क्या अडानी समूह यूपी में एक कमर्शियल न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी में हैं? दावा किया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के लिए ‘अडानी समूह की उत्तर प्रदेश सरकार के साथ बातचीत’ चल रही है. सूत्रों ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर ब्लूमबर्ग को ये जानकारी दी है. हालांकि सरकार और अडानी समूह ने इसकी पुष्टि नहीं की है.
अडानी समूह यूपी में न्यूक्लियर प्लांट लगाएगा? रिपोर्ट में बड़ा दावा
ये रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब केंद्र सरकार बिजली पैदा करने के लिए लिए जीवाश्म ईंधन (कोयला वगैरा से बिजली बनाना) पर निर्भरता कम करने पर जोर दे रही है. इसी मकसद से बीती 17 दिसंबर को लोकसभा में ‘शांति बिल 2025’ पास हो चुका है. इसके जरिये प्राइवेट सेक्टर को भी न्यूक्लियर सेक्टर के लिए खोल दिया गया है.
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कमर्शियल न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट में परमाणु रिएक्टर के जरिए बड़े पैमाने पर बिजली पैदा की जाती है. इस बिजली को व्यावसायिक रूप से ग्रिड को बेचकर बाद में आम लोगों और उद्योगों को बेचा जाता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह कथित तौर पर 200-200 मेगावाट क्षमता वाले आठ स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) लगाना चाहता है. हालांकि यूपी सरकार को ऐसी कोई जमीन नहीं मिल पाई है जो किसी नदी के किनारे या उसके आसपास हो. बता दें कि परमाणु संयंत्र के संचालन के लिए लगातार पानी की सप्लाई जरूरी होती है.
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रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह इस कथित न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट को लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के साथ जिस योजना पर चर्चा कर रहा है, वह पब्लिक–प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित है. इसके तहत सरकारी कंपनी न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) अडानी समूह की ओर से प्रस्तावित प्लांट का संचालन कर सकती है.
ब्लूमबर्ग ने बताया कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) उन 200 मेगावाट SMR के डिजाइन और डेवलपमेंट पर काम कर रहा है, जिन्हें अडानी समूह यूपी में स्थापित करने की योजना बना रहा है. सरकारी मंजूरी मिलने के बाद पूरे प्रोजेक्ट को पूरा होने में 5-6 साल लग सकते हैं. ज्यादा समय लगने की पीछे एक बड़ी वजह ये है कि अडानी समूह इस सेक्टर में नया है.
ब्लूमबर्ग का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार, अडानी समूह और परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रतिनिधियों ने इस मामले पर उसकी तरफ से भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं दिया है. परमाणु ऊर्जा विभाग न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की निगरानी करता है.
SHANTI बिल पासये रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब केंद्र सरकार बिजली पैदा करने के लिए लिए जीवाश्म ईंधन (कोयला वगैरा से बिजली बनाना) पर निर्भरता कम करने पर जोर दे रही है. इसी मकसद से बीती 17 दिसंबर को लोकसभा में ‘शांति बिल 2025’ पास हो चुका है. इसके जरिये प्राइवेट सेक्टर को भी न्यूक्लियर सेक्टर के लिए खोल दिया गया है.
SHANTI Bill 2025 का पूरा नाम Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India Bill 2025 है. सरकार ने साल 2047 तक 100 गीगावॉट (GW) परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है. अभी देश की क्षमता करीब 8 गीगावॉट है. ऐसे में सरकार निजी कंपनियों को भी न्यूक्लियर बिजली पैदा करने की अनुमति देना चाहती है.
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सरकार के इस फैसले से न्यूक्लियर पावर सेक्टर में 214 अरब डॉलर (करीब 19 लाख करोड़ रुपये) का निवेश मिलने की उम्मीद है. अभी तक प्राइवेट सेक्टर को न्यूक्लियर सेक्टर में अनुमति नहीं थी. इस वजह से इस सेक्टर में काफी कम निवेश हुआ है. इसी साल फरवरी में पेश किए गए आम बजट भाषण में सरकार ने न्यूक्लियर एनर्जी मिशन के तहत छोटे माड्यूलर रिएक्टर्स (SMR) के रिसर्च और डेवलपमेंट पर 200 अरब रुपये खर्च करने की घोषणा की है.
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