UP Election Result: इस सीट पर बीजेपी एक बार फिर नहीं खोल पाई खाता
2008 में परिसीमन के बाद ऊंचाहार विधानसभा सीट से कांग्रेस नहीं जीत पाई है.

बीजेपी नेता अमरपाल मौर्या और सपा नेता मनोज कुमार पांडेय (फोटो- सोशल मीडिया)
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने में नाकाम रही. लेकिन कुछ ऐसी विधानसभा सीटें रहीं, जहां उनके उम्मीदवारों ने पार्टी की साख को बचाकर रखा है. रायबरेली की ऊंचाहार (Unchahar) विधानसभा ऐसी ही एक सीट है. सपा उम्मीदवार सपा के मनोज कुमार पांडेय (Manoj Kumar Pandey) ने इस सीट से हैट्रिक लगाई है. उन्होंने बीजेपी के अमरपाल मौर्य को 6,621 वोटों से हरा दिया. इस सीट पर चौथे चरण में 23 फरवरी को वोटिंग हुई थी. इस सीट पर बसपा की अंजलि मौर्य भी एक मुख्य उम्मीदवार थी. हालांकि उन्हें 34,575 वोट ही मिल पाया. विधायक मनोज कुमार पांडेय को 82,128 वोट मिले. पिछले 2 चुनावों से ऊंचाहार विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है. 2017 में यहां सपा और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी. मनोज कुमार पांडेय ने 2000 से भी कम वोटों से जीत हासिल की थी. वोट प्रतिशत को देखें, तो मनोज कुमार पांडेय को कुल 28.54 फीसदी वोट मिले थे, वहीं बीजेपी के उत्कृष्ट मौर्य को 27.61 फीसदी वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर बसपा और चौथे पर कांग्रेस रही थी. उत्कृष्ट मौर्य बीजेपी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं. अपने पिता के साथ उत्कृष्ट मौर्य भी इस साल जनवरी में सपा में शामिल हो गए थे. 2012 के विधानसभा चुनाव में भी मनोज कुमार पांडेय ने उत्कृष्ट मौर्य को हराया था जो उस समय बसपा में थे. जीत के बाद मनोज कुमार पांडेय अखिलेश सरकार में मंत्री भी बने थे. उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच चल रही है. मनोज का दावा है कि उन्होंने विपक्ष में रहते हुए क्षेत्र के विकास के लिए काफी काम किया है. लेकिन बसपा का आरोप है कि वे खुद के विकास के लिए काम करते रहे हैं.
बीजेपी नहीं खोल सकी है खाता
रायबरेली जिला कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अब भी रायबरेली से सांसद हैं. हालांकि 2008 में परिसीमन के बाद ऊंचाहार विधानसभा सीट से कांग्रेस नहीं जीत पाई है. वहीं बीजेपी भी यहां अपना खाता नहीं खोल सकी है. पहले यह क्षेत्र डलमऊ विधानसभा सीट के तहत आता था. स्वामी प्रसाद मौर्य इसी डलमऊ सीट से बसपा के टिकट पर पहली बार 1996 में विधायक बने थे. 2002 में भी उन्हें यहां से सफलता मिली थी. हालांकि कांग्रेस के अजय पाल सिंह ने 2007 में उन्हें हरा दिया. 2008 में परिसीमन के बाद डलमऊ का कुछ हिस्सा सरेनी विधानसभा में चला गया और बाकी हिस्से को मिलाकर ऊंचाहार विधानसभा सीट बना. 2017 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक, इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 3.25 लाख है. जातिगत समीकरण को देखें, तो यहां सबसे ज्यादा संख्या दलित और गैर-यादव ओबीसी आबादी की है. इनमें पासी जातियों और मौर्य समाज की संख्या सबसे अधिक है. अधिकतर राजनीतिक दल मौर्य समाज के नेताओं को टिकट देकर ही चुनाव में जीत हासिल करने की कोशिश करते रहे हैं.