जो लोग मानने को तैयार नहीं हैं कि मोदी लहर नाम की कोई चीज़ होती है, आज उनके ज्ञान चक्षु खुल गए होंगे. सदन में सबसे बड़ी पार्टी बनने की बात छोड़िए, यहां भाजपा इतनी सीटें जीतने की ओर है कि बहुमत की सरकार भी बना ले और कुछ सीटें बाकी पार्टियों को बांट भी दें- संतावना पुरस्कार के तौर पर. हमने फील्ड से आपको बताया था कि भाजपा का वोटर विधायक के नाम की जगह प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेता है. माने वोट पड़ा न पार्टी के नाम पर न विधायक के नाम पर. वोट पड़ा मोदी के नाम पर. मोदी! मोदी! लेकिन मोदी का करिश्मा कुछ जगहों पर नहीं चल पाया. भाजपा के कैंडिडेट यहां से काफी पीछे चल रहे हैं, और हार तय सी है. इनमें से खासमखास कौन से हैं, यहां पढ़िएः
# लक्ष्मीकांत वाजपेयी

डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी मेरठ से सिटिंग एमएलए थे. चार बार विधायक रह चुके थे. लेकिन इनका असल परिचय यही है कि जब 2014 के आम चुनावों में यूपी में भाजपा ने लगभग क्लीन स्वीप मारा था, ये भाजपा प्रदेश अध्यक्ष थे. इन्हीं की जगह केशव प्रसाद मौर्या को अध्यक्ष बनाया गया था. कहा गया कि 1977 से शुरुआत करके भाजपा में एक लंबा करियर रिकॉर्ड रखने वाले लक्ष्मीकांत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद से इसलिए हटाए गए क्योंकि पार्टी इस चुनाव के लिए बतौर पार्टी अध्यक्ष एक ओबीसी चेहरा चाहती थी. यूपी में लगभग 25 फीसदी वोट ओबीसी हैं. लल्लनटॉप की टीम हीरा जब मेरठ सिटी में थी तो ये सुनने को मिला कि बहुत से व्यापारी भाजपा को तो वोट देना चाहते थे, लेकिन लक्ष्मीकांत बाजपेयी को नहीं. पार्टी काडर भी उनसे खास खुश नहीं था. बावजूद इसके उनका टिकट काटा नहीं गया. शायद यही नाराज़गी वजह रही कि वाजपेयी पिछले चुनावों की 7000 की लीड की जगह इस बार 14 हज़ार से पीछे चल रहे हैं. हार लगभग तय है. जीत रहे हैं पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे सपाई रफीक़ अंसारी.
मेरठ सिटी ट्रैंडः
रफीक़ अंसारी (सपा) – 78321
लक्ष्मीकांत बाजपेयी (भाजपा) – 63823
पंकज जौली (बसपा) – 9689
# उत्कृष्ट मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कर्ष मौर्य रायबरेली के उंचाहार सीट से पीछे चल रहे हैं. स्वामी प्रसाद पिछले साल बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. मौर्य वो अपनी बेटी संघमित्रा के लिए भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने नहीं दिया. बीजेपी में तवज्जो न मिलती देख जब स्वामी ने तेवर दिखाए, तो पार्टी ने उन्हें भी कुशीनगर की पड़रौना सीट से टिकट दे दिया. बीएसपी छोड़कर भाजपा में आना स्वामी प्रसाद के लिए कैसा भी रहे, उनके बेटे के लिए बहुत अच्छा तो नहीं ही रहा है.
ऊंचाहार ट्रैंडः
मनोज कुमार पांडेय (सपा) 58851
उत्कृष्ट मौर्य (भाजपा) 56956
विवेक विक्रम सिंह (भाजपा) 45158
# मृगांका सिंह

मृगांका सिंह कैराना से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह की बेटी है. उनके कहने पर ही बिटिया को टिकट मिला था. हुकुम सिंह वही हैं जिन्होंने जून 2016 में कैराना से हिंदुओं के ‘विस्थापन’ का मुद्दा उठाया था. मृगांका की जीत-हार 6 बार के विधायक हुकुम सिंह का रसूख घटने-बढ़ने की जिम्मेदार होगी. मृगांका के विरोध में खड़े हैं उनके ही चचेरे भाई अनिल चौहान जो कि अजित सिंह की रालोद से हैं. अनिल भाजपा से टिकट न मिलने पर रालोद में गए हैं. पिछले साल तक हुकुम सिंह के सपोर्ट में थे. कैराना में विस्थापन के बारे में हुकुम सिंह के दावे जब सही नहीं निकले, तो कहा गया कि वो अपनी बेटी को पोलराइजेशन के माध्यम से जिताना चाहते थे, इसलिए अफवाहें उड़ाई गईं. मृगांका 22000 वोटों से पीछे हैं और हार लगभग तय है. जीत अनिल कुमार भी नहीं रहे हैं. वे तीसरे नंबर पर हैं.
