'बहन होगी तुम्हारी. तुम तुम तुम और तुम... तुम सबकी. मेरी बहन नहीं है. अरे क्यों जबरदस्ती भाई बनाने पर तुले हुए हो सब लोग. शादी का डिवॉर्स तो मिल जाता है, लेकिन ये तुम लोग जो जबरदस्ती राखी बंधवाकर भाई बना देते हो, इसके डिवॉर्स के लिए कोई कोर्ट है क्या? आप एक लौंडा बता दो हमें दुनिया में, जिसने लड़की को देखकर पहली बारी में बोल दिया हो कि काश ये लड़की मेरी बहन होती. आज हम पूरे ब्रह्मांड के सामने कह देंगे बिन्नी... प्यार करते हैं हम तुमसे. बचपन से करते आए हैं और पूरी जिंदगी करेंगे. बस अब कोई भाई बोलकर देखे हमें.'
फिल्म रिव्यूः बहन होगी तेरी
'हम सब भारतीय, भाई-बहन हैं' - प्रार्थना में जो लड़के ये लाइन खा जाते थे.

नौटियाल जी के लूज़र बेटे गिट्टू को यही बात सबके सामने कहनी थी. उसे पड़ोस में रहने वाली बिन्नी से प्यार था, लेकिन पूरा मोहल्ला उसे बिन्नी का भाई बनाने पर तुला हुआ था. UPSC में फेल होने के बाद इतनी हिम्मत थी नहीं कि जयदेव भइया से शादी की बात कर सके. पर बिन्नी को चाहिए था बहादुर चीता. बिल्कुल अपने दादा जैसा. 02:08 घंटे की फिल्म के आखिरी पांच मिनट में गिट्टू वही चीता बन जाता है.

'बहन होगी तेरी' में गिट्टू के किरदार में राजकुमार राव और बिन्नी के किरदार में श्रुति हासन
पर उससे पहले गिट्टू ने बहुत रायता फैलाया. टिपिकल बॉलीवुड फ्लेवर वाला रायता. बिन्नी का गिट्टू के दूधवाले जिगरी भूरे के साथ कोई दही नहीं जम रहा था, लेकिन गिट्टू पूरी फिल्म में मुंह में दही जमाए बैठा रहा. किसी को नहीं बताया. न अपने पापा को, न बिन्नी के भाई को और न भूरे के क्रिमिनल बाप को. एक और पार्टी भी थी. बिन्नी का फ्रांस वाला मंगेतर राहुल. गौतम गुलाटी को बनना तो था 'तनु वेड्स मनु' का राजा अवस्थी, लेकिन वो दूसरे पार्ट वाला 'कंधा' बने रहे.

राहुल के रोल में गौतम गुलाटी
पूरा मोहल्ला छाती पीट रहा था कि बिन्नी भूरे को पसंद करती है और हम सीट पर बैठे माथा पीट रहे थे कि कोई सब कुछ एक्सप्लेन क्यों नहीं कर देता.

