//1: पेंटर ललिता लाजमी की बेटी थीं. वही जो 'तारे जमीं पर' (2007) में बच्चों की पेंटिंग प्रतियोगिता की जज बनकर आती हैं.
2: 'कागज़ के फूल' (1959) और 'प्यासा' (1957) जैसी महान फिल्में बनाने वाले गुरु दत्त उनके सगे मामा थे.

ललिता और कैप्टन गोपी लाजमी की शादी का दिन. साथ खड़े हैं ललिता के भाई गुरु दत्त. दूसरी ओर, मां-पिता की गोद में नन्ही कल्पना. (फोटोः ललिता लाजमी)
3: वे 31 मई 1954 को पैदा हुईं. बंबई में बड़ी हुई. घर में उनके अलावा उनका भाई देवदास था. सभ्रांत वर्ग से थीं. परिवार प्रगतिशील था. लेकिन कल्पना का कहना था कि उनका बचपन पीड़ा भरा रहा. उनके पिता शराब बहुत पीते थे और इससे वे बहुत परेशान होती थीं.
4: उनके जीवन में दो ही पुरुष थे जिनसे वो सबसे ज्यादा प्रभावित हुई. पहले थे उनके पिता गोपी लाजमी जो नेवी में कैप्टन थे. और दूसरे सिंगर, गीतकार और आर्टिस्ट भूपेन हजारिका.
5: शुरू से कल्पना बाग़ी और आक्रामक नहीं थीं. वे मासूम और अवाक आंखों वाली थीं. मिल्स एंड बून रोमैंस नॉवेल पढ़कर जवानी में कदम रखे. लेकिन बाद में उन्होंने अपनी फिल्मों में ठोस, ज़मीनी और मुश्किल महिला पात्र रचे.
6: कल्पना ने 1971 में बंबई के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से साइकोलॉजी की पढ़ाई की. वहां उनकी मुलाकात भूपेन हज़ारिका से हुई जो कल्पना के ही अंकल आत्मा राम की फिल्म 'आरोप' के लिए म्यूजिक बना रहे थे. तब कल्पना सिर्फ 17 साल की थीं. वे भूपेन की रचनात्मकता, आवारगी, बाग़ीपन और बेतरतीब व्यक्तित्व से बहुत आकृष्ट हो गईं. पांच साल रिश्ते में रहने के बाद वे सबकुछ छोड़ कलकत्ता में भूपेन के फ्लैट में रहने लगीं. शुरू में उनके पिता को लगा कि ये आकर्षण जल्द ही खत्म हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और उनका-भूपेन का रिश्ता 40 साल चला. उन दोनों ने कभी शादी नहीं की. लंबे समय तक असम के पारंपरिक समाज ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया. दोनों को दिक्कतें आईं. कल्पना की मां ललिता भी कभी उनके इस रिश्ते के पक्ष में नहीं थीं.

एक रिकॉर्डिंग के दौरान आशा भोसले के साथ कल्पना-भूपेन; फिल्म 'एक पल' की मेकिंग के दौरान एक बैठक में इन दोनों के साथ शबाना, नसीर, फारुख, गुलज़ार; और अपनी मां ललिता और श्याम बेनेगल के साथ कल्पना.
7: फिल्मों में उनकी शुरुआत श्याम बेनेगल को असिस्ट करने से हुई. उनकी फिल्म 'भूमिका' (1977) में वे कॉस्ट्यूम असिस्टेंट थीं. बाद में बेनेगल की फिल्म 'मंडी' (1983) में वो असिस्टेंट डायरेक्टर बन गईं. उन दिनों में देव बेनेगल (इंडियन ऑगस्ट, रोड़ मूवी) भी उनके साथ ही असिस्टेंट थे. देव याद करते हैं कि "वो ऊर्जा का भंडार थीं. वो अपने आस-पास के पुरुषों को असहज करती थीं क्योंकि अपने अधिकारों, अपने नजरिए और कहानी को अपने ढंग से कहने के लिए आक्रामक तरीके से खड़ी रहती थीं. वो दोस्तों की दोस्त थीं. सेंस ऑफ ह्यूमर था. खाने से प्यार था. फिल्मों का पैशन था."
8: देव आनंद ने कल्पना को अपनी फिल्म 'हीरा पन्ना' (1973) में ज़ीनत अमान वाला रोल ऑफर किया था. पर उन्होंने मना कर दिया.
9: साल 1978 में कल्पना ने भूपेन ह़ज़ारिका के साथ मिलकर अपनी कंपनी शुरू की. उसी के अंतर्गत अपनी पहली डॉक्यूमेंट्री 'डी. जी. मूवी पायोनियर' (1978) डायरेक्ट की. ये फिल्म बंगाली फिल्ममेकर धीरेन गांगुली की लाइफ पर बेस्ड थी.
10: उन्होंने 1986 में अपनी पहली फीचर फिल्म 'एक पल' डायरेक्ट की. इसमें शबाना आज़मी, नसीरुद्दीन शाह, फारुख़ शेख़, दीना पाठक और श्रीराम लागू लीड रोल में थे. कल्पना और गुलज़ार ने इसकी स्क्रिप्ट लिखी थी. हज़ारिका ने म्यूजिक कंपोज किया था. ये अपने समय से काफी आगे की फिल्म थी. एक ऐसी औरत की कहानी थी जो शादीशुदा होने के बाद भी किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाना स्वीकार करती है. और इसे लेकर उसे कोई पछतावा नहीं होता है. वो नतीजे भुगतने के लिए पूरी तरह तैयार होती है.

