मंगलवार 6 जून. एक कार्यक्रम के मंच पर मध्यप्रदेश कांग्रेस चीफ़ कमलनाथ थे. ‘जय कमलनाथ’ के नारे लग रहे थे. कमलनाथ ने रोक कर कहा, 'जय श्रीराम बोलो'. इसके बाद ‘जय श्रीराम’ के नारे लगने लगे. कमलनाथ ने भी लगाए. इस कार्यक्रम में ही मध्यप्रदेश के हिंदूवादी संगठन बजरंग सेना ने कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया. 2013 में बने इस संगठन को हिंदूवादी विचारधारा का माना जाता है. कई बड़े कार्यक्रम और प्रदर्शन कर ये संगठन चर्चा बटोरता आया है.
जैसे कर्नाटक में चला, वैसे मध्यप्रदेश में क्या कमलनाथ का 'दांव' BJP का खेल बिगाड़ेगा?
कांग्रेस मध्यप्रदेश में अपनी सरकार के दौरान महाकाल मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिरों का विकास, राम वन गमन पथ बनाने के प्रस्ताव की बात कह रही है. कमलनाथ खुद को हनुमान भक्त बता रहे हैं तो बीजेपी कह रही - कांग्रेसी लोग हिंदू नहीं हैं, इच्छाधारी हिंदू हैं!


बात सिर्फ इस एक कार्यक्रम की नहीं है. बीते कुछ वक़्त से मध्यप्रदेश कांग्रेस की 'सॉफ्ट हिंदुत्व' वाली छवि हार्डकोर होती जा रही है. मध्यप्रदेश में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने को हैं. ऐसे में कांग्रेस और कमलनाथ के इस आइडियोलॉजिकल शिफ्ट की चर्चा तेज है. हम इसे शिफ्ट क्यों कह रहे, इसे कुछ और उदाहरणों से समझते हैं.
हनुमान भक्त कांग्रेस-कर्नाटक में कांग्रेस की शानदार जीत हुई. इधर मध्यप्रदेश में कांग्रेस के प्रादेशिक दफ्तर 'इंदिरा भवन' से लेकर कई जगहों पर कमलनाथ के बैनर और पोस्टर लगने लगे. इन पर लिखा था,
"हनुमान भक्त कांग्रेस पार्टी को कर्नाटक में मिला आशीर्वाद."
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया. उसमें भी कमलनाथ को 'हनुमान भक्त' कहा गया.
इस ट्वीट में ये भी लिखा था कि कमलनाथ की सरकार जो बहुत कम दिन के लिए रही, उसने हिंदुओं के लिए क्या-क्या किया. ट्वीट में उज्जैन के महाकाल मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिरों का विकास, राम वन गमन पथ बनाने के प्रस्ताव और ओम सर्किट की स्थापना का जिक्र था.
कमलनाथ की ये हनुमान भक्ति, इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बजरंग बली और बजरंग दल को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में जमकर सियासत हुई थी. बीजेपी ने बजरंग दल पर बैन की घोषणा को बजरंग बली का अपमान बताया था. कुल मिलाकर चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की गई थी. लेकिन बीजेपी की करारी हार हुई.
कांग्रेस का पुजारी प्रकोष्ठ-मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 45 प्रकोष्ठ बनाए हैं. इनमें से तीन के नामों पर गौर करिए- पुजारी प्रकोष्ठ, मठ मंदिर प्रकोष्ठ और धार्मिक उत्सव प्रकोष्ठ. इनकी चर्चा सबसे ज्यादा है. अप्रैल महीने की 2 तारीख को भोपाल में ‘इंदिरा भवन’ भगवा झंडों और बैनरों से पटा था. ये बैनर पुजारी प्रकोष्ठ की बैठक के थे.
कांग्रेस के इन प्रकोष्ठों का काम वरिष्ठ नेता जेपी धनोपिया देख रहे हैं. वो लल्लनटॉप से बात करते हुए कहते हैं कि कांग्रेस समाज के हर वर्ग के लोगों को साथ लेकर चल रही है. संगठन में सबके मुद्दों पर बात हो सके इसलिए इन प्रकोष्ठों का गठन किया गया है. धनोपिया का आरोप है कि राज्य सरकार ने मंदिरों के पुजारियों की कई मांगों की अनदेखी की है.
