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'बैड्स ऑफ बॉलीवुड' से पहले बनी 6 फिल्में-सीरीज़ जिन्होंने बॉलीवुड की बखिया उधेड़ दीं!

शाहरुख खान, करीना कपूर और शशि कपूर जैसे बड़े एक्टर्स इन फिल्मों का हिस्सा थे.

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आर्यन की सीरीज़ 18 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होगी.

Shah Rukh Khan के बेटे Aryan Khan की पहली सीरीज़ The Bads of Bollywood के ट्रेलर को बाजे-गाजे के साथ लॉन्च किया गया. इस सीरीज़ में हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री की दुनिया को एक अलग चश्मे से दिखाया जाएगा. मसाले, एंटरटेनमेंट की दुनिया को कैसे खड़ा किया जाता है. पनप रही जलन, फेम और ग्लैमर के बीच एक लड़का कैसे अपने पांव जमाता है, एक आउटसाइडर कैसे शिखर तक चढ़ने की कोशिश करता है, ये सीरीज़ ऐसे ही पहलुओं पर केंद्रित है. आर्यन की सीरीज़ 18 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होने वाली है. लेकिन उससे पहले कुछ ऐसी फिल्मों और सीरीज़ के बारे में बताएंगे जहां आप हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री की दुनिया को एक ऑडियंस की तरह नहीं देखते, बल्कि उसके अच्छे-बुरे के हिस्सेदार बनते हैं. 

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#1. बॉम्बे टॉकी 
डायरेक्टर: जेम्स आइवरी 
कास्ट: शशि कपूर, जेनिफर केंडल

लूसिया एक अंग्रेज़ राइटर है. वो हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री पर एक किताब लिख रही है. इसी सिलसिले में एक फिल्म के सेट पर पहुंचती है. विक्रम नाम का स्टार अपनी कुर्सी पर सुस्ता रहा है.   एक बड़ी हिन्दी फिल्म का सेट लगा है. डायरेक्टर उसे बताता है कि एक गाना शूट करना होगा. विक्रम पूछता है कि पहले तो ये गाना स्क्रिप्ट में नहीं था. जवाब मिलता है कि डिस्ट्रिब्यूटर ट्रायल देखने आया था. विक्रम पूछता है,

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डिस्ट्रिब्यूटर के लिए फिल्म बना रहे हैं आप? अपने लिए बना रहे हैं? किसके लिए बना रहे हैं?

डायरेक्टर बात पूरी होने से पहले ही कहता है, "ना आपके लिए, ना डिस्ट्रिब्यूटर के लिए, ना अपने लिए, पिक्चर पब्लिक के लिए बना रहा हूं".

इस एक सीन से लूसिया और ऑडियंस, दोनों को ही उस समय के हिन्दी सिनेमा का पूरा आइडिया मिल जाता है. हालांकि ये कहानी सिर्फ सिनेमा के बारे में नहीं है. विक्रम और लूसिया की प्रेम कहानी के बहाने हम सिनेमा की इस दुनिया के बाकी किरदारों से भी मिलते हैं.

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#2. लक बाय चांस 
डायरेक्टर: ज़ोया अख्तर
कास्ट: फरहान अख्तर, कोंकणा सेन शर्मा, ईशा शर्वनी

ज़ोया अख्तर के छोटे भाई फरहान अख्तर ने साल 2001 में अपनी पहली फिल्म 'दिल चाहता है' बनाई थी. वहीं उनकी पहली फिल्म 'लक बाय चांस' 2009 में आई. ज़ोया को अपनी डेब्यू फिल्म बनाने में लंबा वक्त लगा. पहले सैफ इस फिल्म को करने वाले थे, लेकिन उन्होंने अचानक से बिना बताए फिल्म छोड़ दी. फिर ज़ोया ने फरहान को कास्ट किया. फरहान ने विक्रम जयसिंह नाम के लड़के का रोल किया जो हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाना चाहता है. वो दूसरी दुनिया से आया है. ऑडिशन की भीड़ देखता है. धक्के खाता है. फिर नैतिकता और सही-गलत से परे जाकर खुद को पांव जमाता है. फिल्म विक्रम को जज करने की कोशिश नहीं करती. बल्कि उस दुनिया को करीब से दिखाती है जहां विक्रम जैसे लोग शिखर पर पहुंच रहे हैं.

