हिमाचल प्रदेश में चुनाव (Himachal Pradesh Election 2022) की तारीखों का ऐलान हो चुका है. सियासी ताप के बीच दी लल्लनटॉप ने इंटरव्यू किया सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) का. संपादक सौरभ द्विवेदी ने उनसे सरकार के कामकाज और तमाम बड़े विवादों से लेकर जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर सीधे सवाल पूछे. जयराम ठाकुर से पूछा गया कि पार्टी से निर्णय लेने में कहां चूक हो गई जो बागियों की संख्या दो दर्जन तक जा पहुंची? क्या बागी BJP के लिए सबसे बड़ी चिंता बन गए हैं?
क्या बीजेपी के पुराने नेता हिमाचल में काम गड़बड़ा देंगे?
लल्लनटॉप के इंटरव्यू में CM जयराम ठाकुर BJP के बागियों को लेकर क्या बोले?

इस सवाल का जवाब देते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने कहा,
'चुनाव जब आते हैं तो इस तरह की परिस्थिति का सामना हमेशा करना पड़ता है. इस बार भी इस तरह की समस्या आई है और थोड़ी ज्यादा आई है, इसमें कोई दोराय नहीं है. जब लोगों को लगता है कि (बीजेपी की ही) सरकार बन रही है, तो वो टिकट मांगते हैं. टिकट मांगने के लिए सभी आजाद हैं, पार्टी के कार्यकर्ताओं को टिकट मांगने से रोका नहीं जा सकता. अधिकार सबको है. लेकिन सभी को एक बात मानकर चलनी पड़ेगी कि टिकट केवल एक का ही होगा, बाकियों को धैर्य रखकर चलना पड़ेगा. कुछ लोगों ने सब्र किया भी है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने टिकट न मिलने के बावजूद नॉमिनेशन फ़ाइल कर दिया. हालांकि, इनमें से कुछ ने बाद में वापस भी ले लिया. अभी भी कुछ लोग (बगावत पर) डटे हुए हैं.'
सीएम ठाकुर ने आगे कहा,
महेश्वर सिंह का प्रकरण क्या है?'अब हम इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहते. हमारा लक्ष्य सरकार बनाना है और नरेंद्र भाई मोदी जी को और मजबूत करना है, जहां भी इस तरह के (बगावत के) मुद्दे हैं. उन पर हमारा ध्यान ही नहीं है. हमारा फोकस चुनाव पर है. मुझे भरोसा है जैसे-जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे कई (बागी) लोग वापस आ जाएंगे. मेरा कहने का मतलब ये है कि जो लोग बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं, हो सकता है वो बीच चुनाव में ही वापस आ जाएं.'
इसके बाद जयराम ठाकुर से सवाल पूछा गया कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह को पार्टी ने टिकट दिया. लेकिन, जब उनके बेटे ने किसी दूसरी सीट से निर्दलीय पर्चा भर दिया तो महेश्वर सिंह का भी टिकट काट दिया गया. ये मसला क्या है?
इस सवाल पर हिमाचल के सीएम बोले,
'देखिये ये मसला कुछ नहीं है, हमारी पार्टी का नियम है कि एक परिवार से एक व्यक्ति को टिकट मिलेगा. महेश्वर सिंह को टिकट दे दिया गया था, लेकिन उनका बेटा दूसरी सीट पर चुनाव लड़ने पहुंच गया. हमने इस पर आपत्ति जताई और उनसे रास्ता निकालने को कहा. रास्ता निकालने की कोशिश पार्टी ने भी की, लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली. इसके बाद हमने तय किया कि अगर पार्टी के एक प्रत्याशी के परिवार का ही दूसरा सदस्य पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़े तो इससे सही मैसेज नहीं जाएगा. इसलिए महेश्वर सिंह को टिकट न देने का निर्णय लिया गया. उन्होंने बीजेपी के एक अनुशासित सिपाही होने के नाते इस निर्णय को स्वीकार भी किया.'
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मुताबिक महेश्वर सिंह ने एक बहुत बड़ा सन्देश दिया. उन्होंने बता दिया कि जब बेटे ने बात नहीं मानी तो पिता ने ही अपने टिकट की कुर्बानी दे दी.
पूरा इंटरव्यू : जयराम ठाकुर ने सौरभ द्विवेदी के सामने मोदी के फोन, वीरभद्र और OPS पर क्या खुलासे किए?