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आमिर की 'लाल सिंह चड्ढा' के धार्मिक एंगल पर पहली बार बोले राइटर अतुल कुलकर्णी

''हमने अपने देश में दो सौ सालों तक धर्म के नाम पर हुए हंगामे झेले हैं. उस पर बात करना ज़रूरी है.''

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पहली तरफ अतुल कुलकर्णी. दूसरी तरफ फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के एक सीन में आमिर खान.

Aamir Khan की Laal Singh Chaddha सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई. समीक्षकों ने फिल्म को पसंद किया. मगर वो चीज़ फिल्म की कमाई में रिफ्लेक्ट नहीं हुई. क्योंकि LSC देशभर से मात्र 60-70 करोड़ रुपए की कमाई कर पाई. इसके पीछे तमाम वजहें गिनाई गईं. मगर पक्के तौर पर इस असफलता की वजह पता नहीं चल पाई. फिर ये फिल्म नेटफ्लिक्स पर आई. लोगों ने देखी. हर ओर से यही सुनने और पढ़ने में आया कि जनता को ये फिल्म थिएटर्स में न देख पाने का मलाल रहा. पॉज़िटिव चीज़ ये कि 'लाल सिंह चड्ढा' ने नई बहस शुरू की. उसका सोशल इम्पैक्ट किसी ब्लॉकबस्टर आमिर खान फिल्म से ज़्यादा रहा. अब इन सभी मसलों पर फिल्म के राइटर अतुल कुलकर्णी ने बात की है.

अतुल कुलकर्णी की पहचान एक्टर होने से है. 'लाल सिंह चड्ढा' ने उनकी प्रोफाइल में राइटिंग का क्रेडिट भी जोड़ा. 'लाल सिंह चड्ढा', ऑस्कर विनिंग हॉलीवुड फिल्म 'फॉरेस्ट गंप' की रीमेक बताई गई थी. मगर अतुल इसे रीमेक की बजाय अडैप्टेशन कहना पसंद करते हैं. क्योंकि दोनों फिल्में दिखने में एक सी लग सकती है. मगर विचार के स्तर पर ये कई मायनों में टॉम हैंक्स स्टारर फिल्म से अलग थी. अतुल कुलकर्णी ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुई लंबी बातचीत में दोनों फिल्मों के बीच के फर्क पर बात की है. एक अमेरिकन फिल्म को भारतीय परिदृश्य में ढालने की मुश्किलों पर बात करते हुए अतुल कहते हैं-

''जब आप किसी ऐसी फिल्म को अपने सिनेरियो में ढालते हैं, तो कुछ चीज़ें होती हैं जो हमारे यहां तो हैं मगर यूएस में नहीं. जैसे धर्म या आतंकवाद का मसला अमेरिका में उतना गंभीर नहीं है. यहां (भारत) फिल्म बनाते वक्त आपको उन चीज़ों पर बात करनी ही पड़ेगी. हमने अपने देश में दो सौ सालों तक धर्म के नाम पर हुए हंगामे झेले हैं. उस पर बात करना ज़रूरी है. मेरा ऐसा मानना है कि सिर्फ धार्मिक ही नहीं, किसी भी किस्म की नफरत की काट प्रेम है. परस्पर आदर है. करुणा है. माफी है. ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है.''

‘लाल सिंह चड्ढा’ की शूटिंग खत्म होने के बाद केट काटते अद्वैत चंदन, आमिर खान और अतुल कुलकर्णी. 

'लाल सिंह चड्ढा' एक आदमी और एक देश की कहानी कहती है. जो एक साथ बड़े हो रहे हैं. इस दौरान देश में जो कुछ भी घट रहा है, वो उस आदमी को प्रभावित कर रहा है. फिल्म में जब भी किसी धार्मिक अशांति या हिंसा का ज़िक्र आता है, तो उसे 'मलेरिया' का फैलना कहकर संबोधित किया जाता है. मुझे इसके दो मायने समझ आते हैं. अव्वल तो मलेरिया एक बीमारी है, जो किसी के लिए ठीक नहीं है. वो उसके स्वास्थ्य को नुकसान ही पहुंचाएगी. चाहे देश हो या इंसान. दूसरी चीज़ ये कि मलेरिया एक दौर है, जिसका खत्म या ठीक होना तय है.

खैर, 'लाल सिंह चड्ढा' के प्रोमोज़ में अधिकतर लोगों को आमिर खान की परफॉरमेंस से शिकायत थी. खासकर उनकी आंखों के फैलने से. हालांकि, फिल्म देखने के बाद वो शिकायत खत्म तो नहीं हुई. मगर वो उतना बड़ा मसला भी नहीं रहा. जब इस बारे में अतुल से पूछा गया कि क्या ये पहले से तय था कि आमिर इस किरदार को ऐसे ही निभाएंगे, या कुछ और सीन था. इसके जवाब में उन्होंने कहा-

''आमिर और अद्वैत (फिल्म के डायरेक्टर) के बीच ज़ाहिर तौर पर इस पर बात हुई होगी. मैं बमुश्किल फिल्म के सेट पर गया होऊंगा. शायद एक या दो बार. मगर ये डायरेक्टर और एक्टर की चॉइस थी. मगर फिल्म देखने से पहले लोग इस चीज़ से जितने खफा थे, फिल्म देखने के बाद वो चीज़ कम हो गई. हालांकि मैं समझता हूं कि कुछ लोगों को वो चीज़ खली होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि वो आमिर को ये चीज़ें पहले भी फिल्मों में करते देख चुके हैं. अधिकतर लोगों को वो चीज़ याद रही, इसलिए उन्हें ये दिक्कतभरा लगा. इसलिए नहीं कि लाल वैसा था.''

बेसिकली अतुल कह रहे हैं कि लोगों को आमिर के उस प्रोसेस से समस्या हो सकती है, जैसे वो अपने किरदारों को अप्रोच करते हैं. उनके किरदारों से नहीं. खासकर लाल सिंह चड्ढा से.

'लाल सिंह चड्ढा' की कहानी अतुल कुलकर्णी ने मात्र 12 दिनों में लिखी थी. तब तक वो उसे स्क्रिप्ट कहने से भी बच रहे थे. जब उन्होंने आमिर को ये कहानी सुनाने के लिए पहली बार फोन किया, तब उन्होंने अपने लिखे को स्क्रिप्ट कहा. 'लाल सिंह चड्ढा' में फिल्म की नायिका का नाम रूपा है. असल में पहले करीना कपूर के किरदार नाम 'माया' होने वाला था. मगर बाद में उन्होंने माया को 'रूपा' से एक्सचेंज कर दिया. क्योंकि वो चीज़ कहानी में बड़े सुंदर तरीके से फिट हो रही थी. 

वीडियो देखें: आमिर खान की 'लाल सिंह चड्ढा' ने विदेशों में किया बढ़िया कलेक्शन