धनोपिया कहते हैं,
"कांग्रेस धर्म के नाम पर व्यापार नहीं करती, हम उन्माद नहीं फैलाते. हम आस्था वाले लोग हैं. हम सुंदर कांड, हनुमान चालीसा का पाठ करवाते हैं, क्योंकि इनमें हमारी आस्था है. इनके जरिए समाज में हम कोई द्वेष नहीं फैलाते. बीजेपी और कांग्रेस का धर्म को लेकर नजरिया एक है. लेकिन बीजेपी दिखावा करती है, हम दिखावा नहीं करते. भाजपा धर्म को चुनावी हथियार बनाना चाहती है. धर्म और भगवा रंग पर बीजेपी का कोई कॉपीराइट नहीं है."
पुजारी प्रकोष्ठ की आवश्यकता पर जोर देते हुए धनोपिया ये भी कहते हैं,
“सिर्फ पुजारियों की बात नहीं है, बीजेपी के शासन से मायूस सभी वर्गों के लोग हमारे पास आ रहे हैं. 20 साल के शासन में बीजेपी ने पुजारी वर्ग को भी निराश किया है.पुजारियों की तीन मांगें थीं कि मंदिर की संपत्ति पर प्रशासन का नियंत्रण नहीं होना चाहिए. कलेक्टर को मंदिर का प्रशासक न बनाया जाए. और हमारी जमीन का पूरा हक़ हमें दिया जाए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए पुजारी वर्ग हमसे जुड़ रहा है.”
वहीं बीजेपी का कहना है कि विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस हिन्दुओं के बीच अपनी छवि बनाने की कोशिश कर रही है. मध्य प्रदेश में BJP के प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी लल्लनटॉप से बात करते हुए कहते हैं,
"कांग्रेसी लोग हिंदू नहीं हैं, इच्छाधारी हिंदू हैं. प्रियंका गांधी साल 2018 में नर्मदा की आरती करने आई थीं. उसके बाद अब फिर आईं हैं. बीच में नर्मदा की याद नहीं आई. कमलनाथ की सरकार में कांग्रेस ने लिखित में 973 वचन दिए थे. कोर इशू कर्जमाफी था. राहुल गांधी ने कहा था 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ़ कर देंगे. लेकिन 15 महीने में कुछ नहीं हुआ. अगर हिंदुत्व के मानने वाले हैं तो अपने वादे पूरे करते. भगवान राम ने तो एक वचन के लिए 14 वर्ष का वनवास लिया था. आपने 973 वचन तोड़े हैं."
कमलनाथ को हनुमान भक्त कहा जा रहा है. इस पर दुर्गेश कहते हैं,
“कमलनाथ अल्पसंख्यकों से कहते हैं कि हमें आपका 90 फीसद वोट चाहिए. बाकी हम देख लेंगे. इनके मंत्री पीसी शर्मा बताते थे कि गांजे की खेती में स्कोप है. दूसरे मंत्री जीतू पटवारी कहते थे कि कमलनाथ जी ने देशी-विदेशी की व्यवस्था कर रखी है. ऐसे लोगों से किस समाज का भला होगा. पुजारी और ब्राह्मण वर्ग अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) से मिलते हैं और उनकी उचित मांगों का निस्तारण किया जाता है.”
कमलनाथ का पक्ष क्या है, ये जानने के लिए हमने उनसे संपर्क करने की कोशिश की. मध्यप्रदेश कांग्रेस और कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले से हमारी बात हुई. वो कहते हैं कि बीजेपी हिंदुओं के मामले में एक्सपोज़ हो चुकी है.
वो कहते हैं,
"मध्यप्रदेश में होली के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जन्मदिन मनाया गया. कार्यक्रम का नाम मुख्यमंत्री ट्रॉफी रखा गया. इस कार्यक्रम में बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी की मूर्ति के सामने लगभग अर्धनग्न स्थिति में नृत्य कराया गया. जनता के बीच बहुत गलत संदेश गया."
