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2016 के 11 सबसे खूबसूरत लिखे हुए गाने

देखिए आपका फेवरेट गाना इस लिस्ट में है या नहीं?

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फोटो - thelallantop
2016 के सबसे अच्छे लिखे गए 11 गीत. 2016 की एक सूची यह भी. अगर म्यूजिक पैमाना हो तो लिस्ट इससे अलग होगी. लेकिन अभी बोल पैमाना हैं. हम कह सकते हैं कि बीते हुए साल में यही वे गाने थे, जिन्होंने लकीरें तोड़कर नए पके हुए शब्दों और बिसूरी हुई ध्वन्यात्मकता को गानों में जगह दी. आंचलिकता की धूम इस साल भी रही. एहसासों के स्तर पर इन गीतों ने हमें रुलाया, नचाया. जरूरत पड़ी तो घिनवाया भी और इस तरह वे अपने मकसद में कामयाब रहे.  और एक बात, ये कोई रैंकिंग नहीं है. गिनती का इस्तेमाल सिर्फ क्रम के अर्थ में किया गया है. पढ़ें. सुनें.

1

'दंगल दंगल' लिरिसिस्ट: अमिताभ भट्टाचार्य फिल्म: दंगल

रे लट्ठ गाड़ दूं रे जाड़ा पाड़ दूं मां के पेट से मरघट तक है तेरी कहानी पग पग प्यारे दंगल दंगल, दंगल दंगल सूरज तेरा चढ़ता ढलता गर्दिश में करते हैं तारे दंगल दंगल, दंगल दंगल धड़कनें छाती में जब दुबक जाती हैं पीठ थपथपा उनको फिर जगा बात बन जाती है बावले हाथी सी हर चुनौती है रे सामने खड़ी घूर के बड़ी आंख दिखलाती है तो आंख से उसकी आंख मिला के भिड़ जाने का नाम है प्यारे दंगल दंगल, दंगल दंगल सूरज तेरा चढ़ता ढलता गर्दिश में करते हैं तारे दंगल दंगल रे लट्ठ गाड़ दूं रे जाड़ा पाड़ दूं https://www.youtube.com/watch?v=91ZI3IrojMU ठोस मजबूत भरोसा अपने सपनों पे करना जितने मुंह उतनी बातें गौर कितनों पे करना आज लोगों की बारी जो कहे कह लेने दे तेरा भी दिन आएगा उस दिन हिसाब चुका के रहना अरे भेड़ की हाहाकार के बदले शेर की एक दहाड़ है प्यारे दंगल दंगल, दंगल दंगल सूरज तेरा... रे लट्ठ गाड़ दूं रे जाड़ा पाड़ दूं कर दिखाने का मौका जब भी किस्मत देती है गिन के तैयारी के दिन तुझको मोहलत देती है मांगती है लागत में तुझसे हर बूंद पसीना पर मुनाफा बदले में ये जान ले बेहद देती है रे बंदे की मेहनत को किस्मत का सादर परनाम है प्यारे दंगल दंगल, दंगल दंगल सूरज तेरा... दंगल दंगल

2

'कारी कारी' लिरिसिस्ट: तनवीर ग़ाज़ी फिल्म: पिंक

कारी कारी रैना सारी सौ अंधेरे क्यूं लाई, क्यूं लाई रोशनी के पांव में ये बेड़ियां सी क्यूं आई.. क्यूं आई.. उजियारे कैसे..अंगारे जैसे छांव छैली, धूप मैली क्यूं है री.. तितलियों के पंखों पर रख दिए गए पत्थर, ऐ खुदा तू गुम है कहां? रेशमी लिबासों को चीरते हैं कुछ खंजर, ऐ खुदा तू गुम है कहां? https://www.youtube.com/watch?v=fFdyUJcqMQQ क्या रीत चल पड़ी है, क्या आग जल पड़ी है, क्यूं चीखता है सुरमयी धुआं कारी कारी रैना सारी सौ अंधेरे क्यूं लाई, क्यूं लाई रोशनी के पांव में ये बेड़ियां सी क्यूं आई.. क्यूं आई.. उजियारे कैसे..अंगारे जैसे छांव छैली, धूप मैली क्यूं है री.. पंखड़ी की बेटी है, कंकडों पे लेटी है, बारिशें हैं तेज़ाब की.. ना ये उठ के चलती है, ना चिता में जलती है लाश है ये किस ख़्वाब की.. रातों में पल रही है सड़कों पे चल रही है क्यूं बाल खोले देहशतें यहां.. कारी कारी रैना सारी सौ अंधेरे क्यूं लाई, क्यूं लाई रोशनी के पांव में ये बेड़ियां सी क्यूं आई.. क्यूं आई.. उजियारे कैसे..अंगारे जैसे छांव छैली, धूप मैली क्यूं है री..

