The Lallantop

सिर्फ 8 लोगों की इस दिल्ली वाली कंपनी के IPO ने सब्सक्राइबर्स के बीच धूम मचा दी है, लेकिन क्यों?

महज 8 कर्मचारियों वाली दिल्ली की एक ऑटोमोबाइल कंपनी चर्चा का विषय बनी हुई है. 12 करोड़ रुपये का IPO पेश करने वाली इस कंपनी ने मार्केट में धूम मचा दिया है.

Advertisement
post-main-image
शेयर मार्केट में रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के IPO की धूम. (फोटो: AI)

बाइक के महज दो शोरूम और कुल 8 कर्मचारी. माने छोटू-सी कंपनी. फिर भी पूरे बाजार में भरपूर चर्चा. क्यों? वजह है, इसका IPO. जो एक-दो नहीं, लगभग 400 गुना बार सब्सक्राइब हुआ है.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

इस कंपनी का नाम है, रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल (Resourceful Automobile). इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महज 12 करोड़ रुपये का IPO पेश करने वाली इस कंपनी का IPO 400 गुना बार सब्सक्राइब हुआ है. यानी 12 करोड़ वाली इस कंपनी को लेकर तकरीबन 4,800 करोड़ रुपये की बिड लगी है. 

कंपनी ने 117 रुपये प्रति शेयर की दर से 10 लाख 20 हजार शेयर्स की पेशकश की थी. 22 अगस्त को यह IPO खुला था और 26 अगस्त को बंद हो गया. कंपनी की तरफ से IPO अलॉटमेंट 27 अगस्त से शुरू होगा. जबकि शेयर्स की लिस्टिंग के लिए संभावित तारीख 29 अगस्त तय की गई है.

Advertisement
रिटेल इनवेस्टर्स ने जताया भरोसा!

रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल. साल 2018 में इसकी स्थापना की गई थी. कंपनी का एक शोरूम दिल्ली के द्वारका और दूसरा, पालम रोड पर है. इन शोरूम्स में कई नामी कंपनियों की बाइक्स, स्पोर्ट्स बाइक्स और स्कूटर बिकती है.

BSE के आंकड़े बताते हैं कि 26 अगस्त को मार्केट बंद होने तक कुल 40.8 करोड़ शेयरों के लिए बोलियां लगी. खुदरा निवेशकों ने इस IPO में जमकर पैसा लगाया है. उन्होंने लगभग 500 गुना सब्सक्राइब किया है. वहीं, हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (HNI) के लिए रिजर्व हिस्से को 150 गुना बोलियां मिलीं. रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल कंपनी का प्राइस बैंड 117 रुपये था. इश्यू का लॉट साइज 1200 शेयरों का तय किया गया था. यानी एक निवेशक को इस IPO में 1,40,000 रुपये का मिनिमम इन्वेस्टमेंट करना था.

ये भी पढ़ें - OYO वालों को क्या होयो? 100 करोड़ का मुनाफा, फिर भी 80% वैल्यूएशन गिरा दी

Advertisement

Resourceful Automobile IPO ग्रे-मार्केट में भी धूम मचा रहा है. अनलिस्टेड मार्केट में इसका ग्रे-मार्केट प्रीमियम (GMP) 105 रुपये है.

जिन लोगों को फाइनैंस और मार्केट की समझ है, वो तो सब खेला समझ रहे हैं. मगर मगर मगर… अगर आपको नहीं मालूम कि ये ग्रे मार्केट क्या है? और, ये IPO क्या बला है? तो आपने घबराना नहीं है.

IPO क्या होता है?

जैसे सब्जी मंडी होती है, उसी तरह शेयर्स की भी मंडी होती है: स्टॉक एक्सचेंज. भारत में दो बड़ी मंडियां हैं. माने दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज. नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE). कोई व्यक्ति दोनों जगह शेयर खरीद-बेच सकता है. BSE और NSE के अलावा कलकत्ता, अहमदाबाद, इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज, मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया जैसी अन्य मंडियां भी हैं.

