Anubhav Sinha की सीरीज़ IC 814 – The Kandahar Hijack पर विवाद हो रहा है. हाल ही में खबर आई कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स के कंटेंट हेड को समन किया है. ये सीरीज़ साल 1999 के कंधार हाईजैक पर आधारित है. पांच आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 को हाईजैक कर लिया था. लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि मेकर्स ने उन आतंकवादियों के नाम और धर्म बदल दिए. पूरा सच बताते हैं.
IC814 कंट्रोवर्सी: क्या सच में आतंकियों के नाम 'भोला' और 'शंकर' थे? पूरा सच ये है
Netflix की सीरीज़ IC814 पर हंगामा मच रहा है. Kandahar Hijack पर बनी इस सीरीज़ को लोग बॉयकॉट क्यों कर रहे हैं.

24 दिसम्बर 1999 की शाम को पांच आतंकवादी IC814 नाम की फ्लाइट में चढ़े थे. उनके नाम थे –
#1. शाहिद अख्तर सईद
#2. इब्राहिम अतहर
#3. सनी अहमद काज़ी
#4. मिस्त्री ज़हूर इब्राहिम
#5. शाकिर उर्फ राजेश गोपाल वर्मा.
सीरीज़ के अधिकांश हिस्से में उन्हें इस नाम से नहीं बुलाया गया. दरअसल ये पांचों आतंकवादी अपनी पहचान छुपाने के लिए नकली नामों के साथ प्लेन में सवार हुए थे. उनके नकली नाम थे –
#1. चीफ
#2. डॉक्टर
#3. बर्गर
#4. भोला
#5. शंकर
इस मिशन के लिए आतंकियों के अपने कुछ कोड नेम रखे थे, और वो ऐसे नकली नामों से ही एक-दूसरे को संबोधित करते थे. भारतीय सरकार ने जो विज्ञप्ति जारी की थी, उसमें भी इस बात का ज़िक्र है.
# पूरी कहानी क्या है?
कुछ लोग ये भी लिख रहे हैं कि मेकर्स ने जानबूझकर सीरीज़ में आतंकियों को मानवीय बनाने की कोशिश की है. जैसे दिखाया गया कि वो बंधक लोगों के साथ अंताक्षरी खेल रहे हैं. निलेश मिश्रा ने भी इस पर ट्वीट किया. उन्होंने इस हाईजैक पर 173 Hours in Captivity नाम की किताब लिखी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया कि बंधक लोगों से बात करने पर उन्हें पता चला कि ऐसा हकीकत में भी हुआ था. बाकी सीरीज़ के कई हिस्सों में उनके असली नाम बताए गए हैं. जैसे एक जगह मनोज पाहवा का किरदार आतंकियों से बात कर रहा है, और वो उनके असली नामों का इस्तेमाल करता है. साथ ही बताया कि जिन आतंकियों को रिहा करवाया गया, उन्होंने आगे चलकर कैसे दहशत फैलाई. ये सीरीज़ इस नोट पर खत्म होती है कि 25 साल के बाद भी कैसे बंधक हुए लोग उस ट्रॉमा से बाहर नहीं निकल पाए हैं.
बता दें कि IC814 नाम की फ्लाइट ने 24 दिसम्बर 1999 को काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. उसी शाम उसे हाईजैक कर लिया गया. बदले में मांग की गई कि मसूद अज़हर, अहमद ओमार सईद शेख, और मुश्ताक ज़रगर नाम के आतंकवादियों को रिहा किया जाए. आतंकियों ने फ्लाइट को दिल्ली में लैंड नहीं होने दिया. वो उसे लाहौर ले जाना चाहते थे. कैप्टन देवी शरण ने खूब समझाने की कोशिश की कि उनके पास इतना ईंधन नहीं है. आतंकी नहीं माने. दूसरी ओर फ्लाइट को लाहौर में लैंड करने की परमिशन भी नहीं मिली. इसलिए प्लेन को अमृतसर में लैंड करना पड़ा. इसके बाद उसे लाहौर ले जाया गया. लाहौर से टेक ऑफ करने के बाद विमान काबुल होते हुए मस्कट और फिर ओमान तक गया, लेकिन कहीं लैंड करने की परमीशन नहीं मिली. आखिरकार 25 दिसंबर की सुबह करीब 3 बजे विमान दुबई में लैंड हुआ. यहां ईंधन भरे जाने के एवज में 26 यात्रियों को रिहा करने पर समझौता हुआ. इसके बाद विमान ने अफगानिस्तान में काबुल की तरफ़ उड़ान भरी. लेकिन काबुल एयरपोर्ट की तरफ़ से विमान को कंधार ले जाने को कहा गया. 26 दिसंबर की ही सुबह करीब 8 बजे विमान कंधार हवाई अड्डे पर लैंड कर चुका था. इसके बाद आईसी 814 विमान पूरे 6 दिनों यात्रियों की जेल बना रहा. 31 दिसम्बर को भारतीय सरकार ने तीनों आतंकियों को हाईजैकर्स को सौंप दिया और उन्होंने बदले में बंधकों को रिहा कर दिया था. फ्लाइट के कैप्टन देवी शरण ने श्रीनजॉय चौधरी के साथ मिलकर ‘फ्लाइट इंटू फियर’ नाम की किताब लिखी. अनुभव सिन्हा की सीरीज़ उसी किताब पर आधारित है. इस सीरीज़ में नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, विजय वर्मा, पत्रलेखा, दिया मिर्ज़ा और कुमुद मिश्रा जैसे एक्टर्स ने काम किया है.
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