29 must watch films and documentaries about Indias independence struggle and aftermath
ये 29 फिल्में/डॉक्यूमेंट्रीज़ देशभक्ति का फर्ज़ी शोर नहीं, शेर के माफ़िक सच्चा रोर करना सिखाती हैं
हम सिर्फ़ ऐसे कंटेंट की बात नहीं करेंगे जो इंडियन नेशनल मूवमेंट को कवर करती हैं. बल्कि ऐसा कंटेंट भी मिलेगा जिसने आज़ादी के साथ-साथ ट्रेवल किया. जो भारत के बनने की गौरव गाथा सुनाता है.
At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom.
जवाहरलाल नेहरू का ये मशहूर भाषण. 15 अगस्त 1947 का दिन. ब्रिटिश राज से मुक्ति. नए भारत का जन्म. इस ऐतिहासिक घटना को इतिहासकारों ने अलग-अलग तरीकों से दर्ज किया. भारतीय सिनेमा ने भी आज़ादी के इस क्षण, वहां तक पहुंचने के छोटे-बड़े संघर्षों और इनके वाहकों को जगह दी. उन पर फ़िल्में, वेब सीरीज़ और डॉक्यूमेंट्रीज़ बनाई. पर आज हम सिर्फ़ ऐसे कंटेंट की बात नहीं करेंगे जो इंडियन नेशनल मूवमेंट को कवर करती हैं. हम ऐसे कंटेंट की बात करेंगे जिसने आज़ादी के साथ-साथ ट्रेवल किया. जो भारत के बनने की गौरव गाथा सुनाता है. इनमें से कुछ डॉक्यूमेंट्रीज़ में रेयर फुटेज हैं, गुलाम भारत की. कुछ में कलर इमेजेज़ है. कई सीरीज या फिल्म आज़ादी के काफी साल बाद की है, लेकिन कहीं न कहीं उस भारत से जुड़ी हुई हैं. आज ऐसे ही आज़ादी की स्पिरिट बयान करते कुछ चुनिंदा कंटेंट पर बात करेंगे. शुरू करते हैं.
1967 में एसएन शास्त्री ने कुछ ऐसे नौजवानों को जमा किया, जो आज़ादी के बरस पैदा हुए. देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले इन 20 साल के युवाओं का इंटरव्यू किया गया. उनसे उनकी आशा, निराशा, डर, शौक़ और महत्वकांक्षाओं के बारे में पूछा गया. 19 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री में भारत के जवान सपने हैं. उन सपनों में आधुनिक भारत है. उस समय इसे भारत सरकार की फ़िल्म डिवीज़न ने कमीशन किया था.
1890 के आसपास सेट ये कहानी है उस गांव की, जो अंग्रेजों के लगान तले दबा है. सूखे की वजह से फसलें भी नहीं हो रहीं. ऐसे में भुवन को कैप्टन रसेल अंग्रेजों को क्रिकेट में हराने की चुनौती देता है. हरा देने के एवज़ में तीन साल तक लगान न चुकाने का वादा भी करता है. आमिर खान की ये फ़िल्म इसी लॉगलाइन के इर्दगिर्द घूमती है. मदर इण्डिया और सलाम बॉम्बे के बाद ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली ये तीसरी भारतीय फिल्म थी. इसे उस साल 8 नेशनल अवॉर्ड मिले थे.
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3. तमस (1988) डायरेक्टर: गोविंद निहलानी
1988 में आई ये टेलीविजन फ़िल्म भीष्म साहनी के उपन्यास 'तमस' पर बेस्ड है. इसकी कहानी भारत-पाक बंटवारे के समय सेट है. फ़िल्म पाकिस्तान में भड़के दंगों और उससे पीड़ित सिख-हिंदू परिवारों की मार्मिक दास्तान है. पहले इसे दूरदर्शन पर एक मिनी सीरीज़ के तौर पर टेलीकास्ट किया गया, फिर क़रीब 5 घण्टे की फ़िल्म के तौर पर. 'तमस' को बेस्ट फ़िल्म समेत कुल तीन नेशनल अवॉर्ड मिले. इसमें ओम पुरी, दीपा साही, सुरेखा सीकरी और पंकज कपूर सरीखे समर्थ कलाकारों ने काम किया था.
