The Lallantop

लाखों की कार खरीदी, लेकिन बिना PDI कराए शोरूम से निकाल ली, बहुत पछताएंगे!

Pre-Delivery Inspection माने कागजी प्रक्रिया पूरी होने और गाड़ी की चाबी देने से ठीक पहले का प्रोसेस. कंपनियां करती तो हैं लेकिन खानापूर्ति के लिए. इसका एक स्टीकर भी आपकी गाड़ी पर चस्पा होता है, जिस पर लिखा होता है PDI Ok. बट इट्स नॉट ओके.

post-main-image
PDI OK का स्टीकर बताता है कि गाड़ी में सब कुछ ठीक है. (Photo-Pexels)

आप गाड़ी लेने वाले हैं. नई हो या पुरानी. लेकिन खरीदने से पहले एक काम ठीक से नहीं किया तो गाड़ी में कोई दिक्कत निकल आने की सूरत में पछताना पड़ेगा. फिर न वारंटी काम आएगी और न डीलर का किया वादा. न ही इंश्योरेंस कंपनी साथ देगी और न ही सोशल मीडिया का दरेरा काम आएगा. एक बार गाड़ी शोरूम से बाहर आ गई तो सिर्फ आपकी जिम्मेदारी होगी. हम बात कर रहे हैं गाड़ी लेने से जस्ट पहले होने वाली जांच परख की. ऑटो की जुबान में इसे कहते है PDI यानी Pre-Delivery Inspection.

ये वो प्रोसेस है, जो कंपनियां करती तो हैं लेकिन खानापूर्ति के लिए. इसका एक स्टीकर भी आपकी गाड़ी पर चस्पा होता है, जिस पर लिखा होता है PDI Ok. बट इट्स नॉट ओके. बताते है क्यों. लेकिन पहले जरा स्टोरी की PDI कर लेते हैं.

क्या होता है PDI?

Pre-Delivery Inspection माने कागजी प्रक्रिया पूरी होने और गाड़ी की चाबी आपको देने से ठीक पहले होने वाला प्रोसेस. ये प्रोसेस कार कंपनियां करती हैं. वो चेक करती हैं कि कहीं कार में कोई स्क्रैच तो नहीं या गाड़ी के अंदर के किसी पार्ट में कोई कमी तो नहीं है. टायर तो सब बढ़िया है ना और पेंट कहीं से उतरा हुआ तो नहीं है. इतना होने के बाद आप हंसी-खुशी गाड़ी लेकर आ जाते हैं. 

लेकिन बाद में पता लगता है कि बोनट के पेंट का तो चिपरा निकला हुआ है. फिर आप डीलर के पास शिकायत लेकर जाते हैं और वो आपको नियम बता देते हैं, 'भईया, हमने तो आपको पहले ही कार चेक करवा के दी थी.' इस किस्म की शिकायत के तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर दिख जाते हैं. 

Pre-Delivery Inspection
Pre-Delivery Inspection

इन्हीं सारी दिक्कतों से बचने का माकूल तरीका है PDI. अब आपके मन में सवाल होगा कि वो तो हो गई, अब क्या करें? चिंता मत कीजिए, PDI ही करेंगे. लेकिन बाहर से. तमाम कंपनियां हैं, जो 2000 से 2500 रुपये में PDI करती हैं, वो भी तमाम पैरामीटर्स पर. उदाहरण के लिए, उनकी मशीन चेक करके बताती है कि पेंट सही से हुआ है या नहीं. या सिर्फ एक लेयर के ऊपर दूसरा कोट कर दिया गया है. वो टायर के नंबर को देखकर बताते हैं कि टायर नए हैं या फिर नहीं. अगर आपको ये जानना है कि ये कैसे होता है तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर के जान सकते हैं.

टायर पर लिखे नंबरों का मतलब जान लीजिए, पैसे बचेंगे और सेफ्टी भी रहेगी

PDI वाले अपना पूरा काम तसल्ली से करते हैं. ये 1 से 2 घंटे लगाएंगे. पूरी गाड़ी चेक करेंगे और फिर आपको Okay और not Okay बताएंगे. यहां तक आ ही गए हैं, तो एक बात का जिक्र और कर देते हैं. मान लीजिए गाड़ी के बोनट का एक हिस्सा री-पेंट था, तो अब क्या आपको गाड़ी छोड़ देनी चाहिए? तो ये आपकी मर्जी है. लेकिन इसके एवज में आप डीलर से अच्छा डिस्काउंट ले सकते हैं. हां, अगर कोई मेजर प्रॉब्लम है, तो फिर नई गाड़ी लेना बनता है.

ये भी जान लीजिए की PDI कराना आपके अधिकार क्षेत्र में आता है. डीलर इसके लिए मना नहीं कर सकता है. इसलिए 10 लाख की गाड़ी ले रहे हैं, तो 2000 रुपये शुरुआत में खर्च करना कोई बड़ी बात नहीं है. पर्सेंटेज में कितना हुआ, उसका गुणा-गणित आप खुद ही लगा लेंगे. औसत महीने की EMI का भी एक-चौथाई हिस्सा. करके देख लीजिए.

वीडियो: क्या फीस के कारण हेरा-फेरी 3 से अलग हुए परेश रावल? अक्षय ने किया केस