Manav Kaul ने ‘तुम्हारी सुलू’ नाम की फिल्म की थी. वही फिल्म, जिसमें विद्या बालन रेडियो जॉकी बनती हैं. उस फिल्म को बनाया था T-Series ने. फिल्म से जुड़े किसी सिलसिले में मानव को टी-सीरीज़ के ऑफिस जाना पड़ा. वो ऑफिस में घुसे. सामने देखा कि उसके पूर्व मालिक गुलशन कुमार की बड़ी-सी तस्वीर लगी हुई. मानव के कदम ठहरे. उन्होंने उस फोटो की ओर देखकर कहा, ‘हम्म...कहां से शुरुआत हुई थी और कहां पे हम हैं अभी’. मानव कौल की शुरुआत कहां से हुई थी? उनके स्ट्रगल की कहानी में दहीसर आता है. वहां के एक घर में मानव समेत पांच लड़के रहते थे. सभी को फिल्मों में कुछ-न-कुछ करना था. फिल्म तो बाद में मिलनी थी, उससे पहले उन्हें पुलिस उठाकर ले गई. पूछा कि ‘गुलशन कुमार को किसने मारा’. ये सब मानव और उनके दोस्तों की समझ से बाहर था.
जब स्ट्रगल कर रहे मानव कौल को पुलिस ने गुलशन कुमार मर्डर केस में उठा लिया
"हम एक रात ताश खेल रहे थे. अचानक से पुलिस घर में घुस आई और बोली, गुलशन कुमार को किसने मारा?"

मानव ने हाल ही में सिद्धार्थ कनन से बातचीत की. वहां अपने स्ट्रगल के दिनों से जुड़े किस्से बताए. मानव ने बताया कि उन दिनों पैसों की तंगी थी. वो लोग देर रात तक जागते. ताकि सुबह लेट उठ सकें और नाश्ते की जगह सीधा दोपहर का खाना खाएं. इससे पैसे बच जाते थे. मानव बताते हैं कि ये पांचों लोग दिन में एक साथ निकलते. साथ ही में फिल्म स्टूडियोज़ के चक्कर काटते. जहां भी दिखते, साथ ही दिखते. सोसाइटी वालों को शक होता कि ये लोग आखिर करते क्या हैं, जो हर जगह साथ जाते हैं. मानव और उनके दोस्तों का स्ट्रगल चल रहा था. उन्हीं दिनों मुंबई शहर दहल गया. म्यूज़िक मोगल गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस एक्शन में आकर लोगों को उठाने लगी.
मानव की सोसाइटी वालों ने उन लोगों की शिकायत कर दी. कि ये लड़के सही नहीं लग रहे. मानव ने आगे बताया,
रात में करीब 12-1 बजे हम लोग ताश खेल रहे थे. चारों तरफ से पुलिस ने घेर लिया और सीधा आकर पूछा, ‘गुलशन कुमार को किसने मारा? किसने मारा?’ मुझे हंसी आ रही थी लेकिन दो-तीन लोग डर गए. उनको लगा कि एनकाउंटर हो जाएगा.
पुलिस उन लोगों को दहीसर पुलिस स्टेशन ले गई. किसी ने वहां मानव से पूछा कि तू तो कश्मीरी है. तेरा कट्टा (बन्दूक) कहां है. मानव ने समझाया कि वो लोग थिएटर करते हैं. थोड़ी देर पुलिसवालों से बात की और उन्हें छोड़ दिया गया. मानव ने इसी इंटरव्यू में अपने स्ट्रगल के दिनों का एक और किस्सा बताया. सनी देओल की फिल्म आई थी ‘चैम्पियन’. मानव उस फिल्म में जूनियर आर्टिस्ट थे. फिल्म में काम करने वाले लोगों की यूनियन होती है. यूनियन के अंतर्गत होने पर ही आपको काम मिलता. मानव किसी यूनियन से नहीं जुड़े थे. वो चोरी-छिपे ‘चैम्पियन’ में काम कर रहे थे.
एक दिन डायरेक्टर को उनका सच पता चल गया. कि मानव यूनियन के आदमी नहीं. उन्होंने सज़ा के लिए पूरे दिन मानव को एक कोने में खड़ा रखा. हिलने की सख्त मनाही थी. खाने-पीने को भी कुछ नहीं मिला.
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