3 तू सच्चा बेहूदा वरुण ग्रोवर रमन राघव 2.0

एक धक्का और दे, सारे धागे तोड़ दे पीने के पानी में, ज़हर की नाली जोड़ दे इतना भी जो कर ना सके तो, फिर काहे का गूदा तेरी खाल में रेंगें कीड़े, तू सच्चा बेहूदा तू सच्चा बेहूदा जिसकी किस्मत में हैं हारी शर्तें तू पक्का बेहूदा, जिसकी नीयत लगी फफूंद की परतें तू ऐसा बेहूदा तेरा खून है सौ में नब्बे काला तू ऐसा बेहूदा, तूने नाखूनों से फोड़ा छाला बेहूदा. तू सच्चा बेहूदा. बेहूदा. https://www.youtube.com/watch?v=LWs5C3lFlC8 एक धक्का और दे, सारे धागे तोड़ दे पीने के पानी में, ज़हर की नाली जोड़ दे अपने ही अक़्स की, आ गर्दन तू घोंट दे जा दिन के चेहरे पे, काली रातें पोत दे दूर दूर तक कोई ना रिश्ता, तू है इतना सूखा तेरी खाल में रेंगे कीड़े, तू सच्चा बेहूदा

4

'डुग डुगी डुग' लिरिसिस्ट: शैलेंद्र सिंह सोढ़ी 'शैली' फिल्म: जुगनी

ओए ओए होए डुग डुगी डुग ओए ओए होए डुग डुगी डुग ओए ओए होए डुग डुगी डुग डुग डुगी डुग डुगी डुग फिर फिर फिर राह अटरिया सुर ताल संवरिया सांझ की बांह नरम दुपहरिया सुर ताल संवरिया परवाज ये, आगाज ये, है अलहदा रौनक से हो रही खुशबू पैदा हाथ भात जग लोग दीवाने बातें भरें उड़ाने राहें दे कोई फख्र से कोई खुद से रहा जूझ रे ओए होए डुग डुगी डुग ओए होए डुग डुगी डुग https://www.youtube.com/watch?v=DdzoCio5pg0 बहते हुए पानी से, इस दुनिया फानी से है रिश्ता खारा, रंग चोखा हारा और जो रवानी ये, धुन की पुरानी है ये नाता अनोखा हां कूबकू के माने, देहलीज लांघ के जाने दाएं का हाथ पकड़ के, बाएं से पूछ के ओए ओए होए डुग डुगी डुग ओए ओए होए डुग डुगी डुग ओए ओए होए डुग डुगी डुग डुग डुगी डुग डुगी डुग डुग डुगी डुग फुर्र फुर्र फुर्र नई डगरिया मन्न मौज गुजरिया रुन झुन पायल लिए नगरिया मन्न मौज गुजरिया यह वास्ते रास्ते झल्ले शहरन रमते जोगी वाला कैदा आव भगत में मुस्कानें फुर्सत की मीठी तानें दाएं का हाथ पकड़ के, बाएं से पूछ के

5

'बावली बूच' लिरिसिस्ट: दुष्यंत फिल्म: लाल रंग

बावली बूच कह दिल की दिल की हाथ थाम के सिल्की सिल्की कह गए स्याणे, सोच-साच के सहज पके के तो आवे स्वाद इश्क पकाया मंदे आंच पे बहुत पके तो हो बरबाद खोल खोल गांठ इब मन की बोल बोल बात इब मन की https://www.youtube.com/watch?v=f026HZbW7n0 दो मन इक हो जायो रे दिल नई सें, ये गवन के धरले कदम तू पहचान के रस्ते इक हो जायो रे खांड ते मिसरी मिट्ठी इश्क़ उस ते भी मीठा आंख ते चखले तू प्यारे यार का दर्शन मिट्ठा रे बांध के रखले तू प्यारे मुंह से कही नहीं मान्नी दिल से कही नहीं जानी इब तो संग हो जाओ रे जिसने सुनी बात मन की पार लगा नदी मन की मन का गीत ही गाओ रे बावली बूच कह दिल की दिल की हाथ थाम के सिल्की सिल्की बावली बूच कहीं की.

