आपके पास सफेद रंग की कार है, एक दिन आपका मन कर जाता है कि इसे लाल रंग का पेंट करवा लें. आप पहुंच जाते हैं कार वर्कशॉप पर और दूसरे रंग का पेंट करवा लेते हैं. फिर एक दिन ट्रैफिक पुलिसवाले आपकी RC चेक कर लेते हैं, जिसमें लिखा था गाड़ी का रंग सफेद है. लेकिन आपकी कार लाल दिख रही है, जिस वजह से आपका चालान कट जाता है.
गाड़ी का कलर चेंज करवाना है? पहले नियम जान लीजिए, वरना बड़ी मुश्किल में फंस जाएंगे
Car Color Change Procedure: गाड़ी का रंग बदलवाने का मन किसी का भी कर सकता है. ये बड़ी आम बात है. लेकिन कलर चेंज से पहले एक प्रक्रिया को फॉलो करना जरूरी है. ताकि आपका चालान भी न कटे और इंश्योरेंस क्लेम भी रिजेक्ट न हो.
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दरअसल, मोटर व्हीकल एक्ट के तहत गाड़ी का रंग बदलने के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) को सूचित करना जरूरी है. यानी कार का रंग बदलना लीगल है. वैध है. पर इसके लिए आपको RTO को सूचित करते हुए एक प्रोसेस को पूरा करना पड़ता है. आपकी RC को भी अपडेट करने की जरूरत होती है. तब जाकर आप दोबारा रंगी गई गाड़ी को सड़क पर लेकर निकल सकते हैं. चलिए, अब गाड़ी का कलर चेंज कराने के प्रोसेस को समझ लेते हैं.
गाड़ी की डेंटिंग-पेंटिंगकार कलर चेंज के लिए आपको अपने नजदीकी RTO जाना होगा. वहां एक NAMV (नोटिस फॉर अल्टरेशन इन मोटर व्हीकल) फॉर्म भरना होगा. इस फॉर्म में कुछ डिटेल्स लिखनी होंगी. जैसे आपका नाम, गाड़ी का मॉडल और जो कलर आप कराना चाहते हैं वो. लेकिन ध्यान रहे कलर लिखते समय आप एग्जेक्ट रंग और शेड लिखें. रेड वाइन कलर है, तो रेड वाइन ही लिखें. NAMV फॉर्म के साथ आपको रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस पेपर और आइडेंटिटी प्रूफ भी लगाना होगा.

बाकी, आप चाहें तो ऑनलाइन भी ये फॉर्म निकाल सकते हैं. एक बार फॉर्म भरने के बाद सर्विस चार्ज भी देना होगा. इसके बाद RTO ऑफिसर आपकी रिक्वेस्ट को या तो अप्रूव कर सकते हैं या रिजेक्ट. लेकिन एक बार अप्रूवल मिल जाने के बाद आप अपनी मर्जी से किसी भी कार शॉप पर जाकर अप्रूव्ड कलर करवा सकते हैं. एक बार कलर चेंज हो जाने के बाद व्हीकल इंस्पेक्शन के लिए RTO ऑफिस विजिट करना है. जब कलर अप्रूव हो जाएगा, तो इसे आपकी RC में अपडेट कर दिया जाएगा. मतलब कि ऑफिसर्स ये चेक करते हैं कि जिस रंग का जिक्र आपने फॉर्म में किया था, वो ही कलर आपने कराया है या नहीं.
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इन बातों का भी ध्यान रखें#गाड़ी का रंग तय कर रहे हैं, तो ध्यान रहे कि वो सरकारी या इमरजेंसी व्हीकल से मिलता-जुलता नहीं होना चाहिए. जैसे कि एंबुलेंस या पुलिस की गाड़ी.
#हाई क्वालिटी स्प्रेइंग या विनाइल रैपिंग (Vinyl Wrapping) कराएं. ताकि गाड़ी की रिसेल वैल्यू बनी रहे.
#एक बार रंग बदलने के बाद रिसेल वैल्यू और इंश्योरेंस क्लेम के लिए RC को अपडेट करना जरूरी है.
#एक बार कलर चेंज से पहले इंश्योरेंस कंपनी से बात कर लीजिए. क्योंकि उन्हें इंफार्म किए बिना रंग बदलवाने से क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. कई बार कंप्रिहेंसिव और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी में कार कलर अपडेट के बारे में बताना जरूरी होता है. एक बार ये सब करके गाड़ी का रंग बदलवा लीजिए. फिर न चालान कटने का डर और ना क्लेम रिजेक्शन का.
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