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Lenskart IPO पर पीयूष का बयान वायरल - “जस्टीफाई करना ही नहीं होता”… इंटरनेट बोला - “भाई, अब करना तो पड़ेगो!”

Lenskart का IPO आने वाला है. कंपनी 70000 करोड़ की वैल्यूएशन पर 31 अक्टूबर को बाजार में आने वाली है लेकिन सीईओ पीयूष बंसल (Peyush Bansal) कहते हैं. मेरे को तो जस्टीफाई करना ही नहीं होता है. ये जो वैल्यूएशन है, वो मुझे कम समझ में आता है.

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Lenskart अपने मुनाफे पर 230 गुना वैल्यूएशन मांग रही है

Lenskart का IPO आने वाला है. चश्मा बनाने वाली देसी कंपनी 70000 करोड़ की वैल्यूएशन पर 31 अक्टूबर को बाजार में आने वाली है. कंपनी ने शेयर की कीमत 382-402 रुपये फिक्स की है. इतना पढ़कर आप कहोगे भईया ये सब हमें पतो है. एकदम सही बात. आपको भी पता है और हमें भी पता है मगर कंपनी के मुखिया और फाउंडर पीयूष बंसल (Peyush Bansal) को नहीं पता. इतना पढ़कर आप फिर कहोगे, क्या बात कर रहो भाई. चलो कोई बात नहीं. आप ये पढ़ो.

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मेरे को तो जस्टीफाई करना ही नहीं होता है ("Mereko toh justify karna hi nahi hota hai..."). पिछले 15 साल से मैं सिर्फ अपने ग्राहकों को वैल्यू जस्टीफाई कर रहा हूं. मेरा काम रोज कम कीमत पर सबसे बढ़िया क्वालिटी वाले चश्मे के फ्रेम बनाना है. अगले 20-30 साल भी यही जारी रहेगा. ये जो वैल्यूएशन है, वो मुझे कम समझ में आता है. ये सब हमारे मजबूत सलाहकारों ने किया है.

ये बात पीयूष ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कही जहां उनसे कंपनी की हाई वैल्यूएशन को लेकर सवाल किया गया था. वैसे ये कोई पहला बयान नहीं है उनका. एक और चैनल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा काम तो ग्राहकों के लिए वैल्यू बनाना है. एक अंग्रेजी अखबार से उन्होंने कहा कि कंपनी की वैल्यू ये तय नहीं करती कि आईपीओ अच्छा होगा या बुरा.

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इतना सब पढ़कर आपके मन में भी वही सवाल आया ना, जो हमारे मन में आया. शार्क टैंक में कोई दूसरे पीयूष बंसल होंगे क्योंकि वो तो हमेशा कंपनी की वैल्यूएशन की बात करते हैं. किसी भी पिचर के नंबर्स में जरा सा भी झोल लगता है तो टोकने से नहीं चूकते. लेकिन जब अपनी कंपनी की बात है तो पल्ला झाड़ रहे.

यही हमारी स्टोरी का मीटर है. मतलब कंपनियों का आईपीओ आना एक नेचुरल प्रोसेस है. माने जो कंपनी उस लायक हो गई तो वो मार्केट में आएगी. लेकिन जब से लेंसकार्ट के आईपीओ की आंख खुली है, तभी से सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा बंद नहीं हुई है. हमें लगा थोड़ा हम ये वाला चश्मा पहन लेते हैं. सबसे पहले बात कंपनी की वैल्यूएशन की.