कैराना ट्रैंडः
नाहिद हसन (सपा) 98830
मृगांका सिंह (भाजपा) 77668
अनिल कुमार (रालोद) 19992
# बाल्टी बाबा
इनका असल नाम जगदीश मिश्रा है. लेकिन जाना उन्हें इंदिरा गांधी के दिए नाम से ही जाता है – बाल्टी बाबा. 70 साल के हैं. इनके तिलिस्म के किस्से चलते हैं. एक वक्त वे अपनी बाल्टी से पर्ची निकाल कर लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे. भैरों सिंह शेखावत और भजनलाल एक वक्त बाबा से सलाह मशविरा करते थे. बाल्टी बाबा भाजपा से हैं लेकिन उनका ‘प्रताप’ पार्टी के पार है. कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के (पूर्व) मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और डिंपल यादव के काम बाल्टी बाबा ने ही फूंके हैं. 2002 में फाज़िलनगर से विधायक रहे हैं. अब कुशीनगर के तमकुही राज से भाजपा के टिकट पर लड़ रहे हैं. इस बार बाबा हारते नज़र आ रहे हैं.
तमकुही राज ट्रैंडः
अजय कुमार लल्लू (कांग्रेस) 58384
बाल्टी बाबा (भाजपा) 40068
बिजय राय (बसपा) 39338
# सलिल विशनोई
इस सीट पर इस चुनाव का लॉजिक पलट गया है. पूरे राज्य में सपा का प्रदर्शन खराब हुआ है और भाजपा ने बढ़त दर्ज की है. लेकिन आर्य नगर में भाजपा के तीन बार से विधायक सलिल विश्नोई सपा कैंडिडेट से हार गए हैं. कायदे से सलिल को ये चुनाव हारना नहीं चाहिए था. तीन बार से लगातार चुनाव जीत रहे थे. पिछली बार 15000 से उपर की लीड थी. इस बार तो मोदी लहर का भी सहारा था. लेकिन सीट नहीं बचा पाए. अंतिम नतीजों की घोषणा के बाद सलिल और सपा के अमिताभ बाजपेई में 5723 वोटों का अंतर था.
आर्य नगर के अंतिम नतीजेः
अमिताभ बाजपई (सपा) 70993
सलिल विशनोई (भाजपा) 65270
ए हासिव (बसपा) 6061
# आर के चौधरी
पिछले साल जून में जब इन्होंने मायावती की बसपा को अलविदा कहा तो इसे मायावती के लिए बड़ी चोट समझा गया था. चौधरी की लोकप्रियता पासी समाज में थी. उनके जाने से न सिर्फ मायावती ने एक पासी चेहरा खोया, बल्कि इस तर्क के लिए भी जगह पैदा की कि बसपा सिर्फ जाटवों की पार्टी है. चौधरी ने मोहनलाल गंज से निर्दलीय पर्चा भरा था लेकन चुनावों में उन्हें भाजपा का खुला समर्थन मिला. तो उनको पड़ने वाला वोट भाजपा का ही समझा जाता. लेकिन मोदी फैक्टर आर के चौधरी के काम नहीं आया. वे तीसरे नंबर हैं और सपा के अंबरीश सिंह की 16000 लीड काटने की हालत में बिलकुल नहीं हैं. नतीजे घोषित नहीं हुआ है, लेकिन चौधरी हार गए हैं.
मोहनलालगंज ट्रैंडः
अंबरीश सिंह पुष्कर (सपा) 62333
राम बहादुर (बसपा) 61314
आर के चौधरी (निर्दलीय) 46560
चुनाव नतीजों की पूरी कवरेज ये रहीः
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