6

'नशे सी चढ़ गई ओए' लिरिसिस्ट: जयदीप साहनी फिल्म: बेफिक्रे

नशे सी चढ़ गई ओए कुड़ी नशे सी चढ़ गई पतंग सी लड़ गई ओए कुड़ी पतंग सी लड़ गई ऐसे खींचे दिल के पेंचे गले ही पड़ गई ओए ओ उड़ती पतंग जैसे मस्त मलंग जैसे मस्ती सी चढ़ गई हमको तुरंत ऐसे लगती करंट जैसे निकला वारंट जैसे अभी अभी उतरा हो नेट से टॉरेंट जैसे नशे सी चढ़ गई ओए कुड़ी नशे सी चढ़ गई https://www.youtube.com/watch?v=Wd2B8OAotU8 खुलती बसंत जैसे धुलता कलंक जैसे दिल की दरार में हो प्यार का सीमेंट जैसे अंखियों ही अंखियों में जंग की फरंट जैसे मिल जाए सदियों से अटका रिफंड जैसे जुबां पे चढ़ गई ओए कुड़ी जुबां पे चढ़ गई लहू में बढ़ गई ओए कुड़ी लहू में बढ़ गई कमली कहानियों सी जंगली जवानियों सी जमती पिघलती है पल पल पानियों सी बहती रवानियों सी हंसती शैतानियों सी चढ़ गई हम पे बड़ी मेहरबानियों सी ऐसे खींचे दिल के पेंचे गले ही पड़ गई ओए नशे सी चढ़ गई ओए कुड़ी नशे सी चढ़ गई पतंग सी लड़ गई ओए कुड़ी पतंग सी लड़ गई कनिनिया ओ कट्टे कदी पन्निया ओ टप्पे कदी दिल दे चौराहे लंगदी ए हंसी कदे ठट्टे कदी गल्लियां ओ नप्पे कदी हंस के कलेजा मंगदी ए  

7

'उड़ता पंजाब' लिरिसिस्ट: वरुण ग्रोवर फिल्म: उड़ता पंजाब

अंदर दा कुत्ता आज कड़िये अग दुनिया पेट्रोल चल सुत्तिये अंदर दा कुत्ता आज कड़िये अग दुनिया पेट्रोल चल सुत्तिये पाउडर की लाइनों का रखेगा कौन हिसाब हां उड़दा पंजाब हां उड़-दा पंजाब बंदे बंदे की तुकबंदी सूरत चंगी, सीरत गंदी दूर फिट्टे मुंह, मर पारे तू इतना क्यूं अब्यूस करे तू जबसे पैदा हुआ है गबरू सुबह शाम ही बूज़ करे ज़हर लगा के होठां पे मैं आजा तेनूं किस करंगा दोनो मर जावांगे बेबी तब भी तुझको मिस करांगा गाली देगा जो भी मुझको उसकी टांय टांय फिश करांगा https://www.youtube.com/watch?v=du_3uHhWZeo राइफल दिखा के मुशायरे लुटियै ऊपर से आज कुद्द के आज टटियै राइफल दिखा के मुशायरे लटियै उपर से आज कुद्द के आज टटियै काली सी बोतल में रंगीन भरके ख्वाब हां उड़-दा पंजाब, हां उड़-दा पंजाब मैच फिक्स लगेगा तो फिक्स खोदेंगे होके बेशरम बंदी रिच खोजेंगे इमो-पंती अपने को तो सूट ना करे गबरू ही क्या जो हिप से शूट ना करे हिप से शूट ना करे हिप हिप से शूट ना करे चिथड़े वे दिल दे कर मुखिए हस्ती की मस्ती में सुई फुंकिये पूछो जो होली तो कहते हैं आली जनाब हां उड़दा पंजाब, हां उड़दा पंजाब

8

'एक नदी थी' लिरिसिस्ट: गुलज़ार फिल्म: मिर्जेया

एक नदी थी दोनों किनारे थाम के बहती थी, एक नदी थी एक नदी थी कोई किनारा छोड़ ना सकती थी एक नदी थी, एक नदी थी, एक नदी थी तोड़ती तो सैलाब आ जाता करवट ले तो सारी ज़मीन बह जाती एक नदी थी एक नदी थी दोनों किनारे... आज़ाद थी जब झरने की तरह आज़ाद थी जब झरने की तरह, चट्टानों पे बहती थी एक नदी थी, एक नदी थी एक नदी थी दोनों किनारे... https://www.youtube.com/watch?v=gdWoKqPsSzE दिल एक ज़ालिम हाकिम था वो उसकी ज़ंजीरो में रहती थी, एक नहीं थी दिल एक ज़ालिम हाकिम था वो उसकी ज़ंजीरो पे रहती थी, एक नहीं थी एक नदी थी दोनों किनारे, थाम के बहती थी, एक नदी थी एक नदी थी कोई किनारा छोड़ ना सकती थी एक नदी थी...