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4. कालापानी (1996) डायरेक्टर: प्रियदर्शन
1996 में आई फ़िल्म 'कालापानी' सेलुलर जेल में बंद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा है. मूवी कालापानी की सज़ा के दौरान दी गई यातनाओं और उनके संघर्षों की कहानी है. इस मलयालम फ़िल्म में मोहनलाल, तब्बू और अमरीश पुरी समेत कुछ चुनिंदा ऐक्टर्स ने काम किया था. हिंदी में डब करके इसे 'सज़ा-ए-कालापानी' के नाम से रिलीज़ किया गया. संतोष सिवन को बेस्ट सिनेमैटोग्राफी सहित 'कालापानी' को कुल चार नेशनल अवॉर्ड मिले थे.
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5. सरदार उधम(2021) डायरेक्टर : शूजित सरकार‘सरदार उधम’ के सीन में विकी कौशल
शूजीत सरकार डायरेक्टेड ये फ़िल्म कहानी है फ्रीडम फाइटर उधम सिंह की. फ़ोर्ब्स ने इसे 2021 की सोशल मेसेज देने वाली बेस्ट हिंदी फिल्म चुना. विकी कौशल ने इसमें सरदार उधम सिंह का रोल निभाया.
6. अ हिस्ट्री ऑफ़ ब्रिटिश इंडिया (2020) मेकर्स: हेडेन जे बेलेनुआ/द ग्रेट कोर्सेज9वें एपिसोड ‘इकोनॉमिक्स एंड सोसाइटी अंडर द राज’ का एक दृश्य
ये एक 24 एपिसोड की सीरीज है. जिसे हेडेन जे बेलेनुआ ने द ग्रेट कोर्सेज के साथ मिलकर बनाया है. ये कहानी है भारत के गुलाम होने, बरतानिया हुकूमत के बिखरने और भारत-पाकिस्तान के बनने की. सीरीज़ 1700 के आसपास से शुरू होती है. भारत के कल्चर, आज़ादी और पोस्टकोलोनियल भारत के मेन इवेंट्स को हिस्टोरिकल एंगल से कवर करती है. इसे हेडेन जे ने एक मुकम्मल कोर्स की तरह ट्रीट किया है.
7. इंडिया इमर्जेस (2021) डायरेक्टर: अभिषेक जैन, पूर्णिमा रावइंडिया इमर्जेज डिस्कवरी प्लस पर उपलब्ध है
तीन एपिसोड की ये मिनी डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ भारत के आधुनिक इतिहास की दास्तान है. 'इंडिया इमर्जेस' भारत के गुलाम होने, फिर आज़ाद होकर एक राष्ट्र के रूप में उदय होने की गौरव गाथा है. इसके तीनों एपिसोड द राज, मार्च टू फ्रीडम, अ नेशन इज़ बॉर्न विजुअली काफ़ी रिच हैं.
8. राग देश (2017) डायरेक्टर: तिग्मांशु धुलिया‘राग देश’ फ़िल्म से एक स्नैप
'राग देश' एक हिस्टोरिकल ड्रामा फ़िल्म है. ये सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद लालकिले में इंडियन नेशनल आर्मी के सिपाहियों पर चले ट्रायल की कहानी है. इसे तिग्मांशु धुलिया ने राज्यसभा टीवी के लिए बनाया था. 'राग देश' में कुणाल कपूर, अमित साध और विजय वर्मा मुख्य भूमिकाओं में हैं.
9. संविधान(2014) डायरेक्टर: श्याम बेनेगल
10 एपिसोड की ये मिनी टीवी सीरीज़ ब्रिटिशर्स के भारतीयों को सत्ता सौंपने और संविधान बनने का एक ऐतिहासिक दस्तावेज है. इसे श्याम बेनेगल ने राज्य सभा टीवी के लिए लिए बनाया था. अतुल तिवारी और शमा जैदी ने सीरीज़ के लेखन का जिम्मा उठाया था.
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10. द मेकिंग ऑफ़ द महात्मा (1996) डायरेक्टर: श्याम बेनेगलद मेकिंग ऑफ़ द महात्मा
श्याम बेनेगल के डायरेक्शन में बनी ये फ़िल्म गांधी के दक्षिण अफ्रीका में गुज़ारे गए दिनों की कहानी है. फ़िल्म फातिमा मेरे की किताब 'अप्रेंटिसशिप ऑफ़ महात्मा' पर बेस्ड है. साउथ अफ्रीका और भारत के इस जॉइंट वेंचर में रजित कपूर और पल्लवी जोशी मुख्य भूमिकाओं में थे.
ये एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका फिल्म्स के बैनर तले बनी एक ऐसी डॉक्युमेंट्री है, जो भारत और पकिस्तान की कहानी कहती है. उसकी संस्कृति और सभ्यता को डॉक्युमेंट करती है.
