साल 1992 में ‘द वीक’ मैगज़ीन का एक एडिशन निकला. कवर पेज पर Chiranjeevi की तस्वीर थी. बड़े फॉन्ट में लिखा था, Bigger than Bachchan. यानी चिरंजीवी, अमिताभ बच्चन से बड़े बन चुके थे. आगे लिखा था कि वो अपनी एक फिल्म के लिए 1.25 करोड़ रुपये की फीस चार्ज कर रहे हैं. अब तक पूरे देश में किसी भी एक्टर ने इतनी फीस नहीं ली थी. लेकिन चिरंजीवी को अपने स्टारडम और मास पुल पर भरोसा था, इसलिए उन्होंने 'घराना मोगुडु' नाम की फिल्म के लिए इतनी फीस ली थी.
इंद्रा द टाइगर: चिरंजीवी की वो फिल्म जिसने जूनियर NTR की फिल्म को डुबो दिया था!
'इंद्रा द टाइगर', वो फिल्म जिसने चिरंजीवी का कमबैक करवाया और जिसका रीमेक अक्षय कुमार बनाने वाले थे.


आंध्रप्रदेश की जनता चिरंजीवी के लिए दीवानी थी. उनकी फिल्में सिनेमाघरों में लगते ही बाहर हाउसफुल के बोर्ड लग जाते. उनकी एक झलक पाने के लिए लोग भगदड़ मचा देते. चिरंजीवी के तेलुगु सिनेमा में आने से पहले वहां अधिकांश पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्में बनती थीं. वो अपने साथ नया मसाला लेकर आए. ब्रेक डांस को कूल बनाया. तेलुगु सिनेमा को वो तमाम मसाले वाले एलिमेंट्स दिए जिनके बल पर वो आज भी अच्छा पैसा बना रहा है – डांस, फाइट और भारी-भरकम डायलॉग. चिरंजीवी का कैसा क्रेज़ था इसका अंदाज़ा इसी बात से लगता है कि उनकी पहली फिल्म 1978 में आई थी. उसके एक दशक बाद उनकी 100वीं फिल्म रिलीज़ हो रही थी. तेलुगु भाषी सिनेमा में काम करने वाले चिरंजीवी पूरे देश के सबसे बड़े स्टार बन चुके थे.
अब एक कदम आगे बढ़ने की बारी थी. साउथ में अनंतकाल से एक ट्रेंड रहा है. एक्टर्स महा-पॉपुलर होने के बाद उसे भुनाने के लिए पॉलिटिक्स में उतरते हैं. सिनेमा में बनी अपनी लार्जर दैन लाइफ का भरपूर फायदा उठाते हैं. नब्बे के दशक में चिरंजीवी अपने करियर के पीक पर पहुंच चुके थे. पॉलिटिकल महत्वाकांक्षाएं कुलबुला रही थीं. समय था अपनी पॉलिटिकल पार्टी शुरू करने का. बस इसी पॉइंट पर उनका बॉक्स ऑफिस डगमगाने लगा. लाइन से फिल्में फ्लॉप हुईं. मीडिया ने ये छापने में देरी नहीं की कि चिरंजीवी का समय जा चुका है. फिर आती है एक फिल्म जो इन खबरों को हवा में तिनके की भांति उड़ा देती है. वो फिल्म सिर्फ तेलुगु भाषी ऑडियंस ने ही नहीं देखी, बल्कि हिंदी वाली जनता ने भी इसे घोंटकर पी लिया. ये फिल्म थी साल 2002 में आई ‘इंद्रा’. हिंदी वाली जनता इसे ‘इंद्रा द टाइगर’ के नाम से जानती है. ये वही फिल्म थी जिसने तेलुगु सिनेमा में हीरो के इन्ट्रो के लिए लंबे डायलॉग का ट्रेंड शुरू किया. जैसे ‘इंद्रा’ में चिरंजीवी के किरदार इंद्र सेन का परिचय देने के लिए एक किरदार कहता है,
जिसका नाम सुनते ही आसमान भी गरजने लगता है. जिसके नाम से बंजर भूमि भी हरी-भरी हो जाती है. जिसका नाम सुनकर गुंडे-मवाली थर-थर कांपने लगते हैं.
