रुपया सबसे नीचे, विदेशी निवेशक दिखा रहे ठेंगा, फिर भी शेयर बाजार सीना ताने कैसे खड़ा है?
डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के नीचे लुढ़क गया. लेकिन भारतीय शेयर बाजार अब भी ऑल टाइम हाई के करीब बना हुआ है. आखिर उसे खाद-पानी (निवेश) मिल कहां से रहा है?
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डॉलर के मुकाबले रुपया 90 से भी नीचे चला गया है. इसकी क्या वजह है? भारत के प्रमुख बैंकर और कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने इस पर बात की है. 3 दिसंबर को एक X पोस्ट में उदय कोटक ने लिखा कि इस गिरावट के पीछे कुछ तात्कालिक कारण ये हैं कि विदेशी निवेशक भारत के शेयर बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. उन्होंने लिखा कि इंस्टीट्यूशनल पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स हों या फिर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के तहत निवेश करने वाले प्राइवेट इक्विटी (PE) फंड्स, ये दोनों तरह के निवेशक भारत के शेयर बाजार से लगातार अपने शेयर बेच रहे हैं.
उदय कोटक ने लिखा, “भारतीय निवेशक अभी भी लगातार शेयर खरीद रहे हैं और शेयर मार्केट में उनका भरोसा बना हुआ है. हालांकि यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा कि कौन स्मार्ट इन्वेस्टर है. अभी के लिए तो विदेशी निवेशक समझदार नज़र आ रहे हैं. पिछले एक साल में निफ्टी का डॉलर रिटर्न शून्य है. इसको आसान शब्दों में कहें तो अगर किसी विदेशी निवेशक ने डॉलर में निवेश किया होता, तो उसे 1 साल में कोई खास कमाई नहीं होती. लेकिन यह तो लंबा चलने वाला खेल है. अब समय है कि भारत के बिजनेसमैन अपने कंफर्ट जोन से निकलें और मेहनत करें.”
उदय कोटक के इन बयानों की पड़ताल करते हुए ये समझते हैं कि इन सब बातों के बावजूद भारत के शेयर बाजार में ऐसा क्या चल रहा है जिससे वो अब भी ‘सीना ताने खड़ा’ सा दिख रहा है.
उदय कोटक का कहना है कि पिछले एक साल में विदेशी निवेशकों को भारत का प्रमुख निफ्टी इंडेक्स रिटर्न भी हासिल नहीं हुआ है. सितंबर 2024 में बाजार लगभग इसी स्तर पर था जितना फिलहाल है. लिहाजा विदेशी निवेशक भारत के शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं.
लेकिन बाजार अब भी उतनी गिरावट नहीं दिखा रहा और ऑल टाइम हाई के करीब बना हुआ है. 1 दिसंबर को सेंसेक्स ने 86,159 अंक का रिकॉर्ड स्तर छुआ था. निफ्टी भी 26,326 के आसपास पहुंच गया था. पिछले साल सितंबर के महीने में सेंसेक्स 85,978 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था.
तो शेयर बाजार को खाद-पानी (सपोर्ट) कहां से मिल रहा है? इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार हितेश व्यास की एक खबर बताती है कि इस साल की शुरुआत से अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कुल 1.48 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं. वहीं, बिजनेस स्टैंडर्ड के पत्रकार दीपक कोरगांवकर और पुनीत वाधवा की 15 अक्टूबर को छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस साल की शुरुआत से लेकर 15 अक्टूबर के आसपास तक 6 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर दिया था. बंबई शेयर बाजार (बीएसई) ने साल 2007 से डेटा रखना शुरू किया था. तब से आज तक एक कैलेंडर ईयर में इतना निवेश नहीं आया है. इस तरह से देखें तो बाजार को सपोर्ट देने के पीछे सबसे बड़ा कारण भारतीय निवेशकों का अभी भी शेयर बाजार में भरोसा जताना है.
इसकी कई वजहें हैं. सबसे बड़ा और पहला कारण है देश की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बढ़िया प्रदर्शन कर रही है. शेयर बाजार के विश्लेषक मेहता इक्विटीज लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट (रिसर्च) प्रशांत तापसे का कहना है कि GDP ग्रोथ और सभी सेक्टरों का शानदार प्रदर्शन बाजार को लगातार सपोर्ट दे रहा है.
हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (1 जुलाई 2025 से 30 सितंबर 2025 ) के दौरान देश की अर्थव्यवस्था 8.2% की रफ्तार से बढ़ी है. यह उम्मीद से बेहतर है क्योंकि ये पिछले छह तिमाहियों में सबसे तेज उछाल है.
सरकार ने 22 सितंबर से जीएसटी के स्लैब्स में कटौती की थी. इसका फायदा ये हुआ है कि पहले के मुकाबले कंपनियों ने बड़ी मात्रा में उत्पादन बढ़ाया क्योंकि उनकी चीजों की खपत बढ़ी है. सरकार ने खाने-पीने की कई चीजों को कम जीएसटी दायरे में रखा है. इसका फायदा भी रोजमर्रा की जरूरत का सामान बनाने वाली कंपनियों को मिला है.
घरेलू शेयर बाजार को एक और कारण सपोर्ट कर रहा है. वह है कच्चे तेल का भाव. इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई हैं. तेल सस्ता होने से पेट्रोल-डीज़ल, ट्रांसपोर्ट, ट्रांसपोर्ट कॉस्ट कम रहती है. इससे लोगों की जरूरत की चीजों के दाम कम बने रहते हैं. यानी महंगाई काबू में रहती है. महंगाई कम रहती है तो कंपनियों को फायदा ये होता है कि उपभोक्ता खर्च बढ़ता है. इससे उनकी सेल्स बढ़ती है.
कंपनियों की कमाई बढ़ती है तो इससे शेयर बाज़ार का माहौल भी बेहतर होता है. अभी यही हो रहा है. दूसरी तिमाही में कुछ कंपनियों ने बढ़िया वित्तीय नतीजे दिखाए हैं. जैसे कि एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज वगैरा. इन दिग्गज कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है.
इन कारणों के अलावा अमेरिका में और भारत में भी ब्याज दरें आगे भी घटने की उम्मीद है. ये सब कारण घरेलू शेयर बाजार को सपोर्ट कर रहे हैं. लेकिन जानकारों का ये भी कहना है कि अगर विदेशी निवेशकों ने शेयर बेचना चालू रखा. साथ ही रुपया और कमजोर हुआ, तो भारत के शेयर बाजार पर दबाव आ सकता है.
बता दें कि 3 दिसंबर को रुपये में ऐतिहासिक गिरावट के चलते शेयर बाजार लाल निशान पर बंद हुआ. बुधवार को सेंसेक्स करीब 31 अंक गिरकर 85107 अंक पर क्लोज हुआ. निफ्टी 46 अंकों की गिरावट के साथ 25,986 अंक पर बंद हुआ.
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