मार्कोस दिसंबर 1965 से फ़रवरी 1986 तक फ़िलिपींस के राष्ट्रपति रहे. उनके शासन में जनता भ्रष्टाचार, टॉर्चर, दमन, ग़रीबी जैसी अधिकांश नकारात्मक विशेषणों की गवाह बनी. फिर एक दिन उनकी सहनशीलता का कांटा टूट गया. जनता ने आर या पार की राह चुनी. मार्कोस को देश छोड़कर भागना पड़ा. परिवार के साथ. लोगों को लगा, हमें मुक्ति मिल गई. लेकिन मार्कोस अपने साथ अरबों की संपत्ति भी उठाकर ले गया था. ना तो लुटे पैसे लौटे, ना ही मार्कोस. फ़रारी में ही उसकी मौत हो गई. लौटा तो उसका बेटा. कुछ बरस बाद. कालांतर में वो फ़िलिपींस की संसद का सदस्य बना. फिलहाल अपने पिता के नक़्शेकदम पर चल रहा है. मार्कोस के बेटे का नाम फ़र्डीनेण्ड मार्कोस जूनियर है. इस ऐपिसोड में हम उसे ‘जूनियर’ के नाम से बुलाएंगे. आज हम जानेंगे, फ़िलिपींस में राष्ट्रपति चुनाव का प्रोसेस क्या है? इस बार के चुनाव में तानाशाही विरासत का ज़िक्र कहां से आया? और, मार्कोस जूनियर की जीत से फ़िलिपींस में क्या बदल जाएगा? देखें वीडियो.
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