12 जून को Kill का ट्रेलर रिलीज़ हुआ. सीमित बजट पर बनाई गई इस फिल्म को पिछले साल टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया गया था. फिल्म देखकर फिरंगी बौरा गए. इसे कल्ट क्लासिक का दर्जा दिया. Karan Johar और Guneet Monga ने हाथ मिलाया और इस फिल्म को मिलकर प्रोड्यूस किया. निखिल नागेश भट्ट ने लिखी और डायरेक्ट की. ‘किल’ में लक्ष्य ललवानी, राघव जुयाल और तान्या मानिकतला जैसे एक्टर्स ने काम किया. पूरी कहानी एक ट्रेन में घटती है. वहीं मचती है तबाही. आंख में खंजर घुसाया जा रहा है. खोपड़ी को आग लगाई जा रही है. लात मारकर गर्दन की हड्डी बाहर निकाल दी जा रही है. कुलमिलाकर ऐसा हो रहा है जो इंडियन सिनेमा में अब तक देखा नहीं गया.
मार-काट, खून-खच्चर से भरी ऐसी 10 फ़िल्में, जिन्हें देखकर रोयां गिनगिना जाए
इनमें से एक फिल्म की स्क्रीनिंग के बाहर लोगों को बैग दिए गए थे, ताकि लोग उसमें उल्टी कर सकें.

आम तौर पर हम लोग सेफ खेलते रहे हैं. ‘किल’ के ट्रेलर को देखकर लग रहा है कि सारी हदें पार कर दी गई हैं, और नतीजा ये फिल्म है. ‘किल’ 05 जुलाई को सिनेमाघरों में उतरेगी. लेकिन उससे पहले हम वर्ल्ड सिनेमा की उन धाकड़ एक्शन फिल्मों को याद कर रहे हैं, जिन्हें देखकर लोग घिना गए, उल्टियां की, तालियां पीटी और लहालोट हो गए.
#1. बैटल रॉयाल
भाषा: जापानी
डायरेक्टर: किंजी फुकासाकु

इस फिल्म से आपका पहला परिचय तो ये हो सकता है कि PUBG की प्रेरणा यहीं से आई थी. मतलब यही थी गंगोत्री. दूसरा परिचय ये है कि ‘बैटल रॉयाल’ बहुत क्रेज़ी फिल्म है. कुछ स्कूल के बच्चों को एक सुनसान से टापू पर लाकर छोड़ दिया जाता है. उनके गले में कॉलर लगा दिए जाते हैं. बताया जाता है कि तीन दिन हैं तुम्हारे पास. अपने क्लास के साथियों को मारो-काटो-खाओ. तीन दिन बाद जो बचेगा, उसे मिलेगी आज़ादी. इन बच्चों को कितने घिनौनेपन पर उतारा जाता है, यही फिल्म की कहानी है. अमेरिकन सिनेमा को वॉयलेंस को स्टाइलिश ढंग से दिखाने वाले क्वेंटिन टैरंटिनो की फेवरेट फिल्मों में से एक है.
#2. जॉन विक
भाषा: अंग्रेज़ी
डायरेक्टर: चैड स्टेहेलस्की

जिस पेंसिल से बचपन में पहाड़ और सूरज बनाए, उससे ये आदमी बंदे मार गिराता है. जिस मोटी किताब को बुक क्रिकेट खेलने के लिए इस्तेमाल किया, उसे जबड़ों के बीच फंसाकर ये आदमी लोगों के दांत बाहर निकाल देता है. कुत्ता प्रेमी मंडली के मार्गदर्शक जॉन विक की बात हो रही है. ‘जॉन विक’ का एक्शन सिर्फ इसलिए कूल नहीं लगता, क्योंकि उसे लाल-नीली लाइट्स के बीच शूट किया गया है. या किस तरह शॉट्स कट-टू-कट चलते हैं. फिल्म के एक्शन की सबसे बड़ी खासियत है उसके हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट सीन. जहां लोग अपने हाथों से दूसरे को तोड़ने पर आतुर हैं. मॉडर्न एक्शन के मामले में ‘जॉन विक’ इतनी प्रभावशाली फिल्म है कि कई फिल्मों ने इसके सीन्स को रीक्रिएट करने की कोशिश की.
#3. मैड मैक्स: फ्यूरी रोड
भाषा: अंग्रेज़ी
डायरेक्टर: जॉर्ज मिलर

