Aamir Khan अवॉर्ड फंक्शन में नहीं जाते. हालांकि शुरुआती दौर में दो-तीन बार उन्हें अवॉर्ड फंक्शंस अटेंड किए. मगर बाद में कुछ ऐसा हुआ कि आमिर ने अवॉर्ड फंकशंस से दूरी बना ली. इसके पीछे क्या वजह रही, ये आमिर खान ने The Lallantop के ख़ास कार्यक्रम Guest in the Newsroom में बताया. आमिर ने कहा कि उन्होंने लॉबिइंग और पक्षपात के चलते अवॉर्ड फंक्शंस में जाना छोड़ दिया. उन्होंने कहा,
अवॉर्ड नाइट्स में इंसान का महत्व है, काम का नहीं, इसलिए जाना छोड़ दिया: आमिर खान
आमिर खान ने कहा कि "शाहरुख, सलमान और मुझसे एक ही फिल्म करवाइए, तब तुलना कीजिए कौन बेहतर रहा"

“जब मैं नया-नया आया था तब दो तीन साल मैं गया था अवॉर्ड फंक्शंस में. एक जज्बा था मेरे अंदर कि साल में एक दो बार हम सब मिलते हैं. एक दूसरे के काम को हम सराहते हैं. मैं इस इमोशन से अवॉर्ड नाइट में जाता था. फिर मुझे समझ आया कि यहां कुछ और भी चीज़ें चल रही हैं.”
जब पूछा गया कि ऐसी क्या चीज़ें हो रही थीं अवॉर्ड नाइट्स में कि आमिर ने अचानक जाना छोड़ दिया. तो पहले को आमिर खिलखिलाए. फिर कुछ संकोच से ही सही, कुछ घुमा-फिराकर ही सही, मगर वजह बताई.
“हिंदुस्तान में हम सब बड़े इमोशनल लोग हैं. और मेरी ये समझ है कि हम अक्सर काम को इतनी अहमियत नहीं देते. मगर उस इंसान को देते हैं जिसने वो काम किया है. वो बंदा हमारे लिए और बड़ा होता जाता है. हम लोगों के लिए सोचने लगते हैं और काम को भूल जाते हैं. मेरी समझ के मुताबिक कम्पेयर करना बहुत मुश्किल है. अब आप अगर ‘दंगल’ में मेरा काम देखें. ‘बजरंगी भाईजान’ में सलमान का काम देखें. अजय देवगन का काम ‘दृश्यम’ में देखें. तीन अलग-अलग कहानियां हैं. इनकी तुलना कैसे कर सकते हैं. अगर आपको वाकई कम्पेयर करना है तो ‘3 इडियट्स’ मेरे, सलमान और शाहरुख तीनों के साथ बनाइए. बाकी चीजें वही हों. एक्टर अलग हो. तब आप हम तीनों के काम को तौल सकते हैं. एक वक्त के बाद अवॉर्ड फंक्शंस में मेरा इंट्रेस्ट रहा नहीं. इसलिए मैं दूर हट गया. जिनके लिए मैं फिल्म बनाता हूं. मेरी ऑडियंस. वो मुझे बताती है कि मैंने फिल्म अच्छी बनाई या नहीं.”
क्या कभी ऐसा हुआ कि आमिर को अवॉर्ड की उम्मीद थी, मगर नहीं मिला तो दूरी बना ली? इसके जवाब में आमिर ने कहा,
“मुझे मेरे हारने से नहीं, मगर और कई चीज़ें थीं, जिनसे मुझे तकलीफ़ हुई. असल में अवॉर्ड फंक्शंस जिस जज्बे से होने चाहिए, उस जज्बे से नहीं हो रहे हैं. जैसे बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर. अब पांच नाम नॉमिनेटेड हैं. उनमें से एक ने बड़ा अच्छा काम किया है. मगर वो नया बंदा है. दो-तीन एक्टर्स बड़े नामचीन हैं. उनकी बड़ी इज्ज़त भी है. होता क्या है कि लोग सोचते हैं कि ये तो अगले साल भी जीत लेगा. मगर पुराने एक्टर को कैसे नहीं दें अवॉर्ड. मैं समझता हूं कि आपको इंसान को हटा देना चाहिए. काम बोलो किसका अच्छा है. काम को अवॉर्ड दे रहे हैं. इंसान को नहीं. ये नहीं होता वहां.”
अवॉर्ड्स की बात करें आमिर को 2003 में पद्मश्री और 2010 में पद्म भूषण दिया जा चुका है. वो अपनी डेब्यू फिल्म ‘क़यामत से क़यामत तक’ के लिए ही बेस्ट डेब्यूटेंट का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीत चुके हैं. आमिर की हालिया प्रोजेक्ट्स की बात करें, तो 14 अगस्त को आमिर रजनीकांत स्टारर फिल्म ‘कुली’ में नज़र आएंगे. इसमें उनका 15 मिनट का कैमियो रहेगा. फिर आमिर राजकुमार हीरानी के डायरेक्शन में बनने वाली दादा साहेब फाल्के की बायोपिक में काम करेंगे.
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