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मूवी रिव्यू: ब्लैक पैंथर - वकांडा फॉरेवर

‘ब्लैक पैंथर: वकांडा फॉरेवर’ टी चाला और चैडविक की खाली जगह को भरने की कोशिश नहीं करती. उनके फैन्स को वो क्लोज़र देती है जिसकी उन्हें तलाश और ज़रूरत दोनों थी.

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ब्लैक पैंथर का सीक्वल चैडविक बोसमन को ईमानदार श्रद्धांजलि देता है.

28 अगस्त, 2020 को चैडविक बोसमन का निधन हो गया. उस वक्त तक ‘ब्लैक पैंथर’ के सीक्वल पर काम शुरू नहीं हुआ था. चैडविक लंबे समय से कोलन कैंसर से जूझ रहे थे. इसका पता उनके करीबियों के अलावा बाकी लोगों को नहीं था. एक सुबह अचानक खबर आई कि चैडविक नहीं रहे. ‘ब्लैक पैंथर’ के फैन्स दंग थे. उनका स्टार यूं अचानक चला गया. पीछे रह गया तो उनके निधन का क्लोज़र. वो क्लोज़र जो उनके फैन्स को कभी नहीं मिल पाया.

‘ब्लैक पैंथर: वकांडा फॉरेवर’ टी चाला और चैडविक की खाली जगह को भरने की कोशिश नहीं करती. बल्कि उन्हें एक ईमानदार श्रद्धांजलि देती है. उनके फैन्स को वो क्लोज़र देती है जिसकी उन्हें तलाश और ज़रूरत दोनों थी. फिल्म की शुरुआत टी चाला की डेथ से ही होती है. हमें बस इतना पता चलता है कि वो एक लंबी बीमारी से लड़ रहे थे. फिल्म उनकी बीमारी के कारण या मौत की वजह पर ऊँगली पॉइंट नहीं करती. वो उनकी मृत्यु को हृदयविदारक, पर वास्तविक रखती है. आपके पास सवाल रह जाते हैं कि वो इंसान क्यों चला गया. लेकिन आप सवालों और अपनी गिल्ट के साथ रह जाते हैं. उन्हीं के साथ जीते हैं. वकांडा के तख्त पर राजा नहीं है. अमेरिका और बाकी देशों की नज़र अब वाइबरेनियम पर है. शायद तेल से मन भर गया हो. खैर, मसला सिर्फ बाहरी देश ही नहीं. कहानी में एक और शख्स है, नेमोर नाम का. जिसकी ताकत से पार नहीं पाया जा सकता. किसी को उसके बारे में ज़्यादा नहीं पता.

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फिल्म टी चाला की डेथ से शुरू होती है. 

नेमोर किस वजह से वकांडा वालों के लिए मुश्किल खड़ी करता है. उससे वहां के लोग कैसे लड़ेंगे. आगे पूरी फिल्म की यही कहानी है. ‘ब्लैक पैंथर: वकांडा फॉरेवर’ टी चाला और चैडविक की डेथ को केंद्र बनाकर चलती है. टी चाला पर ही शुरू और खत्म होती है. बीच में बहुत कुछ घटता है, जिस पर थोड़ी देर में बात करेंगे. फिल्म उनकी डेथ से जुड़े इमोशन को भुनाने की कोशिश नहीं करती. बल्कि उसे सेंसिबल तरीके से दर्शाती है. उनके जाने को बस एक इवेंट बता कर आगे नहीं बढ़ती. इमोशन वाले पक्ष पर फिल्म मज़बूत है. टी चाला की कमी का असर पूरी फिल्म पर दिखता है. वकांडा के प्रति लोगों का नज़रिया बदलता है. उनके करीबी लोग खुद को वल्नरेबल पाते हैं. वल्नरेबल पड़ने से कमज़ोर नहीं होते. खुद को खोजते हैं.

टी चाला की बहन शूरी पर उनकी डेथ का गहरा असर पड़ता है. सब कुछ खो जाने की कगार पर आकर ये किरदार खुद को खोजता है. ब्लैक पैंथर की फिलॉसफी को आत्मसात करता है. शूरी का किरदार यहां निखर कर आता है. बस काश यही बात फिल्म में दिखाए गए दो नए किरदारों के लिए भी कही जा सकती, आयरन हार्ट और नेमोर. फिल्म नेमोर को ब्लैक पैंथर के टक्कर का दुश्मन दिखाना चाहती है. लेकिन उसकी कहानी में ब्लैक पैंथर जितना इंवेस्ट करने की कोशिश नहीं करती. नेमोर की बैक स्टोरी को सरसरी तौर पर दिखाया गया. जैसे कोई खानापूर्ति करने की कोशिश हो. नेमोर की कहानी को ठीक से स्पेस न मिलने की वजह से आप उससे कोई जुड़ाव महसूस नहीं करते. नतीजतन उसका पूरा मोटिव हल्का लगने लगता है.

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फिल्म नेमोर को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाती.  

फिर आती है आयरन हार्ट. उसके किरदार को लेकर हम सुनते हैं कि वो जीनियस है. छोटी सी उम्र में तगड़ी टेक्नॉलजी ईजाद कर डाली. जिसका नमूना हम क्लाइमैक्स वाली लड़ाई में भी देखते हैं. बता दें कि ये एक्शन सीक्वेंस फिल्म के सबसे हाई पॉइंट में से एक है. खैर, आयरन हार्ट की कहानी कहां से शुरू हुई. उसने इतनी कम उम्र में इतना सब कुछ कैसे सीखा, फिल्म इसे बस कुछ डायलॉग में ऊपर-ऊपर से निकाल देती है. लगता है कि बस राइटर्स जल्दबाज़ी में लपेटना चाहते हैं. ये भी संभव है कि उसकी कहानी को आगे किसी प्रोजेक्ट में पूरी जगह दें. लेकिन उस लिहाज़ से भी यहां संतोषजनक स्पेस नहीं मिलता. फिल्म कई सारे सब प्लॉट खोलती है. और कुछ समय बाद उन्हीं में उलझ जाती है. नतीजा ये निकलता है कि कहानी खत्म होने तक कई धागे खुले रह जाते हैं. जिन्हें जोड़े बिना फिल्म सहूलियत से अपना रस्ता पकड़ लेती है.

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सब प्लॉट में खामियां हैं, फिर भी देखी जा सकती है. 

‘ब्लैक पैंथर: वकांडा फॉरेवर’ का दिल सही जगह पर है. फिल्म के सब प्लॉट्स में खामियां ज़रूर हैं. लेकिन ये पूरी तरह रिजेक्ट कर देने वाली कहानी नहीं. ये इस बात से पूरी तरह अवगत है कि ब्लैक पैंथर फ्रैंचाइज़ी के फैन्स किस उम्मीद के साथ सिनेमाघर आएंगे. उस पर डिलीवर भी करती है. विदेशी मीडिया में फिल्म को लेकर लिखा गया था कि ये मार्वल की सबसे इमोशनल फिल्म है. टी चाला और चैडविक बोसमन की डेथ को ड्रामेटिक नहीं बनाती. कोई I am Iron Man नुमा डायलॉग नहीं आता. एक मानव क्षति हुई है. उसे फिल्म पूरी मानवीयता और संजीदगी के साथ हैंडल करती है. ‘ब्लैक पैंथर’ का सीक्वल एक एवरेज फिल्म है. कुछ पॉइंट मज़बूत हैं, तो कुछ खामियां भी हैं. लेकिन बावजूद सभी बातों के, देखी जा सकती है.

वीडियो: मूवी रिव्यू - डॉक्टर G