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मूवी रिव्यू: मैं लड़ेगा

अक्षय कुमार के साथ 'बेबी' में आफताब के छोटे लेकिन याद रह जाने वाले रोल में दिखे आकाश प्रताप सिंह बतौर लीड लौटे हैं नई फिल्म Main Ladega लेकर, जिसे डायरेक्ट किया है Gaurav Rana ने. ये एक बॉक्सिंग और कैंपस लाइफ मूवी है. जो लाइफ में फाइट करने के बारे में है. पढ़ें इसका quick review.

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लीड एक्टर आकाश प्रताप सिंह ने ही इस फ़िल्म की स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स लिखे हैं.

Film: Main Ladega 
Director: Gaurav Rana
Cast: Akash Pratap Singh, Ashwath Bhatt, Gandharv Dewan
Rating: 3 Stars 

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ये कहानी आकाश नाम के एक लड़के की है. वो अपने मां, पिता और छोटे भाई के साथ एक छोटे शहर में रहता है. घर में हिंसा का माहौल है. पिता बात-बात पर उसकी मां को पीटता है. जानवरों सा सलूक करता है. ये देख, डर के मारे वो अपने छोटे भाई के साथ खुद को एक कमरे में बंद कर लिया करता है. उसकी पढ़ाई खराब हो रही है. पैसों की तंगी भी है. लेकिन किसी तरह आकाश की मां उसे मिलिट्री स्कूल भेज देती है. पहले तो आकाश वहां भी डरा सहमा सा रहता है. लेकिन बाद में वो पढ़ाई में मन लगाता है और एक ऐसा लक्ष्य बनाता है जिससे उसकी जिंदगी बदल सकती है. स्कूल में होने वाली एक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में वो हिस्सा लेता है. इसमें जीतने वाले को 1 लाख रुपये का ईनाम मिलना है. आकाश को ये चैंपियनशिप हर हाल में जीतनी है. तभी वो अपने भाई की स्कूल फीस दे सकेगा और खुद पर होने वाले दमन का मुंहतोड़ जवाब दे सकेगा. उसे बॉक्सिंग चैंपियन बनाने में उसकी मदद करते हैं, एक क्लासमेट और एक बॉक्सर गुरनाम. फिल्म के सेकंड हाफ में आकाश की मुश्किल बॉक्सिंग जर्नी शुरू होती है.

"मैं लड़ेगा" एक अंडरडॉग मूवी है. कम अनुभव और संसाधनों वाली टीम ने इसे बनाया है. उस लिहाज से फ़िल्म खासी प्रशंसनीय है. कहीं कुछ ब्लंडर नहीं दिखते. एक्टिंग और डायरेक्शन इम्प्रेस करते हैं.
 
इसमें लीड रोल आकाश प्रताप सिंह ने किया है, जो इस फ़िल्म के राइटर भी हैं. तुलनात्मक रूप से एक न्यू फेस होने के बावजूद वे खुद को अच्छा एक्टर साबित कर जाते हैं. चाहे पिता के आतंक में जीता एक टीनएजर हो, चारों तरफ दमन का सामना करता युवक हो, उसकी अंतर्वेदना हो, फ्रस्ट्रेशन हो, दुख हो, खुशी हो, प्यार हो या ताकतवर बनने की अभिव्यक्ति हो, सब भावों में वे औसत से ऊपर रहते हैं. आकाश की मां का रोल करने वाली ज्योति गौबा, पिता का रोल करने वाले अश्वथ भट्ट और गंधर्व दीवान जैसे कलाकारों ने बढ़िया एक्टिंग की है. पंजाबी सिनेमा के बैकग्राउंड से आने वाले गौरव राणा ने पहली हिंदी फीचर डायरेक्ट की है. वे अपने क्राफ्ट पर पकड़ दिखाते हैं. फिल्म एक अच्छे फ्लो और इंगेजिंग तरीके से ओपन होती है, सेकेंड हाफ में बॉक्सिंग ट्रेनिंग वगैरह पर ज्यादा फोकस करती है. ये एक औसत से जरा अच्छी कैंपस लाइफ मूवी साबित होती है. कमजोर पहलू ये हैं कि कहीं कहीं कॉमेडी टाइमिंग फिसलती है. जबरन सी लगने लगती है. डायलॉग्स कुछ जगह हल्के पड़ते हैं. लेकिन फिल्म में मिलिट्री स्कूल वाले सीन्स बहुत अच्छे बन पड़े हैं, जो आपको ऋतिक रोशन की 'लक्ष्य' तक की याद दिला जाते हैं.

बॉक्सिंग रिंग वाले निखरे हुए दृश्य प्रशंसनीय हैं, जिनके लिए सिनेमेटोग्राफर लकी यादव को श्रेय जाता है. म्यूजिक की बात करें तो इसमें सिर्फ दो गाने है - 'मैं लड़ेगा' और 'मंजिल तेरे आगे खड़ी.' दोनों जोश भरते हैं.
 
जिन्हें अंडरडॉग मूवीज़, मोटिवेशनल मूवीज़, सिंपल स्टोरीटेलिंग और कैंपस लाइफ वाली फ़िल्में पसंद हैं, तो वे 'मैं लड़ेगा' को एक बार देख सकते हैं.

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