कश्मकश चलती है. ये कहानी के स्तर के साथ-साथ टेक्निकल स्तर पर भी बहुत अच्छे से बनी फिल्म है. गुफा के कुछ सीन्स में आपको खुद बेचैनी महसूस होने लगती है. जैसे ही वो लड़का गुफा में गिरने लगता है, सिनेमाघर की कतार एक साथ अपने मुंह पर हाथ धरती है कि जाने अब क्या हो जाएगा. आप कुछ क्षणों के लिए भूल जाते हैं कि सामने परदे पर सिनेमा चल रहा है. 

#11. आट्टम (मलयालम)
डायरेक्टर: आनंद एकार्षी
कास्ट: ज़रीन शिहाब, विनय फोर्ट 

कहानी के केंद्र में एक थिएटर ग्रुप है. इस ग्रुप में सिर्फ एक ही महिला है. एक रात उसे सेक्सुअली अब्यूज़ किया जाता है. लेकिन किसी को नहीं पता चलता कि अपराधी कौन है. आगे सभी पुरुष तारणहार बनकर इस केस को सुलझाने की कोशिश करते हैं. लेकिन धीरे-धीरे उनके अंदर जमी पितृसत्तात्मकता की जड़ें पांव निकालकर बाहर उमड़ने लगती हैं. एक पॉइंट के बाद दर्शकों के लिए वो सवाल मायने नहीं रखता. वो अपने सामने उससे घिनौनी हकीकत देख रहे होते हैं. 

#12. लाफिंग बुद्धा (कन्नड़ा)
डायरेक्टर: एम. भरत राज 
कास्ट: प्रमोद शेट्टी, तेजु बेलवाडी 

एक पुलिस ऑफिसर के सिर पर नौकरी से सस्पेंड होने का खतरा मंडरा रहा है. वजह है उसका बढ़ा हुआ वजन. ऐसे एक एक कांस्टेबल अपने दायरे से बाहर जाकर उसकी एक केस में मदद करने लगता है. ताकि सीनियर अधिकारी की नौकरी बची रहे. एक कॉमेडी ड्रामा फिल्म जो दर्शाती है कि पुलिसवालों का आम जीवन आखिर होता कैसा है. 

#13. लकी भास्कर (तेलुगु)
डायरेक्टर: वेंकी अतलूरी   
कास्ट: दुलकर सलमान, मीनाक्षी चौधरी 

भास्कर ने पूरी ज़िंदगी ईमानदारी से बैंक में नौकरी की. आर्थिक स्थिति मज़बूत नहीं हो सकी. उसे दिखता है कि पैसों की इसी तंगी के साथ आने वाला स्टेटस उसके पास नहीं है. उस वजह से लोग नीची नज़रों से देखते हैं. फिर भास्कर अपनी लाइफ की दूसरी पारी पर बैटिंग करने उतरता है, और स्कैम कर के फर्श से अर्श तक पहुंचता है. 

#14. मीअलगा (तमिल) 
डायरेक्टर: सी. प्रेम कुमार 
कास्ट: अरविंद स्वामी, कार्ति 

एक आदमी को किसी कारणवश 22 साल बाद अपने गांव लौटना पड़ता है. जब ये सफर खत्म होता है, वहीं से उसके नए जीवन की शुरुआत होती है. ये सी. प्रेम कुमार की दूसरी फिल्म है. उनकी पहली फिल्म 96 ने बहुत दिल तोड़े. लेकिन उनकी नई फिल्म दिल पर मरहम लगाती है, भागदौड़ वाली ज़िंदगी में ठहराव लाती है, उस सादगी से मिलवाती है जिससे हम अक्सर आंखें मींच लेते हैं. 

#15. सरिपोदा शनिवारम (तेलुगु)
डायरेक्टर: विवेक अतरेया 
कास्ट: नानी, प्रियंका मोहन

सूर्या एक विजिलांटे है. यानी वो इंसान जो कानून के दायरे तोड़कर अपने काम करता है. सूर्या ने अपने लिए एक नियम बना रखा है, कि वो सिर्फ शनिवार को ही अन्याय के खिलाफ लड़ेगा. लेकिन उसे अपना ये नियम बदलना पड़ता है जब उसके सामने दया नाम का एक भ्रष्ट पुलिसवाला आता है.       
            

 

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