सीन 1: शोरूम से आपने एक कार का बेस मॉडल खरीदा. कुछ दिन बेस वेरिएंट को बेस वेरिएंट की तरह चलाया. फिर एक दोस्त ने कह दिया कि अरे भाई, गाड़ी में सिर्फ 10 हजार-15 हजार रुपये लगा लो. बेस का टॉप वेरिएंट दिखेगा.
अलॉय व्हील्स लगवाने से पहले जरूर पढ़ें ये खबर, वरना क्लेम अटक सकता है
Alloy Wheels and insurance: कई लोग अपने कार को स्टाइलिश दिखाने के लिए स्टील व्हील्स से अलॉय व्हील्स पर स्विच कर लेते हैं. ये देखने में अच्छे भी लगते हैं. लेकिन इन्हें लगाने से आपका इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट भी हो सकता है.
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सीन 2: आपने दोस्त की बात मान ली और पहुंच गए, कार का मोडिफिकेशन कराने. केबिन में एंबियंट लाइट लग गई. सीट कवर बदल गए. स्टील व्हील्स, अलॉय व्हील में बदल गए.
सीन 3: मोडिफिकेशन के बाद कार का सारा लुक बदल गया. इतना की सड़क पर चलते हुए भी लोग मुड़-मुड़कर देखने लगे. लेकिन एक दिन हो जाता है आपका एक्सीडेंट, जिसमें कार को थोड़ा-बहुत नुकसान पहुंचता है. लेकिन पैसों की क्या चिंता. आपके पास तो इंश्योरेंस है. अब यहां आता है ट्विस्ट.
ट्विस्ट ऐसा कि आपका इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो जाता है. वजह थी अलॉय व्हील. जो सही समय पर सही से ब्रेक नहीं लगा पाये. अब कई लोग गाड़ी का लुक स्टाइलिश बनाने के लिए स्टील व्हील्स से अलॉय व्हील्स पर स्विच कर लेते हैं. लेकिन गाड़ी में पहिए बदलवाते समय भी आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. ये इंश्योरेंस क्लेम करने के अलावा, सेफ्टी के लिए भी बहुत जरूरी है. क्योंकि पहियों से गाड़ी के ब्रेकिंग सिस्टम, परफॉर्मेंस सब पर असर पड़ता है.
BIS मार्क अलॉय व्हील्सअगर आप नए पहिए लगवा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि वे भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से प्रमाणित यानी BIS-मार्क वाले हों. अगर वे BIS या ISI मार्क नहीं है, तो समझ जाइए कि वे IS 9436 टेस्ट सर्टिफाइड नहीं हैं. मतलब इनकी क्वालिटी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. ऐसे पहियों में मजबूती की कमी होने की वजह से ब्रेकिंग, कंट्रोल या हाई-स्पीड ड्राइविंग के दौरान हादसे का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा ये पहिए जल्दी खराब भी हो जाते हैं. ऐसे में इनके बार-बार रिप्लेसमेंट पर ज्यादा खर्च आ सकता है.
पहियों के साथ टायर भी बदलेंजब आप पहिए बदलवा रहे हैं, तो टायर भी चेंज कराएं. अलग-अलग व्हील साइज के लिए अलग-अलग टायर साइज की जरूरत होती है. बेमेल टायर कार की हैंडलिंग, ब्रेकिंग या कहें तो पूरी सेफ्टी को प्रभावित कर सकते हैं. अगर आप बड़े व्हील्स में अपग्रेड कर रहे हैं,तो सही रोलिंग के लिए लो-प्रोफाइल टायर खरीदने चाहिए.
अलॉय व्हील सस्पेंशन और ब्रेकिंग सिस्टम पर भी असर डालता है. बड़े साइज के अलॉय व्हील्स लगाने के लिए सस्पेंशन में एडजस्टमेंट की जरूरत होती है. ताकि राइड कंट्रोल और कंफर्ट बना रहे. इसके अलावा, अगर पहिए काफी भारी है, तो इससे ब्रेकिंग परफॉर्मेंस पर असर पड़ सकता है. इसलिए काफी बड़े व्हील्स को लगवाने से पहले किसी प्रोफेशनल की सलाह लेनी जरूरी है. जिससे आपकी गाड़ी सुरक्षित और चलाने में आरामदायक बनी रहे.
बाकी, आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट टायर की वजह से हुआ है, इसका पता लगाना इंश्योरेंस कंपनी के लिए काफी मुश्किल नहीं है. क्योंकि बीमा कंपनियां किसी भी क्लेम को पास करने से पहले कई तरीकों से चेक करती है कि कहीं गलती आपकी तो नहीं. सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हुआ, जिसमें एक शख्स ने बताया कि उनकी कार का एक्सीडेंट हुआ था. अब इंश्योरेंस वालों ने क्लेम देने से पहले DNA टेस्ट कराया. ताकि ये पता लग सके कि ड्राइविंग कर कौन रहा था.
इंश्योरेंस कंपनी को दें जानकारीगाड़ी में नए पहिए लगवाते समय हमेशा कंफर्ट का ध्यान रखें. अच्छी क्वालिटी के व्हील्स लगवाए. क्योंकि एक बार इन पहियों में क्रेक आ जाए, तो उन्हें बदलना ही एक ऑप्शन बचता है. वहीं, गाड़ी में कोई भी मोडिफिकेशन कराने से पहले इंश्योरेंस कंपनी से बात करें और रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) से इजाजत लें. बाकी, स्टील व्हील्स और अलॉय व्हील्स के बीच में अंतर जानने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक कर खबर पढ़ सकते हैं.
कार में स्टील व्हील्स रहने दें या अलॉय व्हील्स लगवाएं? ये पढ़कर फैसला लेना आसान होगा
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