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सैनिटाइजर जिससे बनता है, उस Ethanol पर बैन क्यों लगाना चाहता है यूरोप?

Ethanol Importance and its Dangers: Ethanol का इस्तेमाल कई प्रोडक्ट्स को बनाने में किया जाता है. खासकर कि सैनिटाइजर बनाने में इसका प्रमुख उपयोग होता है. लेकिन इसी इथेनॉल को अब यूरोप में खतरनाक माना जा रहा है. जानिए ऐसा क्यों है और अगर Ethanol पर बैन लगता है तो इससे दुनिया को क्या नुकसान होगा.

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इथेनॉल का सैनिटाइजर बनाने में प्रमुख रूप से इस्तेमाल होता है. (Photo: File/ITG)

यूरोपियन यूनियन इथेनॉल के इस्तेमाल पर बैन लगाने का विचार कर रहा है. अगर ऐसा होता है तो हेल्थकेयर समेत दुनिया भर के कई सेक्टर इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूरोपियन केमिकल एजेंसी (ECHA) की इंटर्नल रिपोर्ट में इथेनॉल में जहरीले और खतरनाक पदार्थ पाए गए थे. ECHA का मानना है कि इससे कैंसर और प्रेग्नेंसी से जुड़ा खतरा पैदा हो सकता है. इसी को देखते हुए यूरोप की रिस्क एसेसमेंट कमेटी इथेनॉल को बैन करने पर विचार कर रही है.

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मालूम हो कि इथेनॉल का प्रमुख रूप से उपयोग सैनेटाइजर बनाने में होता है. अस्पतालों में सैनिटाइजर का इस्तेमाल बेहद जरूरी है. अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर ने द हिंदू के लिए लिखे आर्टिकल में बताया कि इथेनॉल बैक्टरिया, फंगस और वायरस को तेजी से मारता है. इसके उपयोग से हॉस्पिटल में होने वाले इन्फेक्शन के मामलों में 50% तक कमी आती है.

बढ़ जाएगा अस्पतालों में इन्फेक्शन का खतरा

आर्टिकल में विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से बताया गया है कि अस्पताल में इलाज के दौरान हर 10 में से 1 मरीज इन्फेक्शन का शिकार हो जाता है. इससे हर साल लगभग 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है. रिपोर्ट के मुताबिक इथेनॉल से बनने वाला ऐल्कोहॉल आधारित सैनिटाइजर इन्फेक्शन से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है. अगर इथेनॉल पर बैन लगता है तो डॉक्टरों को इन्फेक्शन से बचने के लिए अन्य केमिकल्स का इस्तेमाल करना होगा, लेकिन यह उतने कारगर नहीं होते. साथ ही इन केमिकल्स से स्किन में जलन भी होती है, जिससे डॉक्टर इनका उपयोग करने से बचेंगे. ऐसे में मरीज पर इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाएगा.

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कई अन्य इंडस्ट्रीज भी प्रभावित होंगी

रिपोर्ट में बताया गया है कि इथेनॉल का दवाइयां, वैक्सीन और एंटीसेप्टिक बनाने के साथ-साथ लेबोरैटरी डायग्नोसिस और सफाई से जुड़े प्रोडक्ट में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा परफ्यूम बनाने में भी इथेनॉल का उपयोग होता है. ऐसे में इसका बैन कई अन्य इंडस्ट्रीज को भी प्रभावित करेगा.

दुनिया क्या मानती है?

रिपोर्ट की मानें तो इथेनॉल के इस्तेमाल और उसके खतरे को लेकर दुनिया में राय बंटी हुई है. जहां WHO, अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देश इसे सामान्य उपयोग के लिए सुरक्षित मानते हैं. तो वहीं यूरोप इसके खतरे को लेकर ज्यादा चिंतित नजर आ रहा है. अगर यूरोपियन यूनियन इस पर बैन लगाता है तो उसके सभी सदस्य देशों में इसका उपयोग बंद हो जाएगा. इससे अन्य देश भी फिर इथेनॉल के उपयोग को लेकर आशंकित हो जाएंगे. दुनियाभर के एक्स्पोर्ट मार्केट और इंडस्ट्री पर इसका असर होगा. रिपोर्ट के मुताबिक एक्स्पर्टेस का मानना है कि इथेनॉल के मेडिकल उपयोग को जारी रखने देना चाहिए, नहीं तो इसके कई गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

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क्या होता है Ethanol?

बता दें कि इथेनॉल (Ethanol) एक प्रकार का शुद्ध यानी प्योर एल्कोहल (Alcohol) होता है, जो पारदर्शी (Transparent) और ज्वलनशील यानी जलने वाला लिक्विड होता है. इसे गन्ना, मक्का, आलू, गेहूं जैसे स्टार्च वाली चीजों से बनाया जा सकता है. या फिर पेट्रोलियम से मिलने वाली एथीन से भी इसे केमिकली तैयार किया जा सकता है. इथेनॉल का इस्तेमाल आमतौर पर हैंड सैनिटाइज़र, दवाइयां, परफ्यूम, साफ-सफाई के प्रोडक्ट और बायोएथेनॉल जैसे ईंधन बनाने के लिए किया जाता है.

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