‘मैड मैक्स’ कोई हर दूसरी हॉलीवुड फ्रैंचाइज़ नहीं. ये जॉर्ज मिलर की रची ऐसी मायावी दुनिया है जो आपको सम्मोहित कर के रख देती है. मिलर ने इतने यकीन के साथ ये फिल्म बनाई है कि किसी भी चीज़ पर संदेह करने का मन नहीं करता. ‘फ्यूरी रोड’ को सिर्फ एक्शन फिल्म नहीं कहा जा सकता. फिर भी फिल्म के कुछ एक्शन सीक्वेंसेज़ ऐसे हैं कि काटकर किसी एक्शन फिल्म के सामने खड़े कर दिए जाएं. और तब भी खरे उतरेंगे. मिलर ने CGI का ऐसे इस्तेमाल किया है कि वो अनुभव एलिवेट ही होता है. चाहे वो जिस तरह कैमरा घूम रहा हो या फिर जैसा लैंडस्केप दिख रहा हो. जादुई अनुभव.
#4. द रेड
भाषा: इंडोनेशियन
डायरेक्टर: गैरेथ एवांस
एक इंडोनेशियन मार्शल आर्ट फॉर्म है. नाम है पेनकक सिलाट. ‘द रेड’ में इसी मार्शल आर्ट का इस्तेमाल हुआ है. कहानी एक बिल्डिंग में घटती है. एक बहुत बड़े गैंगस्टर ने एक बिल्डिंग को अपना अड्डा बना रखा है. पुलिस की स्पेशल टीम को उसे पकड़ने के लिए भेजा जाता है. अपना हीरो भी उसी टीम का हिस्सा है. ‘द रेड’ ने ये दिखाया कि कर्रा एक्शन करने के लिए आपको खुले मैदान की ज़रूरत नहीं. बंद, सिकुड़े गलियारों में भी कायदे की फाइट हो सकती है.
#5. इची द किलर
भाषा: जापानी
डायरेक्टर: टाकेशी माइक

नॉर्वे, मलेशिया और जर्मनी जैसे देशों ने इस फिल्म पर बैन लगा दिया था. जब ये फिल्म टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन हुई, तो फिल्म देखने वालों को बैग थमाये गए. ताकि फिल्म देखते वक्त वो उस बैग में उल्टी कर सकें. ‘इची द किलर’ इतनी घिनौनी फिल्म है. मज़बूत पाचन वालों को ही ये फिल्म रिकमेंड की जाती है. लोगों ने इस फिल्म की आलोचना भले ही की है मगर इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया गया. क्योंकि ये सिर्फ अपने खून-खराबे को कैपिटलाइज़ करने की कोशिश नहीं करती. यहां स्टाइल और सब्स्टेंस साथ आकर एक कल्ट फिल्म बनाते हैं. इची एक किलर है जो पैसे लेकर हत्याएं करता है. उसे एक गैंग अपनी आपसी दुश्मनी निपटाने के लिए रखता है. इची के गाल कटे हुए. सिगरेट का कश अंदर खींचता है तो धुआं गालों से बाहर निकलता है. कूल बॉय इची पर उतना ही खतरनाक भी है.
#6. आई सॉ द डेविल
भाषा: कोरियन
डायरेक्टर: किम जी वून
कहानी के हीरो की प्रेमिका को एक सीरियल किलर मार डालता है. अब वो उस किलर को ढूंढकर अपना बदला लेना चाहता है. आगे जो खून-खच्चर मचता है, उसमें ये समझ नहीं आता कि कौन हीरो है और कौन विलन. ये सही मायने में वहशियों का परम आनंद है. साल 2010 की इस कोरियन फिल्म को उठाकर अपने यहां भी बनाया गया. उस फिल्म का नाम ‘एक विलन’ था. दोनों फिल्मों में बेसिक कहानी के अलावा कोई समानता नहीं. ‘आई सॉ द डेविल’ ने सेंसर आदि की मर्यादा का कोई ध्यान नहीं रखा. ऐसी मार-काट मचाई कि इसे साउथ कोरिया की टॉप एक्शन फिल्मों में गिना जाता है.
#7. द किलर
भाषा: चाइनीज़
डायरेक्टर: जॉन वू
कंविक्शन का पर्यायवाची है जॉन वू. इस बंदे ने ‘फेस ऑफ’ नाम की फिल्म बनाई. जहां दिखाया गया कि प्लास्टिक सर्जरी की मदद से हीरो और विलन के चेहरे आपस में बदल दिए गए. बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म नहीं चली मगर आगे चलकर कल्ट स्टेटस हासिल किया. उन भाईसाहब ने ‘द किलर’ बनाई. कहानी एक हिट-मैन की है जो अपने काम से रिटायर होना चाहता है. इसी बात पर उसके पुराने साथी दुश्मन हो जाते हैं. उसे मार डालना चाहते हैं. वो कैसे बचेगा, यही फिल्म की कहानी है.
#8. किल बिल
भाषा: अंग्रेज़ी
डायरेक्टर: क्वेंटिन टैरंटिनो