इंद्र सेन सिर्फ एक इंसान नहीं था. इमोशन का चलता-फिरता प्रतीक था. जांघ पर थपकी मारकर स्वैग के साथ अपने सिंहासन पर बैठता. मुकेश मंजुनाथ अपनी किताब The Age of Hero में लिखते हैं कि इस फिल्म में चिरंजीवी किसी भगवान के समान थे. इस फिल्म की मेकिंग का एक किस्सा है जो आंध्रप्रदेश में बहुत चलता था. चिरंजीवी का किरदार शंकर नारायण हैदराबाद के अपने गांव को छोड़कर वाराणसी में रह रहा होता है. अब उसकी घर वापसी होनी है. किसी राजा के समान वो हेलीकॉप्टर में अपने गांव आता है. उसके दर्शन पाने के लिए लाखों लोगों का हुजूम मौजूद है. दूर-दूर तक नज़र दौड़ाने पर सिर्फ इंसान ही नज़र आते. आमतौर पर ऐसे सीन के लिए एक्स्ट्रा रखे जाते हैं. ये वो लोग होते हैं जो फिल्मों में भीड़ का काम करते हैं. मगर ‘इंद्रा’ के केस में मेकर्स ने ऐसा नहीं किया. वहां जमा हुए लोगों में से कोई भी एक्स्ट्रा नहीं थे. ये सब आम लोग थे जो बस चिरंजीवी को देखना चाहते थे. ये थी उनकी स्टार पावर और लोगों से कनेक्शन.
‘इंद्रा’ रिलीज़ हुई. बॉक्स ऑफिस के तमाम रिकॉर्ड्स ऊपर-नीचे कर दिए. महज़ 10 करोड़ रुपये के बजट में बनी फिल्म ने 50 करोड़ से ज़्यादा की कमाई की. उस समय की सबसे कमाऊ तेलुगु फिल्म बनी. 175 दिनों तक सिनेमाघरों में लगी रही. चिरंजीवी के करियर में ऐसा कारनामा आखिरी बार साल 1987 में हुआ था. ‘इंद्रा’ 126 सेंटर में 100 दिनों तक चली और 35 सेंटर में सिल्वर जुबली पूरी की. यानी 25 हफ्तों तक लगातार चलती रही. जब फिल्म की सिल्वर जुबली हुई तब मेकर्स ने एक सेलिब्रेशन प्लान किया. सिर्फ उस इवेंट में 25 लाख रुपये बहा दिए गए. आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को इस इवेंट में बतौर चीफ गेस्ट बुलाया गया. ‘इंद्रा’ इस लेवल की सुपरहिट फिल्म थी.

एक समय पर चिरंजीवी की पॉलिटिकल एंट्री फंस गई थी. हालांकि ‘इंद्रा’ के बाद फिर से लोगों ने उन्हें पुराने सिंहासन पर विराजमान कर दिया. फिल्म आने के छह साल बाद उन्होंने अपनी पॉलिटिकल पार्टी ‘प्रजा राज्यम पार्टी’ का पहला पत्थर रख दिया था. चिरंजीवी का कमबैक करवाने वाली ‘इंद्रा’ इतनी बड़ी फिल्म कैसे बनी, इससे Jr. NTR की फिल्म को भारी नुकसान क्यों झेलना पड़ा, सोनाली बेंद्रे को किस बात का डर था कि वो शूटिंग से एक रात पहले सो नहीं पाती थीं, मेकर्स ने ऐसा क्या किया जो अब तक किसी भी तेलुगु फिल्म में नहीं हुआ था, फिल्म की मेकिंग और रिलीज़ से जुड़े कुछ किस्से बताएंगे.