होता है. बॉलीवुड फिल्मों में अक्सर ऐसा हो जाता है. स्क्रिप्ट अच्छी होती है, लेकिन डायरेक्शन और एडिटिंग में घुस जाती है. 'रांझणा' के कुंदन को यही कहना था कि 'उठेंगे किसी रोज... किसी जोया के इश्क में फिर से पड़ जाने को'. 'पिंक' के दीपक सहगल को यही कहना था कि 'नहीं का मतलब नहीं होता है'. वैसे ही 'बहन होगी तेरी' के गिट्टू को यही कहना था कि 'भाई मत बनाओ'. इसे थोड़ा जल्दी कह देते, थोड़े टाइट स्क्रीनप्ले के साथ कह देते, तो गठ जाता.
'बहन होगी तेरी' अच्छी है. बॉलीवुड 'रॉम-कॉम' देखने के लिए अच्छी है. पर डायरेक्टर अजय पन्नालाल बांध देने वाली लव-स्टोरी भी बना सकते थे. अपनी पहली फिल्म में वो कन्फ्यूज लग रहे थे कि लखनऊ के लौंडे की शिद्दत दिखाएं या फिल्म का टाइटल एक्सप्लेन करें. गिट्टू बिन्नी के भाई से उसका नंबर लेने की कोशिश करता है, उसके लिए रातभर घर के बाहर खड़ा रहता है... देशज प्रेम में सब गुलाबी लग रहा होता है. तभी गिट्टू का बियर के नशे वाला सीन आ जाता है. वो ओवर-ड्रैमेटिक है. इकलौता वही सीन राजकुमार की ग्रिप से बाहर लग रहा था. फिर भी, बाकी फिल्म में राजकुमार ने अच्छा संभाला.
डायरेक्टर साब बिन्नी के पंजाबी परिवार को लखनवी लिबास में दिखा ले गए, लेकिन भूरे की जाट फैमिली फ्रेम में फिट नहीं हो रही थी. गुलशन ग्रोवर के कैरेक्टर को लेकर अजय पूरी तरह ब्लैंक थे. समझ ही नहीं आया कि वो किरदार भौकाल टाइट करने के लिए था या लोगों को हंसाने के लिए. जबकि गुलशन फिल्म के इकलौते एक्टर थे, जिनकी एंट्री पर हॉल में बैठे 16 लोगों में से तीन ने सीटी बजाई. अजय पर पंजाब हावी दिख रहा था.

धप्पी दादा के किरदार में गुलशन ग्रोवर
फिल्म के राइटर संचित गुप्ता की भी ये पहली फिल्म है. उनकी कोशिश दिखती है. दी लल्लनटॉप के साथ हुए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि कैसे उनका जोर नॉर्थ इंडियन फीलिंग पर ज्यादा था. उनकी कहानी बताती भी है कि कैसे औसतपन में से महानता निकलती है.
पढ़ें: 'बहन होगी तेरी' के राइटर का इंटरव्यूः जो बताते हैं कैसे 'औसतपन में से महानता निकलती है!'
फिल्म हल्की होने का कुछ क्रेडिट एडिटर देवेंद्र मुरुदेश्वर को भी जाता है. इससे पहले वो 'फैशन', 'टेबल नंबर 21', 'एक विलेन' और 'आशिकी 2' एडिट कर चुके हैं, लेकिन 'बहन होगी तेरी' उनका अब तक का सबसे हल्का काम है. जागरण में माता आने वाला सीन और क्लाईमैक्स में दोस्त से अंटी तुड़वाने वाले सीन फालतू हो रहे थे. अकेले देवेंद्र भी अगर बाहें चढ़ाकर काम कर लेते, तो फिल्म लैपटॉप या हार्ड ड्राइव में रखने लायक बन जाती.

माता आने वाले सीन में श्रुति हासन
अच्छी चीजों में से एक चीज रही डायलॉग. गिट्टू का बिन्नी से कहना कि 'ऐसे पीछा करना हमें भी अच्छा नहीं लगता.'
भूरे का अपनी फैमिली के बारे में कहना कि 'मैं कुछ नहीं कह सकता. हमारे यहां तो ऑनर किलिंग हो जाती है और मेरी तो डिस-ऑनर किलिंग हो जाएगी.'
बाप के पैरोल पर छूटने पर भूरे कहता है, 'मैंने तो दो-तीन बार जेल में ही देखा है. पता नहीं कैसे बाहर आ गया.'
ये लोगों को हंसा रहे थे, शायद किसी के अंदर अटक भी गए हों.
आनंद एल रॉय ने 'रांझणा' में जो गलती की थी, 'बहन होगी तेरी' की पूरी टीम के पास वो गलती सुधारने का जबर मौका था, लेकिन ये जनता चूक गई. दी लल्लनटॉप के साथ इंटरव्यू में राजकुमार राव इस बात पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे थे कि गिट्टू और बिन्नी उन्हें अपने आसपास के कैरेक्टर लगेंगे. राजकुमार और श्रुति इसमें कामयाब रहे. ड्रामे के पीपों से भरी इस फिल्म में एक नई चीज मिली. इस बार मोहल्ले के लौंडे का प्यार एफिल टावर वाला राहुल नहीं ले गया. इस बार बाहें किसी राहुल या राज ने नहीं, गिट्टू ने फैलाईं.
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