आयकर रिटर्न भरने का समय नजदीक आता जा रहा है. रिटर्न भरते समय कोई भी गलत जानकारी आपको मुसीबत में डाल सकती है. आयकर विभाग ऐसे फॉर्म को डिफेक्टिव मानकर रिजेक्ट कर देता है. आयकर कानून की धारा 139(9) के तहत आपको नोटिस भी मिल सकता है. हालांकि, नोटिस देखकर घबराने की जरूरत नहीं है. गलत ITR फॉर्म में सुधार करके आप दोबारा से ITR भर सकते हैं. आइए इसका तरीका जानते हैं.
ITR कब डिफेक्टिव माना जाता है, इसे ठीक कैसे करें, नहीं किया तो आयकर वाले क्या करेंगे?
इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म का आकलन असेसिंग ऑफिसर करता है. इस दौरान अगर उसे फॉर्म में कोई जानकारी अधूरी या गलत भरी हुई नजर आती है तो वह इन फॉर्म को डिफेक्टिव मानकर कैसिंल कर देता है.
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इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म का आकलन असेसिंग ऑफिसर करता है. इस दौरान अगर उसे फॉर्म में कोई जानकारी अधूरी या गलत भरी हुई नजर आती है तो वह इन फॉर्म को डिफेक्टिव मानकर कैसिंल कर देता है. इसके कई कारण हो सकते हैं. मिसाल के तौर पर- हो सकता है टैक्सपेयर ने गलत ITR फॉर्म में रिटर्न भरा हो या फिर टैक्सपेयर ने कमाई का गलत आकलन किया हो या फिर पैन और ITR फॉर्म में नाम की स्पेलिंग गलत चली गई हो, जैसी और भी गलतियां पाए जाने पर ITR रिजेक्ट हो जाता है.
कौन सी गलती होने की संभावना अधिक रहती है?
AIS में गलत जानकारी: हो सकता है कि आप ITR भरते समय गलत चालान नंबर भर दें या फिर एडवांस टैक्स गलत असेसमेंट ईयर में भर दें. हो सकता है कि आपकी कंपनी से ही TDS रिटर्न भरने में गलती हो जाए. ऐसे में आपका फॉर्म26AS, AIS, TIS जो भी फॉर्म आएगा उसमें सभी जानकारी गलत ही आएगी. इस तरह ITR का डिफेक्टिव होना तय है.
फॉर्म भरते समय कोई गलती ना हो ये सुनिश्चित करने का सबसे उचित तरीका है सतर्कता और सावधानी. फॉर्म भरते समय चालान नंबर सही से चेक कर लें. मालूम हो कि ऑनलाइन डायरेक्ट टैक्स भरने के लिए चालान जेनरेट करना पड़ता है. हर चालान का एक खास नंबर होता है जो चालान रेफरेंस नंबर कहलाता है. टैक्सपेयर्स को जितने भी चालान नंबर मिलें उन्हें अच्छे से चेक कर लें. एनुअल इनकम स्टेटमेंट और बैंक स्टेटमेंट दोनों का मिलान कर लें. अगर फॉर्म चेक करते हुए लगता है कि AIS में कुछ गलत जानकारी दे दी गई है तो सुधार के लिए टैक्स डिपार्टमेंट से संपर्क करें.
कई बार ऐसा होता है कि रिटर्न में TDS और इनकम की डिटेल फॉर्म26एस में दी गई जानकारी से मैच नहीं करती. सबसे ज्यादा ITR इसी वजह से रिजेक्ट होते हैं. इसके अलावा इन स्थितियों में भी टैक्स अधिकारी ITR को गलत करार देते हैंः
TDS के लिए क्रेडिट क्लेम कर लिया गया है, लेकिन उस अमाउंट को इनकम की तरह नहीं दिखाया गया है. ऐसी स्थिति को विभाग टैक्स चोरी की तरह देखता है. टोटल इनकम या कमाई के अन्य सभी कॉलम को टैक्सपेयर ने निल (NIL) रखा है, लेकिन टैक्स देनदारी कैलकुलेट कर उसका भुगतान कर दिया है. ITR और पैन कार्ड में टैक्सपेयर के नाम की स्पेलिंग अलग-अलग है.