उमा थर्मन ने एक असासिन का किरदार निभाया है. कोड नेम है उसका ब्राइड. पुराना बॉस उस पर जानलेवा हमला करवाता है. उस वजह से वो चार साल कोमा में चली जाती है. उठती है और अब उसे अपना बदला लेना है. टैरंटिनो ने लंबी तलवार और उससे पड़ने वाले खून के छींटों को ऐसे इस्तेमाल किया कि आज भी फिल्म के सीन्स को खोजकर देखा जाता है. गर्दन कट रही है. आंखों से आंसू, दर्द की जगह खून की धारा बह रही है. सफेद कपड़े रक्तरंजित हो रहे हैं. वॉयलेंस और एक्शन पसंद करने वालों के लिए ट्रीट है ये फिल्म.
#9. नोबडी
भाषा: अंग्रेज़ी
डायरेक्टर: इल्या नेशुलर
हच मेनसल नाम का एक आम, बोरिंग आदमी है. नॉर्मल लाइफ जीता है. ‘बेटर कॉल सॉल’ वाले बॉब ओडेनकर्क ने हच का रोल किया है. एक रात हच के घर में चोर घुस जाते हैं. वो उनसे हिसाब-किताब पूरा करने के लिए निकलता है. उसके चलते हालात बिगड़ते चलते जाते हैं. लिमिटेड बजट पर बनी है ये. धांसू एक्शन है. किसी वीकेंड पर देखेंगे तो लगेगा कि यार, छुट्टी का सही इस्तेमाल हुआ है.
#10. ओल्डबॉय
भाषा: कोरियन
डायरेक्टर: पार्क चैन वूक
इस लिस्ट में बहुत सारी बदले की कहानियां हैं. ये फिल्म भी उन्हीं में जाकर जुड़ती है लेकिन फिर भी उन सब से पूरी तरह जुदा है. फिल्म का एक सीन बहुत फेमस है. मतलब बहुत ही ज़्यादा. इतना कि संदीप रेड्डी वांगा ने अपनी फिल्म ‘एनिमल’ में भी इस्तेमाल किया. खैर ‘ओल्डबॉय’ के उस सीन में एक आदमी हाथ में हथौड़ा लेकर सामने वालों के शरीर के परखच्चे उड़ा रहा है. गर्दन, खोपड़ी, हर जगह हमले हो रहे हैं. इस सीन की सबसे अच्छी बात है कि ये फिल्मी नहीं लगता. लोग लड़ते हुए लड़खड़ा रहे हैं. बैलेंस बिगड़ रहा है. रोशनी पड़ने पर दिखता है कि बदन पर आने वाला पसीना चमक रहा है. कैमरा सिंगल टेक में सब कुछ रिकॉर्ड किए जा रहा है. कहते हैं कि सेक्स और वॉयलेंस इस दुनिया की सबसे उत्तेजक चीज़ें हैं. पाक चैन वूक की ये फिल्म दोनों पहलुओं में ये बात सही साबित करती है.
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