Aditya Dhar की Dhurandhar को फिल्म जर्नलिस्ट Anupama Chopra ने थकाऊ, निष्ठुर और उन्मादी जासूसी थ्रिलर बताया था. क्रिटिक Sucharita Tyagi ने भी इसे साढ़े तीन घंटे की हाइपरमैस्क्यूलिन मूवी बताया है. दोनों को उनके रिव्यू के लिए सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया गया. मामला इतना बढ़ा कि द हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया ने अपने चैनल से अनुपमा का रिव्यू ही हटा दिया है.
'धुरंधर' पर ट्रोलिंग के बाद फिल्म क्रिटिक्स ने मुंहतोड़ जवाब दिया है!
अनुपमा चोपड़ा ने 'धुरंधर' के रिव्यू में फिल्म की आलोचना की थी. लेकिन बाद में उस वीडियो को हटा दिया गया.
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मगर अब फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड ऑफ इंडिया (FCG) ने इन दोनों के लिए अपना समर्थन जताया है. ये फिल्म क्रिटिसिज़्म से जुड़ा देश का पहला रजिस्टर्ड संस्थान है. FCG ने एक औपचारिक बयान जारी करते हुए कहा,
"फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड (FCG), धुरंधर का रिव्यू करने वाले फिल्म क्रिटिक्स पर हो रहे अटैक्स, हैरेसमेंट और नफरत भरी ट्रोलिंग की कड़ी निंदा करता है. जो बात सिर्फ असहमति से शुरू हुई थी, वो अब संगठित गालीबाज़ी, निजी हमलों और आलोचकों की प्रोफेशनल इमेज खराब करने की कोशिशों में बदल गई है."
बयान में आगे लिखा है,
"पिछले कुछ दिनों में हमारे कई सदस्य डराने-धमकाने का शिकार हुए हैं. उन्हें सीधे धमकी भरे मैसेज मिले हैं. ऑनलाइन कैंपेन चलाए गए हैं ताकि उनकी राय को दबाया जा सके. वो सिर्फ़ अपना काम कर रहे थे, फिल्म का रिव्यू दे रहे थे. सबसे चिंताजनक बात यह है कि कुछ लोग रिव्यू बदलवाने, मीडिया हाउसेज़ के एडिटोरियल फैसलों को प्रभावित करने और पब्लिकेशन्स पर दबाव बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं ताकि उनकी राय बदली या कमजोर की जा सके."
FCG ने कहा कि फिल्म क्रिटिक्स का मज़ाक उड़ाना और उनकी वैल्यू को कम करने का सिलसिला बढ़ गया है. इसका असर उनके काम पर पड़ता है. उन्हें डराकर उनका काम नहीं रोका जा सकता. न ही उनकी राय को एक लाइन के सोशल मीडिया रिएक्शन तक सीमित किया जा सकता है.
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संस्था ने क्रिटिक्स के पक्षपाती होने या राजनीतिक एजेंडा चलाने के आरोपों को बेबुनियादी बताया है. उनके अनुसार, फिल्म क्रिटिक्स के काम पर उन्हें गाली-गलौज और धमकियां मिल रही हैं. लोगों को समझना चाहिए कि फिल्म पसंद या नापसंद करना उनका हक है. लेकिन क्रिटिक्स को अपनी बात बदलने के लिए मजबूर करना, ये भी ठीक नहीं. इस वक्त ज़रूरत है कि सब मिलकर सोचें और ऐसा माहौल बनाएं जहां कला, बहस और क्रिटिसिज़्म बिना डर के साथ-साथ चल सकें.

जानकारी के लिए बता दें कि जिस फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड ने ये स्टेटमेंट जारी किया है, खुद अनुपमा चोपड़ा ही उसकी चेयरपर्सन हैं. वहीं सुचरिता इस संस्थान की वाइस-चेयरपर्सन हैं. इंटरनेट पर एक बड़े वर्ग का ये कहना है कि क्रिटिक्स फिल्मों की आलोचना तो कर देते हैं. मगर जब जनता उनकी आलोचनाओं को नकारती है, तो वो अपना रिव्यू हटा देते हैं. बता दें कि इस पूरे मसले पर अनुपमा चोपड़ा की तरफ से कोई स्टेटमेंट नहीं आया है.
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