12. हे राम (2000) डायरेक्टर: कमल हासन‘हे राम’ में कमल हासन और शाहरुख खान
'हे राम' भारत विभाजन और महात्मा गाँधी की हत्या का बैकड्रॉप में सेट है. इसे तमिल और हिंदी दोनों भाषाओं में बनाया गया था. कमल हासन के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में खुद कमल हासन ने लीड रोल निभाया था. उनके साथ शाहरुख़ खान, रानी मुखर्जी और नसीरुद्दीन शाह ने अहम रोल प्ले किए थे. भारत की तरफ़ से इसे ऑस्कर्स में ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजा गया था. 'हे राम' को 47वें नेशनल अवॉर्ड में तीन पुरस्कार अपने नाम किए थे.
13. 1942: अ लव स्टोरी (1994) डायरेक्टर: विधु विनोद चोपड़ा1942: अ लव स्टोरी में मनीषा और अनिल
जैसा कि नाम से स्पष्ट है '1942: अ लव स्टोरी' की कहानी आज़ादी के समय घटित होती है. ब्रिटिशर्स के लिए वफ़ादार पॉलिटिशियन के बेटे को फ्रीडम फाइटर की बेटी से प्यार हो जाता है. दोनों परिवार तब आमने-सामने आते हैं जब लड़की के पिता ब्रिटिश जनरल को मारने की योजना बनाते हैं. अनिल कपूर और मनीषा कोइराला ने इसमें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. इस फिल्म ने 1994 के फिल्मफेयर में 9 अवॉर्ड जीते थे.
रिचर्ड एटनबरो के निर्देशन में बनी 'गांधी' महात्मा गांधी के जीवन पर बनी सबसे बेहतरीन फ़िल्म मानी जाती है. कैसे एक गिरमिटिया भारत लौटकर विश्व के महानतम फ्रीडम मूवमेंट को खड़ा करता है और देश को नई दिशा देता है. बेन किंग्सले ने इसमें गांधी की भूमिका निभाई थी. इस फ़िल्म को बेस्ट फिल्म समेत कुल 8 ऑस्कर्स मिले थे.
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15. नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगाटेन हीरो (2004) डायरेक्टर: श्याम बेनेगल
2004 में बनी ये फिल्म नेता सुभाषचन्द्र बोस के जीवन पर आधारित है. कैसे नेता जी ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए और भारत की आज़ादी में अहम भूमिका निभाई. श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी इस फिल्म को दो नेशनल अवॉर्ड मिले थे. सचिन खेडेकर ने इसमें नेता जी का रोल प्ले किया था.
ये वीडियो शशि थरूर का ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन सोसाइटी में दिया गया भाषण है. जो कॉलोनीज को लूटकर और उनका खून चूसकर खड़े किए गए ब्रिटिश साम्राज्य का कच्चा चिट्ठा है. कैसे भारत में करोड़ो लोगों को मारा गया, दबाया गया और भारतीय खजाने को लूटकर खुद को विश्व का सबसे ताकतवर साम्राज्य बताया गया.
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17. सरदार (1994) डायरेक्टर: केतन मेहता
'सरदार' महान फ्रीडम फाइटर और आज़ाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवन गाथा है. केतन मेहता डायरेक्टेड इस फिल्म में परेश रावल और अन्नू कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे. इसने 1994 में दो नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किए थे.
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18. अर्थ (1999) डायरेक्टर: दीपा मेहताआमिर की फिल्म ‘अर्थ’
'अर्थ' की कहानी भारत-पाक बंटवारे के समय लाहौर में सेट है. एक लड़की अपनी आया के साथ हुई ट्रेजडी को विटनेस करती है. उसकी हिन्दू आया दो मुस्लिम युवकों के प्रेम में पड़ जाती है. जिसके चलते राजनीतिक और धार्मिक हिंसा शुरू होती है. इसमें नंदिता दास और आमिर खान ने लीड रोल निभाए हैं.
19. द फ्लेम बर्न्स ब्राइट (1973) डायरेक्टर: आशीष मुखर्जी
'द फ्लेम बर्न्स ब्राइट' आशीष मुखर्जी की 1973 में आई करीब 42 मिनट की डॉक्यूमेंट्री है. इंडियन नेशनल मूवमेंट की पृष्ठभूमि पर है. ये सुभाष चन्द्र बोस और उनके द्वारा गठित आईएनए की भारतीय आज़ादी आंदोलन में भूमिका को दर्शाती है.
