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पप्पू यादव को किसने धोखा दिया, लालू यादव या कांग्रेस पार्टी? इनसाइड स्टोरी जान लीजिए

Bima Bharti को RJD ने उसी दिन टिकट दे दिया था जिस दिन उन्होंने पार्टी जॉइन किया था. फिर Pappu Yadav के साथ क्या बात हुई? Lalu Yadav के ऑफर को उन्होंने क्यों ठुकरा दिया? और सबसे जरूरी बात, अब बिहार में राजद और Congress के गठबंधन का क्या होगा?

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पप्पू यादव ने कहा है कि वो पूर्णिया की सीट से ही चुनाव लड़ेंग. (फाइल फोटो: PTI/इंडिया टुडे)

पप्पू यादव (Pappu Yadav) किसी भी हाल में पूर्णिया सीट (Purnia) से ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. ये खुद पप्पू यादव ने कहा है. लेकिन इस सीट पर लालू यादव (Lalu Yadav) की तरफ से बीमा भारती (Bima Bharti) को RJD का सिंबल दे दिया गया है. ऐसे में बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच गठबंधन का बेड़ा कैसे पार होगा? पप्पू यादव पूर्णिया से चुनाव लड़ने की तैयारी पहले से ही कर रहे थे. 20 मार्च को उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी (JAP) का विलय कांग्रेस में कर दिया था. लेकिन विलय से पहले उन्होंने मुलाकात की थी- लालू यादव और तेजस्वी यादव से.

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इस मीटिंग में और क्या बातें हुईं? बीमा भारती ने राजद से टिकट मिलने की घोषणा की. उसके बाद से ही पप्पू यादव का दुख दिखने लगा. उन्होंने मीडिया में आकर कहा कि पता नहीं लालू यादव को उनसे क्या दिक्कत है. उन्होंने एक ऑफर की भी बात की. ऑफर जो उन्हें मिला था, राजद प्रमुख लालू यादव से. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पप्पू यादव को कांग्रेस की बजाए राजद में अपनी पार्टी का विलय करने का ऑफर मिला. राजद ने उनको मधेपुरा सीट से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था. साथ ही उनके बेटे को सुपौल से चुनाव लड़ाने की बात भी हुई थी. पप्पू यादव ने राजद प्रमुख से आग्रह किया था कि उन्हें पूर्णिया से चुनाव लड़ना है.

Lalu Yadav का ऑफर क्यों ठुकराया?

इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार पुष्य मित्र इस बारे में बताते हैं,

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"पप्पू यादव मधेपुरा या सुपौल से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. क्योंकि इन सीटों पर राजद की पकड़ है. यहां अगर उनकी जीत हो भी जाती है तो इसका कारण लालू यादव के प्रभाव को माना जाएगा. और उन्हें हमेशा लालू यादव के सामने दब के रहना पड़ेगा."

राजद नेता से मुलाकात के बाद पप्पू यादव कांग्रेस के हो गए. ऐसा कहा जा रहा है कि इससे लालू नाराज हो गए. इसके बाद बीमा भारती के पूर्णिया सीट पर उम्मीदवारी की बात सामने आई. ऐसे में कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे का पेंच फंसता हुआ दिख रहा है. 

दूसरी तरफ ये भी सामने आया हैै कि राजद पप्पू यादव को पूर्णिया सीट देने के लिए तैयार नहीं थी. क्योंकि बीमा भारती को इसी वादे के साथ पार्टी में लाया गया था कि उन्हें पूर्णिया सीट से टिकट दिया जाएगा. दो तस्वीरों को आधार बनाकर ये भी दावा किया जा रहा है कि जिस दिन बीमा भारती RJD में शामिल हुईं, उसी दिन उन्हें पार्टी का सिंबल दे दिया गया. लेकिन भारती ने इसकी घोषणा लालू और पप्पू यादव के मुलाकात के बाद की. राजद की नाराजगी पर पुष्य मित्र बताते हैं,

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"राजद नहीं चाहती कि बिहार में कोई भी ऐसा नेता या पार्टी हो जो भविष्य में उसके लिए चुनौती बने. इसलिए भी पप्पू यादव को राजद में JAP का विलय करने और मधेपुरा से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया गया. इससे वो लालू यादव के अंडर काम करते."

पप्पू यादव ने ये भी कहा है कि राजद में जाने से उन्हें तेजस्वी के नीचे रहना पड़ता. और कांग्रेस में जाने पर उनका कद बढ़ सकता है.

Congress क्या चाहती है?

यहां मामला सिर्फ लालू यादव और पप्पू यादव के बीच ही नहीं फंसा है. एक पक्ष इसमें कांग्रेस भी है. दावे के अनुसार पप्पू यादव को कांग्रेस का पूरा साथ है. लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि अखिलेश नहीं चाहते थे कि पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हों. कारण बताया गया कि इससे पार्टी में उनके प्रभाव के कम होने का खतरा था. पुष्य मित्र ने कहते हैं,

"कांग्रेस भी चाहती है कि बिहार में पप्पू यादव एक मजबूत नेता के रूप में उभरें. क्योंकि अब तक राज्य में जो भी कांग्रेस के नेता रहे हैं, वो हवा-हवाई टाइप के रहे हैं. या कांग्रेस आलाकमान के आर्शीवाद से नेता बने रहे हैं. दूसरी तरफ अखिलेश सिंह, लालू के करीबी माने जाते हैं."

RJD और Congress के गठबंधन का क्या होगा?

बिहार में INDIA गठबंधन के इन दोनों प्रमुख दलों के बीच मामला सिर्फ पूर्णिया सीट पर ही नहीं फंसा है. मामला औरंगाबाद की लोकसभा सीट पर भी फंसा है. औरंगाबाद सीट पर कांग्रेस अपनी दावेदारी पेश कर रही थी. लेकिन राजद ने यहां भी अपना उम्मीदवार उतार दिया. कांग्रेस के स्थानीय नेता RJD उम्मीदवार का खुलकर विरोध कर रहे हैं. ऐसे में गठबंधन की नैया कैसे पार लगेगी? क्या समझौता हो सकता है? इसका जवाब दे रहे हैं पत्रकार पुष्य मित्र,

"अभी तक ऐसा लग रहा है कि दोनों दलों के बीच जितनी सीटों पर समझौता हो पाएगा वहां गठबंधन जारी रहेगा. लेकिन औरंगाबाद और पूर्णिया में ऐसा हो सकता है कि दोनों दल अपने-अपने उम्मीदवार उतारे. या फिर 'फ्रेंडली फाइट' जैसा कुछ भी हो सकता है."

आगामी 19 अप्रैल से 1 जून तक देश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान कराए जाएंगे. 4 जून को वोटों की गिनती होगी. बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर सभी 7 चरणों में चुनाव होंगे. 19 अप्रैल को पहले चरण में गया, नवादा, औरंगाबाद और जमुई सीट पर मतदान होंगे. 26 अप्रैल को दूसरे चरण में किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका में वोटिंग होनी है. 7 मई को तीसरे चरण में झंझारपुर, सुपौल, अररिया,मधेपुरा और खगड़िया सीट पर मतदान होंगे. 

इसके बाद चौथे चरण में दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और मुंगेर सीट पर 13 मई को चुनाव होना है. 20 मई को पांचवे चरण में सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर में वोटिंग होनी है. इसी तरह 25 मई को छठे चरण में पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, वाल्मीकि नगर, सिवान, वैशाली, महाराजगंज और शिवहर सीट पर मतदान कराए जाएंगे. इसके बाद 1 जून को सातवें चरण में नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट और जहानाबाद सीट पर मतदान होना है.

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