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ग्राउंड के बाहर भी स्पोर्ट्स में बना सकते हैं करियर, इन कोर्सेज के लिए करें अप्लाई

अगर आप स्पोर्ट्स के दांव-पेंच और रोमांच का हिस्सा बनना चाहते हैं तो मैदान के बाहर से भी खेल और खिलाड़ियों से जुड़ सकते हैं.

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ग्राउंड पर चोट लगने के बाद क्रिकेटर मयंक अग्रवाल को ट्रीट करते फीजियो (फाइल फोटो- PTI)

आज है 29 अगस्त. इस दिन होता है महान भारतीय हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन. और आज के दिन मनाया जाता है खेल दिवस यानी नेशनल स्पोर्ट्स डे (Sports Day). स्पोर्ट्स डे पर आपने हमारे खिलाड़ियों और उनकी उपलब्धियों के बारे में खूब पढ़ा होगा. लेकिन आज हम आपको उन लोगों के बारे में बता रहे हैं जो पर्दे के पीछे से काम करते हैं. जिनका किसी खिलाड़ी या टीम को विनिंग पोडियम तक पहुंचाने में काफी अहम रोल होता है. आज हम आपको बताएंगे खिलाड़ियों के अलावा स्पोर्ट्स में आपके लिए क्या-क्या करियर ऑप्शन्स हैं. 

'ऑफ द ग्राउंड' स्पोर्ट्स में ये करियर ऑप्शन 

कोई भी खेल हो उसमें हर पल दांव-पेंच चलते रहते हैं. अगर आप इसी दांव-पेंच और रोमांच का हिस्सा होना चाहते हैं, तो खेल और खिलाड़ियों से जुड़ सकते हैं. इसके लिये ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं कि आपको खेल खेलना आये. आप टीम स्टॉफ का हिस्सा भी हो सकते हैं और सपोर्टिंग रोल निभा सकते हैं. क्या हैं ऑप्शन्स, आइए देखते हैं.  

1. स्पोर्ट्स कोच (Sports Coach)

स्पोर्ट्स कोच का काम होता है खिलाड़ियों को ट्रेन करना. कोच सभी खिलाड़ियों के साथ काम करते हैं और उनकी परफॉरमेंस बेहतर करने में मदद करते हैं. वो खिलाड़ियों को टिप्स और ट्रिक्स बताते हैं और उनकी कमियां भी गिनाते हैं. कोच का काम खिलाड़ी के गेम को निखारना होता है. कोच पूरी टीम को मैनेज करने का काम भी करते हैं. इस फील्ड में काम करने के लिये टीम बिल्डिंग स्किल्स, मोटिवेशन स्किल्स, फिजिकल और मेंटल फिटनेस का होना जरूरी है.

स्पोर्ट्स कोच के रूप में काम करने के लिये बैचलर्स से लेकर मास्टर्स डिग्री और कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स किये जा सकते हैं. इसके लिये बैचलर्स इन स्पोर्टस कोचिंग (Bachelors in Sports Coaching) और मास्टर्स इन स्पोर्ट्स कोचिंग (Masters in Sports Coaching) जैसे कोर्स किये जा सकते हैं. नेशनल स्टोर्ट्स यूनिवर्सिटी से ये कोर्स किया जा सकता है. इसके लिये 12वीं पास होना जरूरी है. 12वीं में कम से कम 45 प्रतिशत नंबर भी होने चाहिये. 

2. स्पोर्ट्स एंड फिटनेस न्यूट्रिशनिस्ट (Sports and Fitness Nutritionist)

न्यूट्रिशनिस्ट का काम डाइट यानी खान-पान का ध्यान रखना होता है. स्पोर्ट्स में न्यूट्रिशनिस्ट का रोल बहुत अहम होता है. स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट खिलाड़ियों को न्यूट्रिशन और डाइट के बारे में सलाह देते हैं. उनका काम खिलाड़ियों की डाइट को मेंटेन करना होता है. वो खिलाड़ियों को ऐसी डाइट की सलाह देते हैं जो उन्हें फिट रखने के काम आये. यहां हर खिलाड़ी की अलग डिमांड होती है. उसके हिसाब से हर खिलाड़ी का डाइट चार्ट बनाना और उसका पालन कराना स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट का काम होता है.

 इस फील्ड में करने के लिये डिप्लोमा कोर्स किये जा सकते हैं. इसके अलावा कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स भी किये जा सकते हैं. ये कोर्स करने के लिये 12वीं पास होना जरूरी है. 

3. एथलेटिक ट्रेनर (Athletic trainer) 

एथलेटिक ट्रेनर खिलाड़यों की चोट से जुड़ी समस्या से डील करते हैं. ये लोग खिलाड़ियों की फिटनेस को मजबूत रखने का काम करते हैं. एथलेटिक ट्रेनर का काम खिलाड़ियों को किसी भी इंजरी से बचाने का भी होता है. इस फील्ड में काम करने के लिये डिग्री भी ली जा सकती है. अंडरग्रेजुएट और मास्टर्स डिग्री करने के ऑप्शन मौजूद हैं. इसमें कोर्स करने के लिये 12वीं पास होना जरूरी है. ये कोर्स एमिटी स्कूल ऑफ फिजिकल स्टडीज एंड स्पोर्ट्स साइंसेज (Noida), इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज (New Delhi) से किये जा सकते हैं. 