पीयूष आगे कहते हैं,
"उज्जैन में बीजेपी सरकार ने जो महाकाल लोक बनाया है. वो कमलनाथ का ही प्रस्ताव था. जब PM मोदी यहां आए तो उन्होंने ये बात नहीं की. महाकाल लोक बनाने का काम बीजेपी का था. उसमें मूर्तियां गिर गईं. और इस महाकाल लोक में टिकट रख दी गई है. गरीब व्यक्ति दर्शन करने नहीं जा सकता. ग्वालियर में हनुमान जी के एक मंदिर में हनुमान जी के नाम मकान खाली करने का नोटिस जारी होता है. ओरछा में जो रामराजा का मंदिर है, उस पर इनकम टैक्स का नोटिस दिया गया. यहां कर्फ्यू वाली देवी हैं. उनके खिलाफ इनकम टैक्स का नोटिस जारी किया गया. भोपाल में कंकाली देवी का मंदिर है, उसमें डकैती हुई. डकैतों ने पुजारियों को पीटा. बीजेपी की हिंदू विरोधी एक्टिविटी को सारी जनता देख रही है."
पीयूष आगे कहते हैं कि कमलनाथ का मानना है कि धर्म आचार का विषय है, प्रचार का नहीं. मैं हिंदू हूं, मूर्ख नहीं हूं. कमलनाथ का हिंदुत्व से जुड़े कार्यक्रमों को लेकर कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. वे कहते हैं कि हर नेता ऐसे धार्मिक कार्यक्रम करवाता रहता है. पीयूष के मुताबिक, कांग्रेस का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ शब्द मीडिया का दिया हुआ है.
पीयूष के मुताबिक, कमलनाथ स्वयं हनुमान भक्त हैं. वो बताते हैं,
मध्यप्रदेश की राजनीति में क्या बदलेगा?"भारत में हनुमान की सबसे बड़ी प्रतिमा, छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने बनवाई. अपने कार्यकाल में 1000 गौशालाओं का निर्माण करवाया. मध्यप्रदेश में राम जिन इलाकों से निकले वहां राम वनगमन पथ बनाने का भी प्रस्ताव था. श्रीलंका में सीता-माता मंदिर भी कमलनाथ का प्रोजेक्ट था. वे अपने कामों का प्रचार नहीं करते."
बीजेपी का कहना है कांग्रेस की इस रणनीति से कुछ बदलने वाला नहीं है. लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि बीजेपी को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की इसी रणनीति के चलते नुकसान हुआ और वो पिछले विधानसभा चुनावों में 15 सीटों पर सिमटकर रह गई.
कहा जाने लगा कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने बीजेपी के 'हिंदुत्व के एजेंडे' पर कब्जा कर लिया है. कांग्रेस ने माता कौशल्या मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद यहां RSS प्रमुख मोहन भागवत को मंदिर के दर्शन के लिए आमंत्रित किया. भागवत ने न्योता स्वीकारा और दर्शन करने भी गए.
वरिष्ठ पत्रकार NK सिंह, BBC से बात करते हुए कहते हैं कि कांग्रेस हमेशा से ही ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की रणनीति पर चली है. लेकिन वो सार्वजनिक रूप से इसे नहीं स्वीकार करते हैं. हालांकि NK सिंह ये भी मानते हैं कि BJP को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदली है.
सिंह कहते हैं,
"नेहरु ने भी हिन्दू धामिक नेताओं के सम्मेलन किए हैं. अब ऐसा लग रहा है कि BJP को चुनौती देने के लिए कांग्रेस खुलकर मैदान में उतर गई है. भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ना लाजिमी है. साल 1992 में बाबरी मस्जिद के टूटने के बाद भी कमलनाथ परेशान थे कि वो किस तरह बीजेपी को चुनौती दे पाएंगे. इसके लिए उन्होंने हरिद्वार से कई साधुओं को अपने निर्वाचन क्षेत्र में बुलाया था. इन साधुओं को चुनावी प्रचार के लिए अलग-अलग जगह भेजा जाता था. जहां कमलनाथ भी जाते और इन साधुओं का आशीर्वाद लेते थे."
एनके सिंह के मुताबिक, कमलनाथ इस कला में माहिर हैं. खैर ये कला जनता को कितनी रास आएगी, ये तो वक्त ही बताएगा. मध्यप्रदेश का चुनाव इस साल के अंत में होना है, वहां ये दांव कितना चलता है, इस पर सबकी नजर रहेगी.






















