भारत में बन रही वैक्सीन का पूरा प्रोसेस उसे बनाने वाले से समझिए
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के CEO ने सब गणित समझा दिया है.
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तस्वीर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे की है. (फाइल फोटो- PTI)
'हमारा नया साल एक हैपी न्यू ईयर होगा. इतना ही कह सकता हूं कि इस साल हमारे हाथ खाली नहीं होंगे.' ये बात कही वीजी सोमानी ने. बीतते साल के सबसे बड़े सवाल के जवाब में. सवाल क्या- कोरोना की वैक्सीन कब बनेगी. सोमानी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया हैं. माने भारत में कौन सी दवाई चलेगी और कौन सी नहीं, इसका फैसला उनके हाथ में है. भारत में भारत बायोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), जायडस आदि कंपनियां वैक्सीन बनाने की रेस में आगे चल रही हैं. इन्हीं में से एक कंपनी यानी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में वैक्सीन की प्रोडक्शन और पैकेजिंग देखने के लिए पहुंचे इंडिया टुडे के राहुल कंवल. राहुल ने SII के CEO आदर पूनावाला से भी बात की. वैक्सीन की पैकेजिंग कैसे होती है? पूनावाला ने बताया कि सबसे पहले उन शीशियों को अच्छे से धोने का काम होता है, जिनमें वैक्सीन को स्टोर किया जाना है. इसके बाद इन्हें हाई टेंपरेचर पर गर्म किया जाता है. किसी भी तरह के इंफेक्शन या पॉल्यूशन के ख़तरे को कम करने के लिए इस पूरी प्रोसेस को मानवीय हस्तक्षेप से दूर, पूरी तरह ऑटोमेटिक रखा जाता है. शीशियों को ठंडा करने के बाद ये अगली मशीन के नीचे जाती हैं, जहां इनमें वैक्सीन की डोज़ भर दी जाती है. शीशी पर सील लग जाती है और ये पैक हो जाती है. स्टोर कैसे होगी? इसके बाद वैक्सीन की इन शीशियों को एक स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग से गुज़ारा जाता है. जो शीशी ज़रा भी गड़बड़ होती है, वो रिजेक्ट हो जाती है. बाकी पास. कोविशील्ड वैक्सीन को 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर स्टोर करना होता है. इसके लिए बड़े कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था कर ली गई है. कितनी सुरक्षित है वैक्सीन? आदर पूनावाला का कहना है कि चाहे अभी कोविड वैक्सीन की बात हो, या इससे पहले रोटा वायरस या पोलियो जैसी वैक्सीन की बात रही हो, कभी-कभी कुछ साइड इफेक्ट सामने आ जाते हैं. लेकिन ये बहुत ही कम लोगों में देखे जाते हैं और ये साइड इफेक्ट गंभीर नहीं होते. बुखार, सिर दर्द जैसे लक्षण रह सकते हैं, वो भी दो या तीन दिन के लिए. आदर ने दावा किया कि वैक्सीन के ट्रायल्स में किसी साइड इफेक्ट की बात सामने नहीं आई. कितना तेज है काम? आदर पूनावाला ने बताया कि फिलहाल SII में पांच हज़ार कोविड डोज़ पर मिनट तैयार की जा रही हैं. उनका दावा है कि फरवरी तक ये रफ्तार दोगुनी हो जाएगी. वैक्सीन की एक शीशी में 10 डोज़ होती हैं. एक आदमी को दो डोज़ की ज़रूरत होती है. इस हिसाब से एक शीशी से पांच लोगों को वैक्सीनेट किया जा सकता है. लेकिन शीशी खुलने के बाद चार से पांच 4-5 घंटे में ही इस्तेमाल कर लेना होता है. क्योंकि एक बार खुलने के ब 4-5 घंटे में वैक्सीन ख़राब हो सकती है.
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