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70 हजार करोड़

कंपनी की वैल्यूएशन को अगर आसान भाषा में समझना हो तो उसकी औकात कह सकते हैं. कंपनी इतने पैसे का कारोबार नहीं करती मगर उसकी कुल ताकत इतने पैसे की है. पैसा या पूंजी जो उसके पास कई तरीके से हो सकती है. जैसे एक किसान है जो खेत में हल चला रहा है मगर उसके पास हजारों एकड़ जमीन है. करोड़ों रुपये अकाउंट में पड़े हैं. सोना-चांदी भी खूब है और देनदारी नहीं है तो भले किसान देखने में नॉर्मल लगे मगर उसकी असल वैल्यूएशन करोड़ों की हुई. इसे बाजार की भाषा में Net Asset Value (NAV) कहा जाता है. कंपनी के केस में उसके ऑफिस, बिल्डिंग, जमीन, नगद को गिना जाएगा और इसके जोड़ को देनदारी यानी बाजार की उधारी से घटाकर (NAV) निकाला जाता है.

लेंसकार्ट बाजार में अपनी वैल्यू 70 हजार करोड़ रुपये बता रहा है. डॉलर में कहें तो 7.7 बिलियन डॉलर जबकि कुल इंडियन आईवियर का मार्केट का साइज ही 6 बिलियन यानी मोटा-माटी 50 हजार करोड़ का है. इसमें भी ऑर्गेनाइज सेक्टर 18-20 हजार करोड़ का ही है. ऐसे में हर कोई सवाल पूछ रहा है. 

जैसे एक एक्सपर्ट ने पीयूष से पूछा, आप Price-to-Earnings का 230 गुना और सेल्स का 10 गुना मांग रहे हैं. अगले कुछ सालों में अगर आप अपने मुनाफे को तीन गुना भी कर लें तो आज की तारीख में PE के 70 गुने पर ही पहुंच पाएंगे. कैसे जस्टीफाई करेंगे इसको.

जवाब क्या दिया होगा, वो हमने आपको बता दिया. Price-to-Earnings से मतलब कंपनी की हर शेयर से होने वाली कमाई से होता है. अब बात कमाई और बिक्री की है तो कंपनी ने साल 24-25 में 6,652 करोड़ की बिक्री की और पहली बार प्रॉफ़िट में भी आई. कंपनी ने 297 करोड़ का मुनाफा कमाया. कंपनी 6,652 करोड़ की बिक्री पर लगभग 10 गुना वैल्यू मांग रही है. मुनाफे पर तो 230 गुना जैसा हमने पहले बताया. पब्लिक को ये बात हजम नहीं हो रही है.

हालांकि ऐसा नहीं है कि कंपनी अपनी वैल्यूएशन को बढ़ाकर नहीं बता सकती लेकिन उसके लिए कुछ होना भी तो चाहिए. मतलब संपति या नगद जैसा कुछ. बिजनेस की भाषा में इसे एसेट्स कहते हैं. वैसे इस तगड़ी वैल्यूएशन के पीछे कंपनी के बड़े नेटवर्क का तर्क भी दिया जा सकता है. आज की तारीख में लेंसकार्ट के 2700 से ज्यादा स्टोर हैं.  

कंपनी ऑर्गेनाइज सेक्टर में तकरीबन 40 फीसदी की भागीदारी रखती है. हर साल 20-25 फीसदी से बढ़ रही है और सबसे बड़ी बात, कंपनी प्रॉफ़िट में है. स्टार्टअप इको सिस्टम में कंपनी का प्रॉफ़िट में होना ही बड़ी बात है क्योंकि ज्यादातर कंपनियां अभी घाटे में ही हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कुछ भी बोल दो. सोशल मीडिया पर लेंसकार्ट आईपीओ को लेकर ज्यादातर बातें निगेटिव ही हैं. लेकिन हमें उनको जस्टीफाई नहीं करना क्योंकि हमें तो आपको जस्टीफाई करना है. इसलिए हमने रुख किया एक्सपर्ट का. हमने बात की Piyush Maheshwari से जो पेशे से Chartered Accountant हैं और IBBI Registered Valuer भी हैं. पीयूष ने बताया,

