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धड़ाम हुई GDP, 15 महीनों में सबसे ज्यादा, सरकार को 'पहले से उम्मीद' थी क्योंकि...

अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी 6.7 फीसदी की दर से बढ़ी है. आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि पिछली दो तिमाहियों से अर्थव्यवस्था की रफ्तार कम हुई है.

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पिछले साल इसी अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था 8.2 फीसदी से बढ़ी थी. (सांकेतिक फोटो- इंडिया टुडे)

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था (GDP Data) की रफ्तार धीमी हुई है. अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी 6.7 फीसदी की दर से बढ़ी है. ये पिछले 15 महीनों में सबसे कम विकास दर है. पिछली पांच तिमाहियों में ये पहली बार है कि विकास दर 7 फीसदी से नीचे गई है. पिछले साल इसी अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था 8.2 फीसदी से बढ़ी थी.

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30 अगस्त को नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) ने पहली तिमाही का आंकड़ा जारी किया है. इन आंकड़ों के मुताबिक, पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र में 2 फीसदी की विकास दर रही. जो 2023-24 की पहली तिमाही में 3.7 फीसदी थी. लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 7 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है. जो कि पिछले साल पहली तिमाही में 5 फीसदी थी.

आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि पिछली दो तिमाहियों से अर्थव्यवस्था की रफ्तार कम हुई है. इससे पहले की तिमाही यानी जनवरी-मार्च (वित्त वर्ष 2023-24) में भी जीडीपी 7.8 फीसदी की दर से बढ़ी थी.

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पिछली पांच तिमाहियों के GDP आंकड़े:

तिमाहीविकास दर
अप्रैल-जून (2023-24)8.2%
जुलाई-सितंबर (2023-24)8.1%
अक्टूबर-दिसंबर (2023-24)8.6%
जनवरी-मार्च (2023-24)7.8%
अप्रैल-जून (2024-25)6.7%

 

GDP को हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है. आसान भाषा में कहें तो देश में हो रहे हर तरह के उत्पादन का कुल मूल्य. उत्पादन कहां होता है? कारखानों में, खेतों में. कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया. यानी एक तय समयसीमा में उत्पादन और सेवा क्षेत्र के कुल मूल्य को कहते हैं GDP. इसका मूल्यांकन हर तिमाही में किया जाता है.

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देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने विकास दर में गिरावट के लिए लोकसभा चुनाव और पूंजीगत व्यय में कमी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि इन्हीं वजहों से ऐसे आंकड़ों की उम्मीद पहले से थी.

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नागेश्वरन ने बताया कि आर्थिक सर्वे में अनुमान के मुताबिक भारत मौजूदा वित्त वर्ष में 6.5 से 7 फीसदी विकास दर आसानी से हासिल कर लेगा. उन्होंने दावा किया है जून की तिमाही में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे आगे रहा है. CEA के मुताबिक, 

"7 फीसदी से अधिक विकास दर (इस वित्त वर्ष) भी हो सकती है क्योंकि बजट में रोजगार सृजन की घोषणाएं की गई हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था का मोमेंटम बना हुआ है. अच्छी बारिश के कारण कृषि क्षेत्र में अच्छा रिजल्ट देख सकते हैं."

पिछले वित्त वर्ष यानी साल 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी देखने को मिली थी. जीडीपी की रफ्तार 8.2 फीसदी थी. जबकि इसके पहले के वित्त वर्ष यानी 2022-23 में जीडीपी में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.

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