इन भाइयों में से एक थे सचिन, जिन्हें आपने फ़िल्म 'नदिया के पार' में देखा होगा, इस फ़िल्म में सचिन का लीड रोल था. शक्ति कपूर ने भी इसमें एक भाई का किरदार निभाया था. जिस शख्स की बात हम करेंगे यानी कंवलजीत सिंह, वो भी इस फ़िल्म में सात भाइयों में से एक थे. इनका जन्मदिन 19 सितंबर को आता है. ये 66 साल के हो गए हैं.
कंवलजीत सिंह सहारनपुर, उत्तर प्रदेश की एक सिख फैमिली से आते हैं. ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद इन्होंने पुणे का फ़िल्म्स एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (FTII) जॉइन किया. इसके बाद फ़िल्मों में अपना हाथ आज़माया. इनकी पहली दो फ़िल्में 'हम रहे न हम' और 'शक़' फ़्लॉप रहीं, जिसके बाद इन्होंने टीवी में एक्टिंग करना शुरू किया. 90 के दशक में इनके कई सीरियल्स आए. उनमें से जो पांच सबसे फ़ेमस सीरियल्स थे, उनकी लिस्ट यहां मौजूद है:
1. बुनियाद (1986)

कंवलजीत सिंह ने बुनियाद में एक 'नाजायज़' बेटे का रोल निभाया था.
कंवलजीत ने अपने टीवी एक्टिंग करियर की शरुआत बुनियाद सीरियल से की थी. बैक-टू-बैक दो फ़्लॉप फ़िल्में करने के बाद इनका फ़िल्मी करियर डूबता नज़र आने लगा था. तभी इन्हें डायरेक्टर रमेश सिप्पी के 'बुनियाद' सीरियल में सत्यवीर का रोल ऑफ़र हुआ. ये एक ड्रामा सीरीज़ थी जो 1947 में भारत-पाक विभाजन और उसके बाद के हालतों पर आधारित थी.
इस सीरियल में कंवलजीत के साथ-साथ एक्टर आलोकनाथ का भी टीवी जगत में डेब्यू हुआ था. वही आलोकनाथ जो अक्सर फ़िल्मों और सीरियल्स में पिता का रोल निभाते दिखते हैं. बुनियाद में भी वो कंवलजीत के पिता के रूप में नज़र आए थे. इस सीरियल में कंवलजीत आलोकनाथ के 'नाजायज़' बेटे थे. ये सीरियल काफ़ी लोकप्रिय हुआ. बुनियाद में किरदार काफ़ी दमदार और रियल नज़र आते थे, शायद यही इसके हिट होने का कारण भी था. लोग खुद को इन किरदारों से काफ़ी जुड़ा महसूस करते थे.
2. फ़रमान (1994)

फ़रमान में कंवलजीत का किरदार एक युवा, मॉडर्न ख्यालों वाले हैदराबादी नवाब का था.
इस सीरियल के महज़ 14 एपिसोड ही आए थे. शुरुआत में कंवलजीत का किरदार ज़रा निगेटिव नज़र आता है. फिर उसकी ज़िंदगी में एक लड़की आती है. इस लड़की को कंवलजीत की मां अपना असिस्टेंट रखती है. लड़की को पहली बार किसी ऑफ़िस में असिस्टेंट का काम मिला होता है. ये कहानी कंवलजीत और इस लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है. तमाम परेशानियों के बीच दोनों एक दूसरे के करीब आते हैं और उन्हें प्यार हो जाता है.
ये सीरियल 'आलमपनाह' नाम के उर्दू नॉवेल पर बेस्ड था. इस नॉवेल की लेखिका थीं रफ़िया अामीन. कंवलजीत ने इस सीरियल में अज़र नवाब का किरदार निभाया था. एक्टर दीपिका देशपांडे- अमीन इसमें लीड रोल में थीं. उनके किरदार का नाम एमन बीबी था. फ़रमान एक ऐसी यंग लड़की की कहानी है, जो एक छोटे शहर से बड़े शहर काम करने आती है. वो अपनी निजी और प्रफ़ेशनल ज़िंदगी में तालमेल बिठाने की जद्दोजहद करती नज़र आती है.