20. मंगल पांडे: द राइजिंग (2005) डायरेक्टेड: केतन मेहताफ़िल्म में आमिर खान
'मंगल पांडे: द राइजिंग' एक बायोग्राफिकल ड्रामा फ़िल्म है. ये कहानी है,1857 के स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंकने वाले मंगल पांडे की. केतन मेहता के निर्देशन में बनी इस मूवी में आमिर खान, रानी मुखर्जी और अमीषा पटेल मुख्य भूमिकाओं में हैं.
एक रेयर डॉक्यूमेंट्री जिसमें भारत की आज़ादी के रंग भरे हैं. इसकी ख़ास बात है कि इसे गुलाम भारत के आख़िरी वॉयसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने ख़ुद नरेट किया है. इसमें 1947 में हुई परेड की रंगीन तस्वीरें हैं. भारत के आज़ाद होकर दो हिस्सों में बंटने की कहानी है.
ब्रिटिश पत्रकार जेरेमी पैक्समैन ने बीबीसी के साथ एक पांच एपिसोड की सीरीज़ बनाई, जो बरतानिया हुकूमत की जटिल कहानी कहती है. ये डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ इस बात को ट्रेस करती है कि कैसे अंग्रेजी साम्राज्य ने मॉडर्न वर्ल्ड को राजनीतिक, तकनीकी और सामाजिक रूप से प्रभावित किया. इसके लिए पैक्समैन भारत समेत दुनिया के उन हिस्सों में गए, जो ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहे.
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23. टोबा टेक सिंह (2017) डायरेक्टर: केतन मेहताटोबा टेक सिंह
सआदत हसन मंटो की मशहूर कहानी 'टोबा टेक सिंह' पर आधारित इस फिल्म में पंकज कपूर लीड रोल में हैं. ये पागलखाने में एडमिट बिशन सिंह की कहानी है. उसे पता चलता है कि भारत-पाक बंटवारे के चलते इस पागलखाने के छोडकर जाना पड़ेगा. उसकी इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है, फ़िल्म इसी का मार्मिक चित्रण है.
1985 में आई 14 एपिसोड की सीरीज़ 'एंड ऑफ़ एम्पायर' अंग्रेजी हुकूमत के आख़िरी दिनों की कहानी है. ये डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ सभी ब्रिटिश कॉलोनीज़ की कहानी सुनाती है. इसका दूसरा एपिसोड भारत पर बेस्ड है.
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25. सीताज़ फैमिली (2002) डायरेक्टर: सबा देवान
सबा देवान की ये डॉक्युमेंट्री एक बेटी के अपने फैमिली हिस्ट्री को एक्सप्लोर करने का दस्तावेज है. सीरीज़ सबा देवान की मां सीता देवी के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी को दिखाती है. उनके मरते दम तक पॉलिटिकली एक्टिव रहने की कहानी कहती है.
26. इंडियाज़ स्ट्रगल फॉर फ्रीडम: वी द पीपल ऑफ़ इण्डिया (1986) डायरेक्टर: भानुमूर्ति आलूरइंडियाज़ स्ट्रगल फॉर फ्रीडम का स्नैप
ये डॉक्युमेंट्री 90 साल लम्बे भारतीय स्वत्रंता संग्राम के इतिहास को ट्रेस करती है. उससे उपजे भारतीय संविधान के बनने की कहने कहती है. इसे भानुमूर्ति आलूर ने डायरेक्ट किया है और एसएन थापा ने लिखा है.
आज़ादी के पहले बनाई गई इस डॉक्युमेंट्री में बिमल रॉय ने मिट्टी का तेल रखने वाले टीन के डब्बों के बनने और उनके इस्तेमाल होने का दस्तावेज है. इसमें आज़ादी के पहले की कुछ रेयर फुटेज हैं.
ये एक 38 मिनट की फीचर डॉक्युमेंट्री फ़िल्म है. ये उन अत्याचारों की कहानी है जिनसे गांधी और सुभाष जैसे महान फ्रीडम फाइटर्स ने गुज़रते हुए देश को आज़ादी दिलाई. ये डॉक्युमेंट्री भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के मानवीय और दार्शनिक पहलुओं की पड़ताल है.
कहां देखें: विमियो
29. इण्डिया ऑन फिल्म: 1899-1947
ये कुछ रेयर कलर्ड और ब्लैक एंड वाइट क्लिप्स का कलेक्शन है. जो हमें 1899 से 1947 तक की क्विक भारतीय यात्रा पर ले जाती है.