अक्सर कार खरीदते समय लोगों के पास सवालों की लिस्ट तैयार रहती है. जैसे कि ये गाड़ी माइलेज क्या देगी. इसमें फीचर्स क्या-क्या हैं. सेफ्टी कितनी मिलेगी आदि. इन सबसे अलग लोग ग्राउंड क्लीयरेंस के बारे में भी पूछ लेते हैं. माने कि गाड़ी के निचले हिस्से और सड़क के बीच कितना गैप होगा. आसान शब्दों में कहें तो ब्रेकर या उबड़-खाबड़ वाली जगह पर गाड़ी के निचले हिस्से को ज्यादा चोट तो नहीं आएगी ना. अब कोई सेडान ले रहा है, तो बात अलग है क्योंकि ये कारें होती ही धरती से लगती हुई हैं. लेकिन SUV या कॉम्पैक्ट SUV में ये राहत होती है. क्योंकि इनमें ग्राउंड क्लीयरेंस काफी अच्छा मिलता है. किसी-किसी में तो 200 mm से भी ऊपर. लेकिन क्या सड़क के इतनी ऊंचाई पर होना गाड़ी की पकड़ और स्टेबिलिटी को बेहतर बनाता है?
ज्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस मतलब सड़क पर अच्छी पकड़! सच में ऐसा है क्या?
Ground Clearance of Car: गाड़ी खरीदते समय अक्सर ग्राउंड क्लीयरेंस पर भी बात हो जाती है. माने कि गाड़ी के निचले हिस्से और सड़क के बीच की दूरी. कई लोग ज्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस वाली गाड़ी प्रेफर करते हैं. क्योंकि इससे अंडरबॉडी को नुकसान होने का खतरा बहुत कम होता है.
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लोगों को अक्सर लगता है कि ग्राउंड क्लीयरेंस जितना ज्यादा होगा, गाड़ी उतनी ही बेहतर और सुरक्षित होगी. ये बात आधी सही है और नहीं भी. दरअसल, ऊंचे ब्रेकर या ऊबड़-खाबड़ वाली जगह पर गाड़ी के निचले हिस्से को नुकसान होने का खतरा ज्यादा रहता है. अगर ग्राउंड क्लीयरेंस ज्यादा होगा, तो ये परेशानी नहीं आएगी. लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि 220 mm ग्राउंड क्लीयरेंस वाली गाड़ी को हाईवे पर ज्यादा स्पीड में चलाएंगे. या फिर इसे तेज रफ्तार में टर्न करेंगे, तो ये एक भूल साबित हो सकती है.

बता दें कि SUV की ऊंचाई की वजह से इनमें सेंटर ऑफ ग्रेविटी आमतौर पर ऊपर होती है. इससे मोड़ पर बॉडी रोल ज्यादा महसूस हो सकता है. यानी तेज टर्न लेने पर गाड़ी एक तरफ थोड़ा झुक सकती है. इसके अलावा कोई व्यक्ति हाई स्पीड में हाईवे पर SUV चला रहा है. तभी उसे आगे तुरंत ब्रेक लगाने पड़ गए तो, मुमकिन है कि इस दौरान गाड़ी अपना बैलेंस खो सकती है. या फिर कोई व्यक्ति ऊंची गाड़ी माने SUV से किसी व्यक्ति को ओवरटेक करने की कोशिश करता है, तब भी चांसेस हैं कि गाड़ी पलटने वाली स्थिति में आ सकती है. मतलब उसके टायर ऊपर की तरफ उठ सकते हैं.
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कितना ग्राउंड क्लीयरेंस है ठीक?कम ग्राउंड क्लीयरेंस वाली गाड़ी में अंडरबॉडी को नुकसान होने का खतरा रहेगा. ज्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस वाली कार के पलटने का डर बना रह सकता है. खासकर तेज रफ्तार में, शर्प टर्न पर या इमरजेंसी ब्रेकिंग पर. इसलिए 170mm से 190 mm ग्राउंड क्लीयरेंस वाली गाड़ी ज्यादातर भारतीय सड़कों के लिए आदर्श मानी जाती है. बाकी, अगर आप कम स्पीड पर ही गाड़ी चलाते हैं. आराम से मोड़ पर गाड़ी टर्न करते हैं, तो ज्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस वाली गाड़ी ले सकते हैं. क्योंकि एक SUV लेकर शायद आप जिग-जैग ड्राइविंग तो नहीं करेंगे. इसके अलावा आजकल ज्यादातर SUV में Electronic Stability Control (ESC) जैसी टेक्नोलॉजी मिलती है. ये गाड़ी पर से नियंत्रण खोने के रिस्क को काफी हद तक कम कर देती है.
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