दीपिका देशपांडे
3. सांस (1998-1999)
नीना गुप्ता ने न सिर्फ़ इस सीरियल में एक्टिंग की थी बल्कि खुद इसे लिखा और डायरेक्ट भी किया था. इंडियन टेलीविज़न पर ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई महिला किसी सीरियल में एक्टिंग के साथ-साथ उसे डायरेक्ट भी कर रही थी और उसने उसकी कहानी खुद लिखी भी थी. सांस में नीना के किरदार का नाम प्रिया था. प्रिया के पति गौतम का किरदार कंवलजीत ने निभाया था. इसमें गौतम मनीषा नाम की लड़की के लिए अपनी पत्नी प्रिया को छोड़ देता है. इस पूरे सीरियल का फ़ोकस प्रिया, गौतम और मनीषा के लव ट्राएंगल पर था.
सांस सीरियल स्टार प्लस पर प्रसारित हुआ था
कंवलजीत सिंह ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि चैनल ने लगभग एक साल तक इस सीरियल को अप्रूव नहीं किया था. उन्हें सांस का प्लॉट दर्शकों के लिए कुछ बोल्ड लगता था. कंवलजीत ने इससे पहले सारे पॉज़िटिव किरदार निभाए थे. उनके लिए ये किरदार करना काफ़ी चैलेंजिंग रहा था, जिसमें वो एक ऐसे पति बने थे जो अपनी पत्नी को छोड़ 'दूसरी औरत' के पास चला जाता है. 1998 के कलाकार अवॉर्ड्स में कंवलजीत को इस सीरियल के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था. नीना गुप्ता को भी इस अवॉर्ड फ़ंक्शन में बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला था.
एक बार कंवलजीत दिल्ली की किसी पार्टी में गए थे. इस पार्टी की खास बात ये थी कि यहां पुरुषों को अपनी बीवियों के साथ नहीं बल्कि गर्लफ्रेंड्स के साथ इनवाइट किया गया था. लोग अक्सर कंवलजीत को रोककर पूछा करते थे कि वो कैसे अपनी बीवी और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को हैंडल करें.
4. फैमिली नंबर 1 (1998-1999)

फैमिली नंबर 1 सीरियल के मुख्य किरदार
एक हीरो का और एक निगेटिव किरदार करने के बाद कंवलजीत ने फैमिली नंबर 1 सीरियल में कॉमिक रोल निभाया. इस सीरियल में तन्वी आज़मी भी थीं. जिन्हें आपने फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में देखा होगा. इस फ़िल्म में तन्वी बाजीराव की मां बनी थीं. फैमिली नंबर 1 दो सिंगल पेरेंट्स की कहानी थी, जिसमें हर एक के तीन-तीन बच्चे थे. इस सीरियल का प्लॉट साल 1978 में आई अशोक कुमार की फ़िल्म खट्टा-मीठा से मिलता-जुलता था.
दो परिवार एक ही घर शेयर करने के लिए मजबूर हैं. एक परिवार का सदस्य दूसरे परिवार के सदस्य से लड़ाई करता रहता है और एक दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ता. आखिरकार दोनों पेरेंट्स को एक दूसरे से प्यार हो जाता है और वो अपने बच्चों को मिलाने की कोशिश में जुट जाते हैं. ये सीरियल अमेरिका की कॉमेडी सीरीज़ 'द ब्रांडी बंच' से इंस्पायर्ड था.
5. अभिमान (1999)

कंवलजीत सिंह अभिमान सीरियल में एक भ्रष्ट पॉलिटिशियन बने थे.
1999 में कंवलजीत सिंह ने सांस सीरियल की तरह ही एक और सीरियल में डार्क कैरेक्टर प्ले किया. ये सीरियल था अभिमान. इसमें कंवलजीत एक भ्रष्ट पॉलिटिशियन बने थे. पहले ही एपिसोड से नज़र आ गया था कि इसमें कंवलजीत का निगेटिव रोल होगा क्योंकि पहले एपिसोड में ही कंवलजीत का किरदार ऑपोज़िशन लीडर का खून कर देता है.
ये स्टोरी टीना ने अंग्रेज़ी में लिखी है, इसका हिंदी अनुवाद रुचिका ने किया है.