मार्केट में कंपनी की वैल्यूएशन निकालने के तीन तरीके हैं. पहला (NAV), दूसरा मार्केट अप्रोच और तीसरा इनकम अप्रोच जिसे Discounted Cash Flow कहा जाता है. (NAV) आजकल चलन में नहीं. जो थोड़ा बहुत इस्तेमाल होता है तो रियल इस्टेट कंपनियों में. बात करें मार्केट अप्रोच की तो इसका मतलब है अपने बराबर की कंपनी के हिसाब से वैल्यूएशन बताना. माने कोई कंपनी जो पहले से मार्केट में लिस्ट है, उसकी वैल्यू के हिसाब से अपनी वैल्यू कम, ज्यादा या बरोबर बताना. लेंसकार्ट ने इस रास्ते को भी नहीं देखा है.

DCF का कमाल है: लेंसकार्ट ने मार्केट वैल्यूएशन के लिए DCF का रास्ता चुना है. इस रास्ते का खेल पूरी तरह से भविष्यवाणी के लेंस से जाता है. इसमे वर्तमान की कोई बात नहीं होती. सब कुछ आने वाले भविष्य के हिसाब से देखा जाता है. आसान भाषा में कहें तो आज इंडिया में दस करोड़ लोग चश्मा पहनते हैं मगर अगले पांच साल में 50 करोड़ ऐसा करेंगे. इन सारे लोगों को चश्मा मैं ही पहनाने वाला हूं तो भले आज मेरी वैल्यू 100 रुपये है मगर पांच साल के हिसाब से तो 500 हो गई. भविष्य की वैल्यू को दस- बीस गुना क्या, 100 गुना बताना भी संभव है. बस आंकड़ों की बाजीगरी का सबूत पेपर पर मिलना चाहिए. ये सब काम कंपनी के अपने एक्सपर्ट करते हैं. जिसे पीयूष भईया फंड एक्सपर्ट और बाजार वैल्यूअर कहता है. वैल्यूअर, भविष्य के आंकड़ों के हिसाब से वैल्यूएशन निकालते हैं.

हमने पीयूष से पूछा कि ऐसे में सरकारी एजेंसी कोई सवाल नहीं करती. बिल्कुल करती है अगर उसे कोई संदेह हो तो. लेकिन इसमें समझने जैसा कुछ नहीं कि इतने बड़े काम के लिए जो पेपर वर्क होता है, वो कितना फुल प्रूफ होगा. फिर भी अगर एजेंसी को लगता है तो वो कंपनी और वैल्यूअर से सवाल पूछ सकती है. अगर जवाब से संतुष्ट नहीं तो फिर अलग बात. 

लेंसकार्ट इसी DCF के दम पर 70 हजार करोड़ का वैल्यूएशन बता रही है. वैसे उनकी बात में कुछ तो दम होगा तभी तो SBI Mutual Fund ने 100 करोड़ और Dmart वाले RK Damani ने 90 करोड़ का इनवेस्टमेंट किया है. पीयूष कह चुके हैं कि कंपनी पूरी दुनिया में विस्तार करने वाली है. माने भविष्य के आंकड़े जबरदस्त हैं. अब बाजार में क्या होगा, वो 31 अक्टूबर और उसके बाद पता चल ही जाएगा. लेंसकार्ट के लोगो जैसे दो जीरो वाला मामला होगा या पावर वाले ग्लास वाला.

वैसे आपके मन में सवाल होगा कि ये सब बातें पीयूष क्यों नहीं बताते. बताया ना,  "Mereko toh justify karna hi nahi hota hai...". एकदम वैसे ही जैसे एक के साथ एक और फ्रेम देने वाले डार्क पैटर्न को भी जस्टीफाई नहीं करना है. माने 6 हजार में दो फ्रेम लो.  3 हजार में एक नहीं मिलेगा. अब इतना बता दिया तो ये भी जान लीजिए कि आईपीओ से पीयूष 850 करोड़ घर लेकर जाने वाले हैं. लेंस लगाकर पढ़ लीजिए. 85 नहीं 850 करोड़. 

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