इसे उदाहरण से समझते हैं. किसी फाइनैंशियल ईयर में डिविडेंड से 5,000 रुपये तक की कमाई टैक्स फ्री होती है. इससे ज्यादा की रकम पर कंपनियां TDS काटती हैं. डिविडेंड से मिली रकम पर शेयरहोल्डर के हाथ में टैक्स काटा जाता है. इसलिए डिविडेंट से कितनी भी रकम मिली हो उसे ITR में इनकम की तरह दिखाना जरूरी है.
ऑडिट की रिपोर्ट नहीं दी तो पेनल्टीः जिन लोगों की कमाई का जरिया बिजनेस है उन्हें 30 सितंबर तक ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी होगी. अगर ऐसे टैक्सपेयर्स ने क्वालिफाइड सीए से ऑडिट कराकर रिपोर्ट नहीं जमा की तो उसके फॉर्म को डिफेक्टिव माना जाएगा. अगर समय से पहले ऑडिट नहीं कराया या उसकी रिपोर्ट नहीं जमा की तो दोनों ही स्थितियों में पेनल्टी देनी पड़ेगी.
आंशिक टैक्स का भुगतानः अगर टैक्सपेयर ने कुल देनदारी के मुकाबले कम टैक्स का भुगतान किया है तो उसके ITR को डिफेक्टिव माना जाएगा. हालांकि, ऊपर बताई गई स्थितियों के अलावा भी ऐसे कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से आपका ITR डिफेक्टिव माना जा सकता है.
सुधार का तरीकाजिन टैक्सपेयर का ITR रिजेक्ट हो गया है उनके पास दो ऑप्शन हैं. पहला- संशोधित ITR भरने का. दूसरा- नया ITR भरने का. अब ये देखना होगा फॉर्म में किस तरह की गलती हुई है. अगर इनकम या डिडक्शन में कोई गलती नहीं है तो आयकर विभाग दोबारा से भरे हुए ITR फॉर्म को ही आपका ओरिजनल ITR समझेगा. पुराना वाला डिफेक्टिव ITR खारिज कर दिया जाएगा.
हालांकि, अगर टैक्सपेयर नए फॉर्म में इनकम या डिडक्शन में बदलाव करना चाहता है तो उसे संशोधित फॉर्म भरना होगा. इस स्थिति में आपको पहले वाले ITR का नंबर भी देना होगा. याद रहे कि असेसमेंट ईयर 2023-24 यानी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए संशोधित ITR भरने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर, 2023 है. अगर इस तारीख तक नया या संशोधित फॉर्म नहीं भर पाए हैं तो आपको अब नोटिस का जवाब देना पड़ेगा.
अमूमन नोटिस भेजने के बाद ITR में सुधार करने के लिए 15 दिनों का समय मिलता है. अगर टैक्सपेयर ने ज्यादा समय की मांग की है तो वह असेसिंग ऑफिसर के पास अपना आवेदन दे सकता है. असेसिंग ऑफिसर के पास ये शक्ति होती है कि वह नोटिस का जवाब देने के लिए अवधि को बढ़ा दे.
अगर टैक्सपेयर नोटिस का जवाब नहीं देता है तो उसके ITR को अवैध मान लिया जाएगा. यानी समझा जाएगा कि उस टैक्सपेयर ने ITR भरा ही नहीं है. इस स्थिति में आप पर पेनल्टी लगाई जा सकती है. अगर नए या संशोधित ITR में कोई अतिरिक्त टैक्स देनदारी बन रही है तो एक्स्ट्रा रकम पर मूल के साथ-साथ ब्याज भी देना पड़ सकता है.
मिसाल के तौर पर एक टैक्सपेयर के मुताबिक उसकी टैक्स देनदारी 1 लाख रुपये की बनी. लेकिन टैक्स डिपार्टमेंट के हिसाब किताब के मुताबिक उसकी टैक्स देनदारी 1.2 लाख की बन रही है. यानी 20,000 रुपये और. अगर टैक्सपेयर मान लेता है कि उससे ITR भरने में गलती हुई है और उसकी देनदारी एक लाख नहीं एक लाख 20 हजार है तो अब उसे संशोधित ITR भरना होगा. साथ ही इस बीस हजार पर रुपये पर लेट पेमेंट के हिसाब से अतिरिक्त ब्याज भी चुकाना होगा.