रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लोगों को एक बड़ी राहत दी है. RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट घटाने का फैसला किया है. इसके बाद रेपो रेट 5.50% से घटकर 5.25% पर आ गया है. आम आदमी को इससे बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि अब उनकी EMI का इंट्रेस्ट रेट कम हो जाएगा, जिससे उन्हें लोन कम चुकाना होगा.
होम और कार लोन होंगे और सस्ते! RBI ने घटा दिया रेपो रेट
Repo Rate Cut: RBI की ओर से Repo Rate में फरवरी 2025 से अब तक कुल 125 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की जा चुकी है. हालांकि RBI ने अगस्त और अक्टूबर में रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया था. जानिए क्या है यह रेपो रेट और आपकी जेब पर इससे कैसे असर पड़ता है.


रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक छह सदस्यों वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने आम सहमति से रेपो रेट 5.25% तक कम करने के लिए वोट किया. फरवरी 2025 से अब तक कुल 125 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की जा चुकी है. इससे पहले RBI ने अगस्त और अक्टूबर में रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया था. MPC की बैठक के बाद RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा,
हम अब तक के साल को संतुष्टि के साथ देखते हैं. अर्थव्यवस्था में मज़बूत ग्रोथ और कम महंगाई देखी गई. अक्टूबर पॉलिसी के बाद से, भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज़ी से महंगाई कम हुई है. अक्टूबर 2025 में महंगाई सिर्फ़ 0.3% रह गई. दूसरी तिमाही में रियल GDP ग्रोथ 8.2% तक पहुंच गई, जिसमें त्योहारों पर ज़ोरदार खर्च और GST दरों को तर्कसंगत बनाने का भी योगदान रहा. साल के पहले छमाही में 2.2% की कम महंगाई और 8% की ग्रोथ एक दुर्लभ 'गोल्डीलॉक्स' दौर बताती है.
रेपो रेट का मतलब होता है वह इंटरेस्ट रेट, जिस पर RBI बैंकों को पैसे उधार देता है. आमतौर पर जब बैंकों के पास कैश की कमी होती है, तो वे सरकारी बॉन्ड गिरवी रखकर RBI से उधार लेते हैं. इस उधार पर RBI जो इंटरेस्ट चार्ज करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. अब सवाल यह है कि रेपो रेट घटने-बढ़ने से आपकी जेब पर असर कैसे पड़ता है. तो बता दें कि RBI ने 2019 में बैंकों को निर्देश दिया था कि होम लोन सहित अन्य कई लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करें. इस बेंचमार्क में सबसे आम रेपो रेट है.
ऐसे में अब जब RBI रेपो रेट बढ़ाता या घटाता है तो बैंकों को भी अपने इंट्रेस्ट रेट उसी हिसाब से बढ़ाने-घटाने होते हैं. अभी रेपो रेट घटा है, इसलिए आपकी EMI यानी लोन के किस्त का ब्याज भी कम हो जाएगा. इससे सीधे-सीधे आपके पैसे बचेंगे.
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आमतौर पर जब अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होती है और उसमें बूस्ट की जरूरत होती है, तो RBI रेपो रेट कम कर देता है. तब बैंक इसका फायदा कस्टमर्स को देते हैं. और उन पर बोझ घटने से मार्केट में पैसा अधिक आता है. वहीं अगर इकोनॉमी में बहुत ज़्यादा पैसा सर्कुलेट हो रहा है, तो डिमांड बढ़ जाती है और कीमतें ऊपर चली जाती हैं. ऐसे में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कई बार RBI रेपो रेट बढ़ा भी देता है. इससे बैंक महंगे लोन देते हैं, जिससे उधार लेना और खर्च करना कम हो जाता है. धीरे-धीरे इससे महंगाई भी कम होने लगती है.
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