फिल्म के पोस्टर में नसीर भी दिख रहे हैं, और शूटिंग वाली फोटो में सेट पर शबाना और फारुख़ को सीन समझाते हुए कल्पना. (फोटोः NFAI)
11: कल्पना ने 1988 में दूरदर्शन के लिए 'लोहित किनारे' नाम का सीरियल डायरेक्ट किया. इसमें तनवी आज़मी लीड रोल में थीं. इन्हीं तनवी ने 'बाजीराव मस्तानी' में पेशवा बाजीराव बने रणवीर सिंह की मां राधाबाई का रोल किया था.
12: वे और बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण दूर के रिश्तेदार थे, लेकिन दीपिका को शायद ये पता नहीं था. कल्पना का कहना था - "दीपिका और मैं सारस्वत ब्राह्मण हैं. उनकी और मेरी फैमिली की जड़ें कश्मीर में हैं. हम कश्मीरी पंडित हैं जो वहां से बैंगलोर आकर बस गए थे. मेरे मामा गुरु दत्त बैंगलोर में रहते थे और दीपिका के पिता प्रकाश पादुकोण भी. दीपिका पक्का मेरी रिश्तेदार हैं, हालांकि उनको ये पता नहीं होगा."
13: उनकी सबसे यादगार और अमर कर देने वाली फिल्म 'रुदाली' (1993) है जिसे बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला था. इस साल फिल्म की रिलीज को 25 साल हो गए है. ये बंगाली लेखिका महाश्वेता देवी की लिखी लघु-कथा पर आधारित थी. फिल्म राजस्थान में बेस्ड ऐसी औरतों के बारे में थी जिनको किसी के मरने पर पैसा देकर रोने के लिए बुलाया जाता है. उन्हें रुदालियां (रुदन करने वाली) कहा जाता है. डिंपल कपाड़िया ने ऐसी ही ग्रामीण औरत शनीचरी का रोल किया था. शूटिंग के दौरान वे सख़्त हालात में रहीं. राजस्थान में शूटिंग के दौरान उनको निमोनिया हो गया था. उनके अलावा अभिनेत्री राखी फिल्म में बिनकी नाम की रुदाली बनी थीं. दुनिया जहान में इस फिल्म को सराहा गया, अवॉर्ड मिले. लेकिन राखी नाराज हो गई थीं. उनका कहना था कि डायरेक्टर कल्पना ने उनके सीन काट दिए और डिंपल कपाड़िया का रोल मजबूत कर दिया. जबकि ये दो हीरोइन वाली फिल्म थी और उनका रोल भी बराबरी का होना था. ख़ैर, इस फिल्म की विरासत ऐसी है कि लंबे समय तक बनी रहेगी. इसके गीत कभी भुलाए न जा सकेंगे.
14: उसके बाद कल्पना ने 'दरमियान' (1997) डायरेक्ट की. इसमें किरण खेर, आरिफ ज़कारिया, तबु और सयाजी शिंदे जैसे एक्टर्स थे. ये 1940 और 50 के हिंदी फिल्म उद्योग में सेट कहानी है. इसमें एक एक्ट्रेस है जिसका करियर उतार पर है. उसे एक बेटा पैदा होता है. जिसे हर्माफ्रोडाइट (hermaphrodite) नाम की मेडिकल कंडीशन है. वो पुरुष और स्त्री दोनों के सम्मिलित, अविकसित जननांगों के साथ पैदा होता है. इस स्थिति वालों को समाज मोटे तौर पर हिजड़ा कहने लगता है लेकिन दोनों अलग-अलग होते हैं. कहानी में आगे मां और बेटे का एक जटिल रिश्ता नजर आता है. ये भी कि तब का फिल्म उद्योग कैसा था और तब हिजड़ों की स्थिति कैसी थी. पहले इस रोल में शाहरुख खान को लिया गया था. लेकिन बाद में उन्होंने मना कर दिया. तब दूसरे एक्टर्स को ट्राई किया गया. अंत में आरिफ ज़कारिया ने ये रोल किया.
15: उसके बाद 'दमन' (2001) आई. शादी के बाद पति द्वारा पत्नी का रेप यानी मैरिटल रेप इसका विषय था. ये एक तरह की घरेलू हिंसा और रेप है जिससे न जाने कितनी पत्नियां उत्पीड़ित होती हैं. लेकिन ज्यादातर इसे लेकर जागरूक नहीं होतीं और होती हैं तो चुप रहती हैं. भारत सरकार के परिवार कल्याण विभाग ने इस सामाजिक विषय पर कुछ करने के लिए कल्पना लाजमी से संपर्क किया था. उन्होंने 'दमन' की कहानी लिखी. कहानी परिवार कल्याण विभाग को पसंद आई और उन्होंने इसमें पैसा लगाया. रवीना टंडन ने इसमें दुर्गा नाम की युवती का रोल किया जिसका हिंसक पति (सयाजी शिंदे) उसके साथ मैरिटल रेप करता है. कल्पना की इस फिल्म से रवीना को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला था.