4. स्पोर्ट्स मार्केटिंग मैनेजर (Sports Marketing Manager)

स्पोर्ट्स मार्केटिंग मैनेजर का काम स्पोर्ट्स की मार्केटिंग और प्रमोशन का होता है. इसमें स्पोर्ट्स की एडवर्टाइजिंग, मार्केट एनालिसिस, और मार्केटिंग स्ट्रैटजीस जैसी कई चीजें होती हैं. स्पोर्ट्स मार्केटिंग मैनेजर किसी एजेंसी या किसी संस्थान के साथ काम कर सकते हैं. इसके अलावा ये लोग स्पोर्टस न्यूज चैनल्स के साथ भी काम कर सकते हैं. इस रोल में काम करने के लिये मार्केटिंग स्ट्रीम में मास्टर्स या डिप्लोमा इन मैनेजमेंट कर सकते हैं. इसके लिये बैचलर्स डिग्री पास होना जरूरी है. इस कोर्स के लिये टॉप कॉलेज IIM बेंगलुरु और रोहतक हैं. 

5. स्पोर्ट्स फिजियोथेरपिस्ट (Sports Physiotherapist)

 जब किसी खिलाड़ी को चोट लगती है तो फिजियोथेरपिस्ट का काम उसका ध्यान रखना होता है. फौरी राहत से लेकर लॉन्ग टर्म मेडिकेशन तक. चोट हल्की है या फिर गहरी. सब का हिसाब रखना होता है. खिलाड़ी को फिट रखने के लिए फिजियोथेरपिस्ट थेरपी, मसाज और एक्सरसाइजेस कराते हैं. इस फील्ड में काम करने के लिये डिग्री से लेकर सर्टिफिकेट कोर्स किये जा सकते हैं. इसके लिए बैचलर्स इन फिजियोथेरेपी (Bachelors in Physiotherapy), मास्टर्स इन फिजियोथेरेपी (Masters in Physiotherapy) और कई तरह के डिप्लोमा कोर्स किये जा सकते हैं. इस कोर्स के लिये 12वीं पास होना चरूरी है. ये कोर्स जामिया मिलिया इस्लािमया और गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से किये जा सकते हैं. 

6. स्पोर्ट्स जरनलिस्ट (Sports Journalist) 

अगर आपको खेल के बारे में लिखना-पढ़ना पसंद है तो स्पोर्ट्स जर्नलिज्म की फील्ड में भी करियर बना सकते हैं. स्पोर्ट्स से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर ऑडियंस तक पहुंचाना, स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट का काम होता है. इस फील्ड में स्पोर्ट्स राइटर, स्पोर्ट्स रिपोर्टर, स्पोर्ट्स एंकर, स्पोर्ट्स एडिटर के रूप में काम किया जा सकता है. इसके लिये बैचलर्स डिग्री, पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री, सर्टिफिकेट प्रोग्राम या स्पोर्ट्स में PhD भी की जा सकती है. कोर्स के लिये एलिजिबिलिटी की बात करें तो ग्रेजुएट होना जरूरी है. वहीं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन (IIMC) इस कोर्स के लिये टॉप कॉलेज है.

7. अंपायर और रेफरी (Umpire and Referee) 

किसी भी स्पोर्ट्स में अंपायर का रोल बहुत अहम होता है. अंपायर या रेफरी का काम होता है ये सुनिश्चित करना कि खेल नियमों के हिसाब से हो. इसके अलावा ये लोग ये भी सुनिश्चित करते हैं कि खिलाड़ी कोई गलत काम न करे. इस फील्ड में काम करने के लिये डिसीजन लेने की क्षमता होनी चाहिये, इसके अलावा क्रिटिकल थिंकिंग भी होनी चाहिये. इसके लिये अलग-अलग खेलों में कोर्सेज किये जा सकते हैं. डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद इस फील्ड में काम करने के लिये अप्लाई कर सकते हैं.

8. स्पोर्ट्स फोटोग्राफर (Sports Photographer) 

अगर आपको फोटोग्राफी के साथ-साथ स्पोर्ट्स में इंट्रेस्ट है तो ये फील्ड आपके लिये ही है. स्पोर्ट्स फोटोग्राफर, स्पोर्ट्स इवेंट और खिलाड़ियों की फोटोग्राफी का काम करते हैं. इस फील्ड में फ्रीलांसर के तौर पर भी काम किया जा सकता है. इसके अलावा स्पोर्ट्स फोटोग्राफर अपनी फोटोज का कलेक्शन किसी मैगजीन या किसी न्यूजपेपर को भी दे सकते हैं. इस फील्ड में काम करने के लिये जर्नलिजम की डिग्री, फोटोग्राफी की डिग्री या सर्टिफिकेट कोर्स किया जा सकता है.

9.Sports Lawyer (स्पोर्ट्स लॉयर)

स्पोर्ट्स लॉयर का काम किसी भी मुद्दे को लेकर कोर्ट में पक्ष रखना होता है. ये लोग खेल से जुड़े सभी लीगल मामलों को देखते हैं. स्पोर्ट्स लॉयर बोर्ड, टीम, लीग या स्पोर्ट्स संस्थान से जुड़े लीगल मामलों पर काम करते हैं. इस फील्ड में काम करने के लिये लॉ में बेचलर्स और मास्टर्स डिग्री की जा सकती है. लॉ करने के लिये 12वीं पास होना जरूरी है, उसके बाद CLAT जैसा एग्जाम क्वालिफाई कर NLU में एडमिशन ले सकते हैं. इसके अलावा प्राइवेट कॉलेज से लॉ करने का भी ऑप्शन मौजूद हैं.  

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