#3. हीरोइन 
डायरेक्टर: मधुर भंडारकर 
कास्ट: करीना कपूर खान, अर्जुन रामपाल

साल 2008 में मधुर भंडारकर की फिल्म ‘फैशन’ रिलीज़ हुई. फिल्म ने नैशनल अवॉर्ड जीते. मधुर ने फैशन इंडस्ट्री का डार्क साइड दिखाने की कोशिश की. फिल्म के किरदारों को ग्लैमर और प्रसिद्धि की एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. साल 2012 में मधुर भंडारकर की फिल्म ‘हीरोइन’ आती है. पहले फिल्म में ऐश्वर्या राय को कास्ट किया गया था. लेकिन उन्होंने ये फिल्म छोड़ दी. फिर करीना ने इसे लीड किया. ‘हीरोइन’ में मधुर भंडारकर ने फिल्म इंडस्ट्री का डार्क साइड दिखाने की कोशिश की, कि कैसे एक एक्ट्रेस सुपरस्टार बनती है और उसे उस फेम कि भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है.

#4. ओम शांति ओम 
डायरेक्टर: फराह खान 
कास्ट: शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, अर्जुन रामपाल

फराह खान की सबसे फिल्मी फिल्म. उन्होंने पुनर्जन्म वाले उसी पुराने ऐंगल को फिल्मी ढंग से एंटरटेनिंग है. जैसे एक सीन है जहां शाहरुख का किरदार दीपिका से कहता है कि दोस्ती में नो सॉरी, नो थैंक यू. दिखाया जाता है कि सूरज नाम का एक लड़का ये लाइन सुनकर लिख लेता है. बिना नाम लिए दिखाया गया कि वो लड़का आगे चलकर सूरज बड़जात्या बनेगा. अगर आप ध्यान से देखेंगे तो ‘ओम शांति ओम’ में इस तरह के कई रेफ्रेंस दिखेंगे. पुनर्जन्म और बदले की कहानी के ज़रिए फराह ने फिल्मी दुनिया को एक अलग नज़रिए से दिखाया है. जैसे एक सुपरस्टार, डायरेक्टर के सामने गाने की ब्रीफ बदल देता है, और हमें ‘दर्द-ए-डिस्को’ मिलता है.

#5. बॉलीवुड कॉलिंग 
डायरेक्टर: नागेश कुकुनूर
कास्ट: पैट कुसिक, ओम पुरी

पैट्रिक एक अमेरिकी फिल्म डायरेक्टर है. लेकिन ये उसका दूसरा परिचय है. पहला परिचय ये है कि वो एक शराबी है. एक सुबह पैट्रिक फैसला लेता है कि उसे एक बॉलीवुड फिल्म बनानी है. इससे पहले कि ये आइडिया दिमाग से निकल पाता, वो बोरिया-बिस्तर उठाकर इंडिया पहुंच जाता है. लेकिन यहां आकर समझ आता है कि हकीकत कुछ और ही है. ये नागेश कुकुनूर की शुरुआती फिल्मों में से एक थी, जब वो अपनी आवाज़ ढूंढने की कोशिश कर रहे थे. यही कारण इसे एक रॉ फिल्म बनाती है.

#6. शोटाइम
क्रिएटर: सुमित रॉय 
कास्ट: इमरान हाशमी, महिमा मकवाना, नसीरुद्दीन शाह

इमरान हाशमी ने इस सीरीज़ में रघु नाम के एक प्रोड्यूसर का रोल किया. विक्ट्री स्टूडियोज़ की बागडोर उसके हाथों में है. उनके पिछले प्रोजेक्ट की बॉक्स ऑफिस पर धज्जियां उड़ गईं. अब वो अपने अगले प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. किसी भी तरह इसे हिट बनाना है. उसके लिए रघु कुछ भी करेगा. यहीं से सीरीज़ की नींव पड़ती है, कि कैसे एक सुंदर नेरेटिव बेचने के पीछे भद्दी चीज़ें होती हैं. आउटसाइडर, नेपोटिज़्म, इस सीरीज़ में सब कुछ है. 
            

वीडियो: बैड्स ऑफ बॉलीवुड के प्रीव्यू पर क्या बोली इंटरनेट की ऑडियंस

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