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क्या सिर्फ 29,000 रुपये भरकर कोई भी कान फिल्म फेस्टिवल के रेड कार्पेट पर जा सकता है?

अगर Cannes Film Festival सिर्फ दिग्गज फिल्ममेकर्स के लिए है तो फिर आम सिनेप्रेमी कहां जाएंगे, उसका जवाब भी इस स्टोरी में मिलेगा.

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कान फिल्म फेस्टिवल में विष्णु कौशल, आस्था शाह जैसे इंफ्लुएंसर्स पहुंचे.

14 मई से Cannes Film Festival के 77वें संस्करण का आगाज़ हुआ. कान (Cannes 2024) दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल्स में से एक है. अगर आप किसी भी क्षमता में सिनेमा से प्रेम करते हैं, तो ऐसा मुमकिन नहीं कि आपने कान के बारे में ना सुना हो. खैर इंडिया में इस साल ये फेस्टिवल दो कारण से चर्चा में है. पहला तो ये कि करीब 30 बाद कोई भारतीय फिल्म कॉम्पीटिशन वाली कैटेगरी में नॉमिनेट हुई हो. पायल कपाड़िया की फिल्म All We Imagine As Light ने ये कारनामा कर दिखाया है. उसके अलावा Santosh और Sister Midnight जैसी फिल्में भी इस साल कान के रोस्टर का हिस्सा हैं. 

दूसरी वजह हैं भारतीय इंफ्लुएंसर्स. इंस्टाग्राम पर आपने विष्णु कौशल, RJ करिश्मा, आयुष मेहरा, विराज घेलानी, नैन्सी त्यागी और आस्था शाह जैसे कंटेंट क्रिएटर्स की रील देखी होंगी, जहां वो कान के रेड कार्पेट पर नज़र आ रहे हैं. इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत हल्ला मचा हुआ है. लोग लिख रहे हैं कि कान फिल्म फेस्टिवल्स तो फिल्म वालों के लिए है, ऐसे में वहां इंफ्लुएंसर्स का क्या काम. कोई लिख रहा है कि इनसे 10 फिल्मों के नाम पूछो. किसी ने लिखा कि ये बस चकाचौंध के लिए गए हैं, उन्हें सिनेमा से कोई सरोकार नहीं. 

इस बीच खबर उड़ने लगी कि कान के रेड कार्पेट पर कोई भी पहुंच सकता है. आपको बस 300 यूरो भरने होंगे. ये भारतीय रुपये में करीब 29,000 रुपये होते हैं. आगे बढ़ने से पहले बता दें कि ये सच नहीं है. कोई भी कान के रेड कार्पेट पर नहीं पहुंच सकता. वो बात अलग है कि कान सिर्फ फिल्ममेकर्स या मीडिया के लिए नहीं है. वहां सिनेफाइल भी जा सकते हैं, मगर वो रेड कार्पेट पर नहीं घूम सकते. कान में अपनी फिल्म भेजने की फीस 300 यूरो है, ना कि वहां के रेड कार्पेट पर पहुंचने की. अगर आपकी फिल्म सिलेक्ट होती है तो आपको कान की तरफ से न्योता आएगा. 

कान के रेड कार्पेट पर जाने का दूसरा तरीका है ब्रांड एंडॉर्समेंट का. बीते कई सालों से ऐश्वर्या राय और सोनम कपूर भी इसी के तहत कान जाती रही हैं. वो वहां लॉरियल की ब्रांड एम्बेसडर बनकर गईं. जैसे मान लीजिए कि कोई ब्रांड कान के इवेंट को स्पॉन्सर कर रहा है, या उनका पार्टनर है, तो वो अपनी तरफ से ब्रांड एम्बेसडर को ले जा सकता है. जितने भी भारतीय इंफ्लुएंसर्स कान में गए हैं, वो दरअसल ब्रूट इंडिया की तरफ से गए हैं. ब्रूट कान का मीडिया पार्टनर है. इसलिए वो डिजिटल क्रिएटर्स को वहां लेकर गया है. कुलमिलाकर कहानी का सार ये है कि इनमें से किसी भी इंफ्लुएंसर्स ने पैसे नहीं दिए. चाहे वो 300 यूरो हों या फिर चाहे कितने भी. 

कान में जाने के लिए लोगों को अलग-अलग Accredition के लिए अप्लाई करते हैं. फिल्ममेकर्स और मीडिया वालों को भी इसके लिए अप्लाई करना पड़ता है. उसी हिसाब से उन्हें फेस्टिवल का एक्सेस मिलता है. ऐसे में कान का 3 Jours à Cannes नाम का एक प्रोग्राम है. उसके तहत सिनेप्रेमी तीन दिन के लिए फेस्टिवल अटेंड कर सकते हैं. इस दौरान वो ऑफिशियल सिलेक्शन वाली सभी फिल्में देख सकते हैं. बता दें कि 14 मई को शुरू हुए कान फिल्म फेस्टिवल का समापन 25 मई को होगा.  
 

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