The Lallantop

आखिरकार डॉलर के मुकाबले चढ़ा रुपया, दो महीने बाद कैसे आया ये उछाल?

न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक खबर बताती है कि RBI ने 16 दिसंबर को पहले 5 अरब डॉलर (करीब 45 हजार करोड़ रुपये खर्च करके) खरीदे थे, वह भी सीधे बाजार से नहीं बल्कि फॉरेन-एक्सचेंज स्वैप के जरिए.

Advertisement
post-main-image
17 दिसंबर को रुपया मजबूत हुआ है (फोटो क्रेडिट: Business Today)

बुधवार 17 दिसंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में शानदार रिकवरी देखने को मिली. 17 दिसंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 0.7% की बढ़त के साथ 90.38 पर बंद हुआ. पिछले दो महीनों में रुपये में ये एक दिन में आई सबसे बड़ी बढ़त है. इसके पहले डॉलर के मुकाबले पिछले 5 कारोबारी सत्रों से रुपया लगातार लुढ़क रहा था. 16 दिसंबर को रुपया पहली बार अपने ऑल टाइम लो 91 के स्तर के नीचे चला गया था. 16 दिसंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 91.02 पर बंद हुआ था.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये को सहारा देने के लिए हस्तक्षेप किया है. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक खबर बताती है कि RBI ने 16 दिसंबर को पहले 5 अरब डॉलर (करीब 45 हजार करोड़ रुपये खर्च करके) खरीदे थे, वह भी सीधे बाजार से नहीं बल्कि फॉरेन-एक्सचेंज स्वैप के जरिए. इसके बाद  17 दिसंबर को जब रुपये में ज्यादा उतार-चढ़ाव हुआ, तो RBI ने बाजार में दखल दिया और डॉलर बेचकर रुपये को संभाला.

इसे भी पढ़ें: और कितना गिरोगे 'रुपये'? 91 से भी नीचे चले गए, ऐसा तो इतिहास में कभी नहीं हुआ था

Advertisement

हालांकि करेंसी डीलरों का कहना है कि RBI ने इस कदम से रुपये को नहीं संभाला, बल्कि ट्रेडर्स ने भी अपनी लॉन्ग डॉलर पोजिशन काटनी शुरू कर दी हैं. लॉन्ग डॉलर पोजिशन का मतलब ये हुआ कि जब कोई कारोबारी या निवेशक यह मानकर चलता है कि आगे डॉलर मजबूत होगा और  रुपया कमजोर तो वह डॉलर खरीदता है . इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से भी रुपये को सपोर्ट मिला. क्योंकि भारत कच्चा तेल खरीदता है तो इसका पेमेंट डॉलर में करना होता है. 

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, RBI का ताजा कदम वैसा ही है जैसा उसने अक्टूबर और नवंबर में किया था. उस समय भी रुपये में तेज और अचानक गिरावट हो रही थी.

बिजनेस टुडे की एक खबर में ब्रोकरेज फर्म एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसीडेंट (कमोडिटी और करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा, “हाल फिलहाल रुपये के 90.50 से 91.25 के दायरे में कारोबार करने की संभावना है. भारत-अमेरिका ट्रेड डील में देरी और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली ने रुपये पर दबाव बनाया है. सोने और चांदी की ऊंची कीमतों ने भी आयात बिल पर अतिरिक्त बोझ डाला है.” 

Advertisement

बता दें कि पिछले कई दिनों से रुपया गिर रहा था. रुपये में गिरावट की जो मुख्य वजहें बताई गई हैं उनमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की लगातार निकासी और भारत–अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर अब तक सहमति न बन पाना शामिल है.

वीडियो: जेम्स कैमरन की 'अवतार 3' से होगा रणवीर की 'धुरंधर' का क्लैश

Advertisement