# सोनाली इतना डरीं कि सोना बंद कर दिया
चिरंजीवी का डांस उनकी पॉपुलैरिटी के सबसे अहम पहलुओं में से एक था. वो बिजली की तरह ब्रेक डांस करते. तेलुगु सिनेमा में अब तक ऐसा कुछ नहीं देखा गया था. ये बिल्कुल नया था. आमतौर पर डांस नम्बर्स को एक्ट्रेसेज़ के इर्द-गिर्द रचा जाता है. उन्हें अनोखे स्टेप दिए जाते हैं. लेकिन चिरंजीवी के गानों में मेकर्स एकदम उल्टा करते थे. यहां चिरंजीवी के हिस्से सबसे अलग किस्म के स्टेप आटे जो गाने की हाइलाइट साबित होते. ‘इंद्रा’ में उनके साथ सोनाली बेंद्रे थीं. फिल्म में चिरंजीवी के साथ उनके दो गाने थे – दाई दाई दामा और राधे गोविंदा.
सोनाली कहती हैं कि चिरंजीवी के साथ डांस करने को लेकर वो बहुत नर्वस थीं. उन्हें जिस सुबह चिरंजीवी के साथ गाना शूट करना होता, उससे एक रात पहले बहुत डर लगता. वो इतना घबराई हुई रहतीं कि पूरी रात सो नहीं पाती थीं. एक दिन ‘दाई दाई दामा’ गाना शूट होना था. कोरियोग्राफर से स्टेप पूछे. उन्होंने एक अजीब सा स्टेप बताया. सोनाली को समझ आ गया कि ये उनसे नहीं होने वाला. उन्होंने यही बात मेकर्स से कही. तब उन्हें बताया गया कि ये आपका स्टेप नहीं, इसे चिरंजीवी करेंगे. आप इस गाने का वीडियो नीचे देख सकते हैं:
# एक गलती से जूनियर NTR की फिल्म डूब गई
जुलाई 2002 में डायरेक्टर बी. गोपाल की दो फिल्में रिलीज़ हुईं. पहली थी ‘अल्लारी रामुडु’ और दूसरी फिल्म थी ‘इंद्रा’. ‘अल्लारी रामुडु’ में जूनियर NTR लीड रोल में थे. ये ‘इंद्रा’ से एक हफ्ते पहले रिलीज़ हुई थी. फिल्म ने अच्छा पैसा बनाया लेकिन ये सिलसिला सिर्फ पहले हफ्ते तक ही चला. ‘इंद्रा’ के आने के बाद फिल्म का हिसाब बंडल होने लगा. बी. गोपाल को एक ही महीने में बैड और गुड न्यूज़ दोनों मिलीं.

हालांकि ‘अल्लारी रामुडु’ को रिलीज़ करने का ओरिजनल प्लान कुछ और था. ये फिल्म पहले 18 जुलाई की जगह 12 जुलाई को रिलीज़ होने वाली थी. ऐसे में मेकर्स के पास कमाई करने के लिए दो हफ्ते की विंडो होती. फिल्म इतने समय में अपना कलेक्शन कर लेती. मगर ऐन मौके पर बी. गोपाल ने एक बड़ी गलती पकड़ ली. दरअसल ‘अल्लारी रामुडु’ के दूसरे हाफ में साउंड मिक्सिंग का मसला था. फिल्म रिलीज़ के लिए तैयार थी लेकिन बी. गोपाल इस हालत में उसे नहीं उतारना चाहते थे. अपनी साउंड टीम की ड्यूटी फौरन स्टूडियो में लगाई. टीम ने एकजुट होकर काम खत्म किया और फिल्म एक हफ्ते बाद रिलीज़ हो सकी. तकनीकी फ्रंट पर फिल्म दुरुस्त हो गई लेकिन इसका बॉक्स ऑफिस सिमटकर रह गया.
