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आनंद एल. राय ने कहा- 'शायद रक्षा बंधन बनाते वक्त मैंने ज़्यादा चालाकी दिखा दी!'

आनंद एल. राय ने अक्षय कुमार स्टारर 'रक्षा बंधन' के पिटने पर बड़ी गंभीरता से अपनी गलती स्वीकारी है.

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'रक्षा बंधन' की शूटिंग के दौरान अपने लीडिंग मैन अक्षय कुमार के साथ डायरेक्टर आनंद एल. राय.

Akshay Kumar के साथ Aanand L. Rai ने Raksha Bandhan नाम की फिल्म बनाई. बड़े जतन से बनाई गई ये फिल्म बुरी पिटी. इसकी एक वजह ये मानी गई कि ये आमिर की 'लाल सिंह चड्ढा' के साथ रिलीज़ हुई थी. मगर मसला ये है कि उस दिन रिलीज़ हुईं दोनों में से कोई फिल्म नहीं चली. अमूमन फिल्ममेकर्स फिल्म फ्लॉप होने के बाद आगे बढ़ जाते हैं. अगले प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर देते हैं. मगर आनंद एल. राय ने इस पर गंभीरता से विचार किया. उन्होंने ये समझने की कोशिश की कि वो 'रक्षा बंधन' के साथ कहां गलत चले गए. इस कॉन्टेम्पलेशन से उन्हें ये समझ आया कि किसी भी फिल्म की सफलता में सबसे बड़ा योगदान कहानी का होता है.

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आनंद ने अपने हालिया इंटरव्यू में कहा कि शायद उन्होंने 'रक्षा बंधन' बनाने में ज़्यादा चालाकी दिखा दी. यही वजह रही कि फिल्म लोगों को पसंद नहीं आई. 'रक्षा बंधन' के फ्लॉप होने पर उन्होंने PTI से बात करते हुए कहा-

''जब मैंने 'रक्षा बंधन' बनाई, तो मैं गलत था. मैंने ये सोचा कि ये फिल्म B और C टीयर वाले शहरों की जनता के लिए बनाई जाए. मुझो दर्शकों में फर्क नहीं करना चाहिए था. ये मेरी गलती रही. क्योंकि ये मेरा काम नहीं है. मुझे ज़्यादा फोकस कहानी पर रखना चाहिए था. इस बात पर नहीं कि मुझे किस तबके को केटर करने के लिए फिल्म बनानी है. ये मेरी सीख है. हम इसी चीज़ से लड़ रहे हैं. हम ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इस दौर में कौन सी कहानी जनता को एंगेज करेगी. पैंडेमिक के बाद हमने जनता को निराश किया है. शायद 'रक्षा बंधन' बनाते वक्त मैंने ज़्यादा चालाकी कर दी. मैं उसे एक खांचे में फिट करना चाहता था.''  

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ये आनंद की ईमानदारी और बड़प्पन है कि वो अपनी गलती मान रहे हैं. वो समझ और स्वीकार रहे हैं कि उनसे फिल्म बनाने में कहां गलती हो गई. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है. खैर, अपनी इस बातचीत में आनंद आगे कहते हैं-

''ये (रक्षा बंधन) मेरी सबसे तेजी से बनी फिल्म थी. मगर मैंने उसका स्वाद लिया. मैं कभी इस फिल्म को बनाने में जल्दबाज़ी नहीं दिखाई. मैंने इसे बनाते हुए खूब मज़े किए. मगर मैं इस बारे में गंभीरता से सोच रहा हूं कि वो क्यों नहीं चली. और मुझे उससे ये समझ आया कि 'रक्षा बंधन' की शुरुआत, मिडल और एंडिंग, सबकुछ बड़े स्ट्रक्चर्ड तरीके से हुआ था. उस फिल्म के इमोशंस भी एक फॉरमैट में थे. अब तक ये चीज़ मेरे लिए काम कर रही थी. मुझे लगा कि इस बार भी चल जाएगा. मगर क्या मैंने इस फिल्म को बनाने में बेईमानी की? नहीं. बिल्कुल नहीं.

 

मैं इस फिल्म को बनावटी तरीके से नहीं जी रहा था. एक खास किस्म की स्ट्रैटेजी थी, वो फेल हो गई. मैंने हमेशा बहादुरी से काम किया है. कभी सेफ खेलने की कोशिश नहीं की. मगर मुझे लगता है कि सब-कॉन्शसली मैंने 'रक्षा बंधन' के साथ वो (सेफ खेलने की कोशिश) कर दिया. इसलिए वो इतनी बुरी तरह पिटी. मैंने ये सीखा कि मुझे बिना 200 या 300 करोड़ रुपए के बारे में सोचे, हिम्मत से अपना काम करना चाहिए.''  

'रक्षा बंधन' एक तरह से आनंद एल. राय का यूरेका मोमेंट है. उन्हें इस फिल्म के न चलने की वजह से बहुत सारी चीज़ें पता चलीं. उन्होंने अपनी गलतियों को ढंकने की बजाय उस पर बात की. मगर उनकी सबसे बड़ी लर्निंग ये रही कि किसी फिल्म के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ उसकी कहानी होती है. स्टार या बिग बजट नहीं. वो 'दृश्यम 2' का उदाहरण देते हुए कहते हैं-

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''हम सबको ये लग रहा था कि लोग बड़ी फिल्में देखना चाहते हैं. मगर फिर हमने 'दृश्यम 2' देखी. वो चल रही है. सिर्फ अपनी कहानी की वजह से. फिल्में कभी स्टार्स के बारे में नहीं थीं. कम से कम मेरे लिए तो नहीं थीं. मेरी बुनियाद R. माधवन और धनुष ने तैयार की. और जनता ने उन फिल्मों को देखा.'' 

आनंद एल. राय की 'रक्षा बंधन' में अक्षय कुमार और भूमि पेडणेकर ने लीड रोल्स किए थे. फिल्म की कहानी एक भाई के बारे में थी, जो अपने पांच बहनों की शादी करवाना चाहता है. इस कहानी के मक़सद से ये फिल्म दहेज प्रथा और बॉडी शेमिंग जैसे मसलों पर बात कर रही थी. मगर लोगों को फिल्म पसंद नहीं आई. अक्षय तो ये फिल्म करके आगे बढ़ गए. मगर आनंद आगे बढ़ने से पहले अपने क्राफ्ट और फिल्ममेकिंग पर गंभीरता से सोच-विचार कर रहे हैं. जो कि ज़ाहिर तौर पर पॉज़िटिव चीज़ है. 

वीडियो देखें: फिल्म रिव्यू- रक्षा बंधन

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