अब फ़र्ज़ कीजिए कि एक कंपनी है, कुछ समय से चल रही है. उन्हें लगा कि अब लेवल-अप किया जाए. उसके लिए चहिए पइसा. तो पैसे जुटाने के लिए वो अपना कुछ शेयर बेचेंगे. माने स्वामित्व के छोटा-छोटा टुकड़ा. कंपनी का शेयर खरीदते ही आपकी कंपनी में हिस्सेदारी हो जाती है. कंपनी अच्छा करेगी, तो आपका मुनाफ़ा. इसका उल्टा भी होता है. 

तो इन्हीं मंडियों में कंपनियां अपने शेयर बेचती हैं, आप-हम खरीदते हैं. मगर आपको कैसे पता चलता है कि अमुक कंपनी को धंधे के लिए पैसा चाहिए? इसी प्रक्रिया को कहते हैं - IPO. इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग. जब कोई कंपनी पहली बार शेयरों के जरिए पैसे जुटाने के लिए प्रस्ताव लाती है, तो कहते हैं वो IPO लाई है. ऑफर सीधा - शेयर ले लो, पैसे दे दो.

ये भी पढ़ें - Sensex ने 80,000 के पार जाकर इतिहास बनाया, लेकिन इससे लोगों को क्या फायदा होगा?

अब लगे हाथ कुछ और टर्म्स का मतलब भी समझ लीजिए:

  • कंपनी IPO के एलान के साथ शेयर्स का शुरुआती दाम बताती है. इसे ‘इशू प्राइस’ कहते हैं. 
  • इसमें कम से कम कितने शेयरों को खरीदना जरूरी होगा, उसकी संख्या कहलाती है ‘लॉट’. 
  • शेयर जिस दाम पर एक्सचेंज पर रजिस्टर होते हैं, उसे लिस्टिंग प्राइस कहते हैं. 

अगर लिस्टिंग प्राइस इशू प्राइस से कम हो, तो निवेशकों को घाटा लगता है और अधिक हो तो फायदा.

IPO
रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के IPO की काफी चर्चा (फोटो: AI)
Grey Market क्या है?

ग्रे मार्केट और कुछ नहीं, IPO शेयर्स खरीदने का सेकंड हैंड बाजार है. इसका सिस्टम अनाधिकृत और अनियंत्रित होता है. यहां काम करने वाले ब्रोकर, ट्रेडर या सेलर कहीं रजिस्टर्ड नहीं होते. कोई नियम-कानून नहीं. केवल आपसी भरोसे के आधार पर काम होता है.

यहां होता क्या है? सीधे शेयर एक्सचेंज से खरीदने के बजाय अपने जैसे ही किसी निवेशक से IPO के शेयर खरीदना.

समझिए. जब भी कोई कंपनी पहली बार शेयर बाजार में रजिस्टर होती है, तो IPO लाती है. उसे खरीदने के लिए SEBI रजिस्टर्ड ब्रोकरेज फर्म्स के पास ऐप्लीकेशन जमा करनी होती है. मगर जैसे ही ये खबर फैलती है कि अमुक कंपनी IPO ला रही है, तो निवेशक हो जाते हैं उत्साहित. अनुमान लगाने लगते हैं कि इस कंपनी के शेयर्स की जबरदस्त डिमांड होगी, तो वो इन शेयर्स को ब्रोकरेज फर्म के अलावा किसी खरीदार से भी खरीद सकते हैं.

भले ही मार्केट ग्रे हो, लेकिन ये एक तरह का संकेत भी होता है. किसी के IPO शेयर को ग्रे मार्केट में कितना भाव मिल रहा है, कितने खरीदार दिख रहे हैं, उसी के आधार पर कंपनियां अंदाजा लगाती हैं कि IPO की लिस्टिंग कैसी होगी. स्टॉक मार्केट, कमोडिटी मार्केट जैसे फाइनेंशियल मार्केट की तरह ही ग्रे मार्केट में भी शेयरों के दाम डिमांड और सप्लाई के हिसाब से घटता-बढ़ता है. अगर खरीदार ज्यादा हैं, तो दाम बढ़ जाएंगे, और कम खरीदार हैं तो घट जाते हैं.

वीडियो: IPO बाजार से पैसे कमाने का शानदार मौका

Advertisement