9

तितली बॉलीवुड डायरीज डॉक्टर सागर

कैसा ये कारवां, कैसे हैं रास्ते ख्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए ख्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए सारा सुकून है खोया खुशियों की चाहत में दिल ये सहम सा जाए छोटी सी आहट में कुछ भी समझ न आए, जाना है कहां https://www.youtube.com/watch?v=BufyyohJLqQ ख्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए ख्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए अल्फ़ाज़ सांसों में ही, आके बिखरते जाएं खामोशियों में बोले ये आंखें बेजुबान परछाइयां हैं साथी, चलता ही जाए राही कोई न देखे अब ये ज़ख्मों के निशां कुछ भी समझा न आए, जाना है कहां ख्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए न रौशनी है कोई, आशाएं खोईं खोईं टूटा फूटा है उम्मीदों का जहां न बेकरारी कोई, बंदिश रिहाई कोई अब तो निगाहों में न कोई इंतज़ार कुछ भी समझ न आए, जाना है कहां ख्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए..

10

'जीने से भी ज्यादा जिएं' लिरिसिस्ट: मनोज यादव फिल्म: धनक

मुट्ठी है छोटी पाना है सारा इससे कम में ना करना गुज़ारा हम क्या जानें क्या है अंधेरा आंखों में रक्खे हम अपना सवेरा खारी रेत के खेत में मीठे ख्वाब गाएं मीलों रास्ता रास्ता पैरों में सजाएं हो जीने से भी ज्यादा जिएं उड़ानों से भी आगे उड़ें ख्वाहिशें आसमानी ज़िंदा हैं उम्मीद तो फिकर क्या https://www.youtube.com/watch?v=QHEk1tI6sbk रे थक कर क्यूं भला हम थम जाएं चलो ना थोड़ा हौसलों को समझाएं हो आंधियों से शर्त लगाएं के ज़िंदगी की आंख से आंख मिलाएं जाए मंजिलों से लिपटकर आएं खारी रेत के खेत में मीठे ख्वाब गाएं मीलो रास्ता रास्ता पैरों में सजाए हो जीने से भी.. इन कदमों ने जीत ली है सब राहें बांहों ने थामी आसमान की बांहें चलो जी खुशियों के घर हो आएं के कोना कोना मुस्कानों से सजाएं ख्वाबों की आंखों को धनक पहनाएं खारी रेत के खेत में.. हो जीने से भी..

11 पश्मीना धागों के संग स्वानंद किरकिरे फिल्म: फितूर

पश्मीना धागों के संग कोई आज बुनें ख्व़ाब ऐसे कैसे वादी में गूंजे कहीं नए साज़, ये ख्वाब ऐसे कैसे पश्मीना धागों के संग कलियों ने बदले अभी ये मिज़ाज, एहसास ऐसे कैसे पलकों ने खोले अभी नए राज़, जज़्बात ऐसे कैसे पश्मीना धागों के संग... https://www.youtube.com/watch?v=uxTXp0-iZrY कच्ची हवा, कच्चा धुआं घुल रहा कच्चा सा दिल, लम्हें नए चुन रहा कच्ची सी धूप, कच्ची डगर फिसल रही कोई खड़ा चुपके से कह रहा मैं साया बनूं, तेरे पीछे चलूं चलता रहूं पश्मीना धागों के संग कोई आज बुने ख्व़ाब ऐसे कैसे

स्पेशल मेंशन

इक्क कुड़ी शिव कुमार बटालवी उड़ता पंजाब (ये गीत इस लिस्ट का हिस्सा नहीं है. इसे रखा जा भी नहीं सकता. ये वो क्लासिक है जो कभी अप्रासंगिक नहीं होगा. बहती हुई कविता का इतना उंचा मेअयार सेट कर गए हैं शिव कुमार बटालवी) इक्क कुड़ी, जिदा नाम मुहब्बत गुम है, गुम है, गुम है.. ओ साद मुरादी, सोहनी फब्बत गुम है, गुम है, गुम है.. ओ.. सूरत उसदी, परियां वरगी सीरत दी ओ.. मरियम लगदी हंसती है तां फुल झड दे ने तुरदी है तां ग़ज़ल है लगदी लम्म सलम्मी सरू दे कद दी उमर अजे है मरके अग्ग दी पर नैनां दी गल समझ दी इक्क कुड़ी, जिदा नाम मुहब्बत गुम है, गुम है, गुम है.. ओ साद मुरादी, सोहनी फब्बत गुम है, गुम है, गुम है.. https://www.youtube.com/watch?v=ZbX_nlzv7uU
 

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