'दमन' में रवीना की पात्र, 'दरमियान' में किरण खेर व तबु और 'चिंगारी' में सुष्मिता सेन व ईला अरुण.
16: उन्होंने 'सिंहासन' नाम से एक स्क्रिप्ट लिखी हुई थी. ये एक पोलिटिकल ड्रामा होनी थी. कल्पना इसमें ऐश्वर्या राय को लीड रोल में लेना चाहती थीं. अगर ऐसा हो पाता तो ऐश्वर्या के करियर की पहली फिल्म होती जिसमें वे किसी राजनेता का रोल करतीं.
17: बतौर डायरेक्टर उनकी अंतिम दो फिल्में 'क्यों' (2003) और 'चिंगारी' (2006) थीं. 'चिंगारी' में सुष्मिता सेन ने एक गांव की वेश्या बसंती का रोल किया था जिसके साथ गांव का मुख्य पुजारी (मिथुन चक्रवर्ती) रेप करता है. गांव में नया आया डाकिया चंदन (अनुज साहनी) बसंती से प्यार करने लगता है. उनकी शादी होने वाली होती है लेकिन पुजारी उसकी हत्या कर देता है. अंत में बसंती उसका संहार करती है. कल्पना की इन दो फिल्मों को छोड़ दें तो बाकी सब प्रशंसनीय थीं.
18: काफी वर्षों से वे किडनी के कैंसर का इलाज करवा रही थीं. इस कठिन समय में उनकी पक्की दोस्त सोनी राजदान उनके साथ खड़ी थीं. जो लाखों रुपये का खर्चा आता रहा, उसमें मदद करती रहीं. उनके अलावा आलिया भट्ट, रोहित शेट्टी, आमिर खान, सलमान खान, जावेद अख़्तर, शबाना आज़मी, नीना गुप्ता और उनके पुराने दोस्तों ने भी वित्तीय मदद की. उनकी दोनों किडनी निकाली जा चुकी थी और वे डायलसिस पर थीं इसके बावजूद उनको यकीन था कि वे ठीक हो जाएंगी. कल्पना ने याद किया था कि इस वक्त में उनकी मां ललिता लाजमी उनके लिए सबसे बड़ा सपोर्ट रहीं.

सोनी राजदान, शबाना, ईला अरुण, अंजु महेंद्रू जैसी दोस्तों और मां ललिता लाजमी के साथ बीमारी के दिनों में दो बर्थडे के मौकों में कल्पना.
19: उन्होंने कहा था कि वे फिर से फिल्में बनाने के लिए बेचैन हो रही हैं. जैसे ही पैरों पर खड़ी होंगी, लौटेंगी. उन्होंने अपने जीवनसाथी भूपेन हजारिका पर बुक भी लिखी - Bhupen Hazarika – The Way I Knew Him. वे भूपेन के जीवन पर 'द टेम्पेस्ट' नाम से फिल्म बनाने की प्लानिंग भी कर चुकी थी, कास्टिंग भी चल रही थी. उनसे पहले पूजा भट्ट ये फिल्म बनाना चाहती थीं.
20: अपने जीवन को लेकर उनका कहना था कि तमाम कष्टों के बीच उन्होंने जो भी जीवन जिया उसे उसकी संपूर्णता में जिया और हरेक दिन को आनंद लेकर जिया. बीमारी ने जब उनको पूरी तरह तोड़ दिया था तो भी उनका कहना था - "मेरी किडनीज़ फेल हुई हैं, मैं नहीं."

शमशान में उन्हें अलविदा करते सभी दोस्त. (फोटोः फेसबुक)