# पहली तेलुगु फिल्म जिसे हॉलीवुड स्टाइल में रिलीज़ किया
बीते साल प्रभास की फिल्म ‘कल्कि 2898 AD’ रिलीज़ हुई थी. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन किया. प्रभास की इस फिल्म को वैजयंती मूवीज़ के बैनर तले बनाया गया था. अश्विनी दत्त इस कंपनी के मालिक हैं. ‘कल्कि’ को प्रोड्यूस करने की ज़िम्मेदारी उनकी बेटियों, स्वप्ना और प्रियंका ने ली थी. इन दोनों के कॉलेज का काफी वक्त ‘इंद्रा’ के सेट पर बीता. उसकी वजह थी कि वैजयंती ने ही ‘इंद्रा’ को प्रोड्यूस किया था. स्वप्ना एक बातचीत में बताती हैं कि उनके पिता उन्हें और उनकी बहन को फिल्मों के सेट पर जाने को कहते. इसी दौरान वो फिल्ममेकिंग से जुड़े पहलू भी समझने लगीं.
स्वप्ना कहती हैं कि ‘इंद्रा’ पर काम करने के दौरान ही उनका सिनेमा की तरह रुझान हुआ. वो डांसर्स की कॉस्ट्यूम का काम संभाल रही थीं. इसी दौरान ये भी समझ आने लगा कि उनका मन फिल्म बनाने से ज़्यादा उसकी मार्केटिंग में लगता है. पिता अक्सर अपनी बेटियों से फिल्म को लेकर सुझाव लिया करते थे. एक ऐसी ही मीटिंग में स्वप्ना ने सुझाया कि हमें ‘इंद्रा’ के लिए हॉलीवुड जैसा प्रीमियर रखना चाहिए. यहां रेड कार्पेट बिछा होगा, इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग आएंगे, बैंड मंगवाया जाएगा. पिता को उनका ये सुझाव अच्छा लगा. अब तक तेलुगु इंडस्ट्री में किसी ने भी इस तरह से अपनी फिल्म को लॉन्च नहीं किया. मगर ‘इंद्रा’ के केस में वो सब कुछ हुआ जिस पर अब तक सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों का ही हक था.
# जब अक्षय बनाने वाले थे रीमेक
साउथ की हर मेजर फिल्म का हिंदीकरण हुआ है. उसी तरह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की पॉपुलर फिल्मों को भी साउथ में धड़ल्ले से रीमेक किया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि ‘इंद्रा’ जैसी फिल्म को हिंदी में बनाने की कोशिश क्यों नहीं हुई? एक ऐसी फिल्म जो पहले से इस टारगेट ऑडियंस के बीच इतनी पॉपुलर है. बता दें कि साल 2012 में ‘राउडी राठौड़’ की रिलीज़ के बाद खबरें उड़ी कि अक्षय कुमार ‘इंद्रा’ के हिंदी रीमेक में काम करने वाले हैं. बताया गया कि संजय लीला भंसाली ने फिल्म के हिंदी राइट्स खरीद लिए हैं और वो फिल्म को डायरेक्ट भी कर सकते हैं. हालांकि इन खबरों के चलने के बाद वैजयंती मूवीज़ ने इनका खंडन भी किया. उनका कहना था कि उन्होंने किसी को भी ‘इंद्रा’ के हिंदी राइट्स नहीं बेचे हैं. ऐसे में कहा जाने लगा कि वो खुद इस फिल्म को हिंदी में बना सकते हैं. ये बात उठी लेकिन हवा में घुलने से पहले ही गायब भी हो गई.
साल 2024 में चिरंजीवी के जन्मदिन के मौके पर ‘इंद्रा’ को फिर से रिलीज़ किया गया था. तब भी फिल्म कई सिनेमाघरों में हाउसफुल रही जबकि ये सिर्फ एक ही हफ्ते के लिए रिलीज़ हुई थी. इसने कर्नाटक में री-रिलीज़ हुई तेलुगु फिल्मों में सबसे ज़्यादा कमाई का रिकॉर्ड अपने नाम किया. टीवी पर हज़ारों बार दिखाई जा चुकी है. फिर भी दीवानगी का आलम जस-का-तस है. आज भी किसी रविवार की दोपहर आप किसी सलोन में घुस जाएं और मुमकिन है कि टीवी पर गरजती हुई आवाज़ सुनाई दे, “वीर शंकर नाथ, पौधा समझके उखाड़ा तो गर्दन उड़ा दूंगा.” ये है ‘इंद्रा द टाइगर’ का क्रेज़!
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