‘मिन्नल मुरली’ की ओरिजिन स्टोरी भी बाकी हीरोज़ से अलग नहीं. भाईसाहब का असली नाम होता है जेसन, केरला के एक छोटे से गांव में इनकी टेलरिंग की शॉप होती है. एबिबास, पोमा की टी-शर्ट पहनते हैं और ऐडिडास को नकली बताता है. सलमान, आमिर के पोस्टर लगाकर रखता है. लाइफ नॉर्मल चल रही होती है लेकिन एक रात दुनिया बदल जाती है. जब इनको बिजली का झटका लगता है. पावर्स आ जाती हैं लेकिन इनका विद ग्रेट पावर कम्स ग्रेट रिस्पॉन्सिबिलिटी वाला फेज़ आने में अभी वक्त है. पावर्स आने के बाद उनके साथ क्या कुछ करता है, और सबसे ज़रूरी बात, गांव में घट रही कहानी में इस हीरो से लड़ने कौन सा विलन आता है, ये पूरी फिल्म की कहानी है.

कहानी को ग्राउंडेड रखा गया है.
जैसा कि मैंने मेंशन किया कि सुपरहीरोज़ का कॉन्सेप्ट इंडियन नहीं. फिल्म भी ये बात भूलती नहीं दिखती. कई पॉइंट्स पर अमेरिकन हीरोज़ को ट्रिब्यूट दी गई है. जैसे जब जेसन अपनी पावर्स एक्सप्लोर कर रहा होता है, तब उसका भांजा उसकी हेल्प करता है, एक साइडकिक की तरह एक्ट करता है. फिल्म में एक सीन है जहां जेसन के लापरवाह बर्ताव के बाद उसके पिता उसे समझाते हैं, जिम्मेदारी और अच्छाई की बातें करते हैं. ये सीन देखते वक्त लगातार पीटर पार्कर और अंकल बेन वाला सीन दिमाग में चलता है. बाकी फिर मिन्नल मुरली की कॉस्च्यूम तो है ही, जो फिर से अमेरिकन हीरोज़ का इंफ्लुएंस दिखाती है.

फिल्म में विलन को सिर्फ एक सनकी, दुनिया खत्म करने वाले शख्स की तरह नहीं दिखाया.
आपका हीरो तभी तक अच्छा है, जब तक कहानी का विलन मज़बूत है. यही वजह है कि ‘द डार्क नाइट’ और ‘ब्लैक पैंथर’ जैसी सुपरहीरो मूवीज़ को सिर्फ बच्चों की फिल्में नहीं माना जाता. ‘मिन्नल मुरली’ भी अपने विलन को सीरियसली लेती है, उसे हीरो जितनी ही फुटेज देती है. पूरी फिल्म में जेसन और विलन की जर्नी साथ-साथ चलती है. फिर चाहे प्यार में फेल होना हो या फिर कोई और पर्सनल प्रॉब्लम, हमें दोनों पक्ष बराबर देखने को मिलते हैं. फिल्म ने अपने विलन को सिर्फ दुनिया खत्म करने वाले किसी सनकी की तरह ट्रीट नहीं किया, उसे ह्यूमनाइज़ किया गया है. उसकी अपनी आंतरिक कशमकश हैं, कुछ खामियां हैं, जो उसे परफेक्ट तो नहीं लेकिन इंसान तो बनाती हैं.
बाकी हीरो की लाइफ में जितने ज्यादा कंफ्लिक्ट या बाधाएं, उतना ज्यादा ऑडियंस के लिए मज़ा. ‘मिन्नल मुरली’ की मुसीबतें भी कम होने का नाम नहीं लेती, कभी पहचान सामने आ जाने का डर तो कभी कोई और खतरा. फिल्म के सेकंड हाफ में लगातार कुछ-न-कुछ उसके सामने आता रहता है. लेकिन, लेकिन, लेकिन जिस तरह से ये सारी बाधाएं रैप अप होती हैं, वो थोड़ा अटपटा लगता है. फिल्म अपने क्लाइमैक्स को जल्दी-जल्दी लपेटने की कोशिश करती दिखती है. जिसे अगर थोड़ा और स्पेस दिया जाता, तो बेहतर हो सकता था. फिल्म क्लाइमैक्स पर आकर भले ही थोड़ी डगमगा जाती है, लेकिन उस पॉइंट तक ये आपको लगातार एंटरटेन करती है.

'मिन्नल मुरली' टिपिकल चीज़ों को यूज़ कर कुछ नया ट्राई करती है.
ट्रेलर देखकर ‘मिन्नल मुरली’ से फन वाइब आ रही थीं, फिल्म उसे बरकरार रखती है. जैसे जब जेसन पर बिजली गिरती है, तब वो सैंटा क्लॉज़ की कॉस्च्यूम में होता है. डॉक्टर के पास जाने पर वो कहता है कि बिजली के झटके से जेसन को ब्लोटिंग हो गई है. फिर पास खड़ा एक कैरेक्टर कहता है कि कॉस्ट्यूम के अंदर तकिया दबा रखा है. ऐसा ह्यूमर और भी जगह देखने को मिलता है. जैसे जब जेसन पहली बार सुपरहीरो बनकर सामने आता है, वो भी बच्चों के एक फंक्शन में. पुलिसवालों को धोने लगता है, गांधी बना बच्चा चिल्लाता है कि और मारो. आप गांधी बने बच्चे से तो हिंसा की अपील की उम्मीद नहीं ही करेंगे.
इस साल आई ‘काला’ में टोविनो थॉमस को देखने के बाद यहां उनका अलग ही अवतार देखने को मिलता है. एक ऐसा लड़का जो चीज़ों में ज्यादा दिमाग नहीं लगाता, रोता है तो अकेले में, सबके सामने जाने पर एकदम चिल मूड में आने का दिखावा करता है. पहले आए सुपरहीरोज़ की तरह, जेसन का भी एक ट्रैजिक पास्ट है. टोविनो को उसका इमोशनल साइड दिखाने के मौके कम ही मिलते हैं, लेकिन उतने में भी वो सही काम कर जाते हैं.
कुल मिलाकर ‘मिन्नल मुरली’ एक ऐसी फिल्म है, जो दिखाती है कि टिपिकल चीज़ों को यूज़ कर के भी आप एक एंटरटेनिंग फिल्म बना सकते हैं, बस आपका एग्ज़ीक्यूशन अलग होना चाहिए. फिर बता दें कि ‘मिन्नल मुरली’ नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है.